Watch Video: ड्रैगन का मुंह तोड़ने के लिए पंचकूला में तैयार हो रहे हैं फौलादी हाथ

आईटीबीपी के पंचकूला के भानु स्थित बेसिक ट्रेनिंग सेंटर में अन-ऑर्म्ड कॉम्बैट ट्रेनिंग यानी बिना हथियारों के लड़ाई की ट्रेनिंग आईटीबीपी के जवानों को दी जा रही है। आईटीबीपी ने पिछले 2 साल में करीब 3500 जवानों को ट्रेंड करके चीनी सीमा पर तैनात किया है।

भारत-चीन सीमा पर डोकलाम, गलवान और तवांग घाटी में चीनी पीएलए आर्मी के साथ हुई खूनी झड़पों से सबक लेते हुए आईटीबीपी ने अब अपने जवानों को चीनी सैनिकों का उन्हीं की भाषा में जवाब देने के लिए तैयार करना शुरू कर दिया है। अब अगर चीनी सैनिक लाठी-डंडों से लैस होकर या बेसबॉल के बैट के ऊपर कंटीली तारें लगाकर हमारे जवानों को उकसाते हैं या फिर भारतीय जमीन पर कब्जा करने के इरादे से हमारी सीमा में दाखिल होते हैं तो आइटीबीपी के जवान भी चीनी सैनिकों के अंदाज में ही जवाब देने के लिए तैयार है।

बिना हथियारों के लड़ाई की ट्रेनिंग

आइटीबीपी के पंचकूला के भानु स्थित बेसिक ट्रेनिंग सेंटर में अन-ऑर्म्ड कॉम्बैट ट्रेनिंग यानी बिना हथियारों के लड़ाई की ट्रेनिंग आईटीबीपी के जवानों को दी जा रही है। आईटीबीपी ने पिछले 2 साल में करीब 3500 जवानों को ट्रेंड करके चीनी सीमा पर तैनात किया है। 16 हफ्ते की स्पेशल अन-ऑर्म्ड ट्रेनिंग में चाकू, लाठी-डंडों और कटीली तारे लगे बेसबॉल बैट से लैस होकर आए दुश्मन का सामना करने के लिए इन जवानों को तैयार किया जा रहा है। इस साल ट्रेनिंग में 10 से 12 नये मूव शामिल किए गए हैं।

मार्शल आर्ट और अन-ऑर्म्ड कॉम्बैट ट्रेनिंग

आइटीबीपी की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादातर जवान इस तरह की मार्शल आर्ट और अन-ऑर्म्ड कॉम्बैट ट्रेनिंग में ट्रेंड हो। खासतौर पर 35 साल तक के युवा जवानों को चीनी सीमा पर पीएलए सैनिकों के साथ होने वाली झड़प की स्थिति से निपटने के लिए तैनात किया जाएगा। ट्रेनिंग में खासतौर पर बिना गोली चलाए जैपनीज और इसराइली टेक्निक से जुडो-कराटे, कुंगफू, कोरोमा समेत अन्य कई तरह की शारीरिक तकनीक सिखाई जा रही है। जवानों को इस तरह से तैयार किया जा रहा है कि ताकि चाकू या डंडे से लैस हमलावर को एक पल में चित कर दे।

आईटीबीपी ने बनाई अन-आर्म्ड कॉम्बैट रणनीति

चीनी सैनिकों के हमले जैसी परिस्थितियों से निपटने के लिए आईटीबीपी ने अन-आर्म्ड कॉम्बैट रणनीति बनाई है, जिसके तहत जवानों को हथियारों के बिना किसी भी तरह की आपात स्थिति से निपटने का आक्रामक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ठंड और विषम परिस्थिति में भी कैसे डटे रहना है इसे लेकर जनवरी की कड़कती ठंड में भी बिना कपड़ों के जवानों को ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि वो चीनी सैनिकों के साथ साथ बेहद सर्द मौसम का भी मुकाबला कर सकें।

अनुभवी प्रशिक्षक जवानों को दे रहे हैं ट्रेनिंग

आईटीबीपी बेसिक ट्रेनिंग सेंटर के आईजी ईश्वर सिंह दुहन ने बताया कि निहत्थे युद्ध लड़ने की नई तकनीक से जवानों को सीमा पर किसी भी प्रकार के हालात से लड़ने में सक्षम बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पिछले साल जवानों के लिए यह मॉड्यूल लाया गया था। इसके तहत पंचकूला के भानू स्थित आईटीबीपी के बेसिक ट्रेनिंग सेंटर में अनुभवी प्रशिक्षक जवानों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। जवानों को दुश्मन का उसी की शैली में जवाब देने के लिए तैयार किया जा रहा है।

चीनी सैनिकों के साथ हमारे जवानों की हुई है हाथापाई

हाल ही में चीन से सटी सीमा पर चाहे गलवान हो या तवांग दोनों जगह चीनी सैनिकों के साथ हमारे सैनिकों की झड़प हुई है। इन दोनों ही झड़पों में कोई गोली नहीं चली लेकिन फिर भी गलवान में कई जवान शहीद हुए और तवांग में भी कुछ जवान घायल हुए इस नई चुनौती से निपटने के लिए आईटीबीपी अब खुद को तैयार कर रही है। अब आइटीबीपी का एक जवान इस ट्रेनिंग के बाद कई चीनी सैनिकों पर भारी पड़ेगा।

(मनोज कुमार की रिपोर्ट)

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