अब हुआ दूसरा 'गलवान' तो चीन की खैर नहीं, जवानों को दी जा रही खास ट्रेनिंग; बिना हथियार के भी जीत जाएंगे जंग
इस ट्रेनिंग के दौरान जवानों को जूडो, कराटे और क्राव मागा जैसी विभिन्न मार्शल आर्ट तकनीकों की ट्रेनिंग दी जा रही है। इसमें पंचिंग, किकिंग, थ्रोइंग, जॉइंट लॉक और पिनिंग डाउन जैसी चालों की भी ट्रेनिंग शामिल है। इन ट्रेनिंगों के बाद जवानों को सीधी लड़ाई में काफी मदद मिलेगी।
आईटीबीपी दे रही है जवानों को खास ट्रेनिंग (फाइल फोटो)
चीन (China) के साथ लद्दाख (Ladakh) समेत कई सीमाओं पर तनातनी की स्थिति बनी हुई है। गलवाट घाटी (Galwan Valley) संघर्ष के बाद से यह तनातनी और बढ़ गई है। इसी को ध्यान में रखने हुए एक तरफ सरकार सीमा के नजदीक सड़कों का निर्माण करवा रही है, हथियारों की तैनाती हो रही है, हवाई पट्टी बनाई जा रही है तो दूसरी ओर जवानों को एक खास तरह की ट्रेनिंग दी जा रही है, ताकि वो बिना हथियारों वाली इस लड़ाई को आसानी से जीत सकें।संबंधित खबरें
दरअसल जब चीनी सैनिकों ने गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों पर हमला बोला था, तब उन्होंने गोली नहीं चलाई थी, आधुनिक हथियारों की जगह पारंपरिक हथियारों का प्रयोग किया था। तब भारत के जवानों ने भी मुंहतोड़ जवाब दिया था, लेकिन अब इसके लिए आईटीबीपी और जबरदस्त तैयारी कर रही है। चीन से लगती हुई इन सीमाओं की कमान आईटीबीपी के पास ही है। इसलिए आईटीबीपी अब अपने जवानों को बिना हथियारों के लड़ाई लड़ने की ट्रेनिंग दे रही है।संबंधित खबरें
इस ट्रेनिंग में आईटीबीपी 20 से ज्यादा प्रकार के युद्धाभ्यास जवानों को करा रही है। जिसमें जूडो, कराटे से लेकर अन्य कई तरह के मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग दी जा रही है। ट्रेनिंग में यह भी सिखाया जा रहा है कि बिना हथियारों के दुश्मन पर कैसे विजय पाई जा सकती है। मतलब अगर कभी चीन ने दूसरे गलवान को अंजाम देने की कोशिश की तो उसकी हालत और बुरी हो सकती है। संबंधित खबरें
गलवान घाटी में तब भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे, वहीं चीन ने काफी विवादों के बाद चार सैनिकों के मारे जाने की पुष्टि की थी, हालांकि ये संख्या काफी ज्यादा है। इस संघर्ष के बाद से चीन से लगती भारत की सीमा पर दोनों ओर से कई महीनों से हलचल बढ़ी हुई है। जिसके बाद से आईटीबीपी भविष्य के जंग के लिए अपने जवानों को तैयार करने में जुटी है। संबंधित खबरें
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शिशुपाल कुमार author
पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र...और देखें
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