जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में क्या-क्या? अस्थायी भंडार कक्ष में लाने में लग गए सात घंटे

सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए, भगवान जगन्नाथ के खजाने, जिसे रत्न भंडार भी कहा जाता है, में संग्रहीत सभी सोने के आभूषणों को शुक्रवार को पुरी जगन्नाथ मंदिर के अंदर अस्थायी स्ट्रॉन्ग रूम में स्थानांतरित कर दिया गया। इस प्रक्रिया में आज सात घंटे से अधिक का समय लग गया।

Jagannath temple

जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार ट्रांसफर

मुख्य बातें
  • खोला गया भगवान जगन्नाथ का रत्न भंडार
  • अस्थायी भंडार कक्ष में भंडार ट्रांसफर
  • सुबह से चल रहा था भंडार ट्रांसफर का काम
ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को आज अस्थायी भंडार कक्ष में ट्रांसफर कर दिया गया। इस कार्य में 7 घंटे का समय लगा। सोने के आभूषणों और अन्य कीमती सामानों को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया उच्च स्तरीय समिति की एसओपी के अनुसार की गई। इसके पहले रत्न भंडार से मूल्यवान सामग्री को स्थानांतरित करने के लिए ओडिशा सरकार द्वारा गठित पर्यवेक्षण समिति के सदस्यों ने सुबह करीब नौ बजकर 51 मिनट पर मंदिर में प्रवेश किया।

सात घंटे का लगा समय

पुरी स्थित 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर के प्रतिष्ठित खजाने ‘रत्न भंडार’ (कोषागार) में रखी गयी मूल्यवान सामग्री और आभूषणों को एक अस्थायी भंडार कक्ष में स्थानांतरित करने का कार्य बृहस्पतिवार को सात घंटों के भीतर पूरा हो गया। उन्होंने बताया कि रत्न भंडार को इस सप्ताह दूसरी बार खोला गया ताकि बहुमूल्य चीजों को मंदिर परिसर के भीतर एक अस्थायी ‘स्ट्रॉन्ग रूम’ में रखा जा सके। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के प्रमुख अरविंद पाढ़ी ने संवाददाताओं को बताया- "रत्न भंडार के आंतरिक कक्ष से सभी कीमती सामान को सफलतापूर्वक मंदिर परिसर के भीतर एक अस्थायी ‘स्ट्रांग रूम’ में स्थानांतरित कर दिया गया है। लकड़ी और स्टील की अलमारियों और संदूकों सहित सात कंटेनरों को स्थानांतरित करने की पूरी प्रक्रिया में सात घंटे लगे।"

खजाने में क्या-क्या

पर्यवेक्षण समिति के अध्यक्ष एवं उड़ीसा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति विश्वनाथ रथ ने कहा कि आंतरिक कक्ष के अंदर आभूषण और कीमती सामान सात कंटेनरों में रखे गए, जिनमें तीन लकड़ी की अलमारियां, दो लकड़ी की पेटियां, एक स्टील की अलमारी और एक लोहे की पेटी शामिल है। उन्होंने कहा कि सभी कीमती सामान को नये कंटेनरों में सावधानी से रखा गया और बाद में मंदिर परिसर के अंदर अस्थायी ‘स्ट्रांग रूम’ में स्थानांतरित कर दिया गया। रथ ने कहा कि ‘स्ट्रांग रूम’ को सील कर चाबियां पुरी जिलाधिकारी को दे दी गई। चाबियां खजाने में रखी जाएंगी।न्यायमूर्ति रथ ने खजाने के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा- “आंतरिक कक्ष के अंदर हमने जो कुछ देखा उसका विवरण गोपनीय है। जिस तरह कोई अपने घर में कीमती सामान का खुलासा नहीं करता, उसी तरह भगवान के खजाने को सार्वजनिक रूप से उजागर करना अनुचित होगा।”
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शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

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