Jalandhar Bypoll results 2023: जालंधर जीत के साथ AAP की हुई लोकसभा में एंट्री ! कांग्रेस की 24 साल पुरानी बादशाहत खत्म
Jalandhar Bypoll results 2023 : जालंधर में आम आदमी पार्टी की कूटनीति के आगे इस बार कांग्रेस अपनी प्रतिष्ठित सीट को नहीं बचा सकी। आप प्रत्याशी ने सुशील कुमार रिंकू ने यहां पर जीत दर्ज की।
जीत के बाद प्रेस कांफ्रेंस करते केजरीवाल और भगवंत मान।
Jalandhar Bypoll Results 2023: पंजाब में अपने पांव जमा चुकी आम आदमी पार्टी ने जालंधर उपचुनाव में बड़ी जीत दर्ज की है। आप की इस सियासी जीत को कई मायनों में अहम माना जा रहा है। जालंधर की ये लोकसभा सीट कांग्रेस नेता संतोख सिंह के निधन के बाद खाली हुई थी, जिस पर पिछले 24 सालों से कांग्रेस पार्टी का ही कब्जा था। इस बार कांग्रेस के अभेद्य किले को ढहाकर आप ने फिर एक बार अपना करिश्मा दिखा दिया है। बता दें कि आप प्रत्याशी ने सुशील कुमार रिंकू शुरुआत से ही भाजपा, कांग्रेस और अकाली दल से आगे चल रहे थे, जिसके बाद उन्होंने यहां से 58647 वोटों से विजय हासिल की है। गौरतलब है कि साल 1999 से जालंधर की सीट पर अपनी बादशाहत कायम रखने वाली कांग्रेस को आप ने बड़ा झटका दिया है।
अपने किले को नहीं बचा सकी कांग्रेस
जालंधर में आम आदमी पार्टी की कूटनीति के आगे इस बार कांग्रेस अपनी प्रतिष्ठित सीट को नहीं बचा सकी। करीब दो दशक से कांग्रेस पार्टी जालंधर लोकसभा सीट पर काबिज थी, लेकिन संतोख सिंह के निधन के बाद इस बार जनता ने उनकी पत्नी करमजीत कौर की बजाए आप प्रत्याशी सुशील कुमार रिंकू पर भरोसा जताया। इसके अलावा लोकसभा सीट को लेकर कांग्रेस हाईकमान की उदासीनता को कांग्रेस की करारी हार का कारण माना जा रहा है। कई स्थानीय कांग्रेस नेता बताते हैं कि पार्टी हाईकमान का प्रचार के लिए न आना नुकसानदेह रहा।
आप के आगे फीके पड़े अन्य दल
जालंधर लोकसभा सीट पर उपचुनाव को जीतने के लिए आम आदमी पार्टी ने पूरा जोर लगाया हुआ था। यहां पर मुख्यमंत्री भगवंत मान प्रचार अभियान की पूरी कमान अपने हाथ में लिए हुए थे। वहीं पंजाब सरकार के बहुत से कैबिनेट मंत्री भी लगातार प्रचार में जुटे थे। इसी क्रम में पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अंतिम दिन में रोडशो कर जनता से समर्थन मांगा। बता दें कि आम आदमी पार्टी की जीत के बाद अब लोकसभा में आप का एक सांसद होगा, हालांकि राज्यसभा में इनके 10 सांसद हैं।
बीजेपी-अकाली दल भी फेल
जालंधर उपचुनाव में भाजपा और अकाली दल का मैजिक भी नहीं चल सका। यहां पर जीत हासिल करने के लिए कई स्टार प्रचारकों ने पूरी ताकत झोंक दी थी। जालंधर में कई बड़े-बड़े नेताओं ने प्रचार किया, जिसका कोई भी फायदा पार्टी को नहीं मिलता दिखा। दरअसल, भाजपा से अलग होने के बाद से अकाली दल शहरी वोट बैंक को अपने साथ जोड़ने में अक्षम नजर आ रहा है। वहीं, इंदर इकबाल अटवाल ने भी अकाली दल को अलविदा कह दिया और भाजपा में शामिल हो गए जो उनके लिए काफी नुकसानदेह रहा। चुनावी विश्लेषक बताते हैं कि कई कम मतदान प्रतिशत रहने की वजह से भी राजनीतिक पार्टियों को नुकसान पहुंचा है।
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