Jamia Violence: जामिया हिंसा के आरोपियों का HC से झटका, शरजील समेत अन्य को आरोपमुक्त करने का आदेश आंशिक रूप से रद्द

Jamia Violence: जामिया हिंसा मामले में निचली अदालत ने जिन 11 लोगों को आरोपमुक्त किया था, उनमें इमाम, तन्हा, जरगर, मोहम्मद कासिम, महमूद अनवर, शहजर रजा खान, मोहम्मद अबुजर, मोहम्मद शोएब, उमैर अहमद, बिलाल नदीम और चंदा यादव शामिल हैं।

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शरजील इमाम समेत 10 अन्य को आरोपमुक्त करने का आदेश आंशिक रूप से रद्द

तस्वीर साभार : भाषा
Jamia Violence: दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2019 के जामिया नगर हिंसा मामले में जवाहरलाल नेहरू (जेएनयू) विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र शरजील इमाम और कार्यकर्ताओं आसिफ इकबाल तन्हा एवं सफूरा जरगर सहित 11 लोगों को आरोपमुक्त करने के निचली अदालत के आदेश को मंगलवार को आंशिक रूप से रद्द कर दिया। साथ ही उनके खिलाफ नए आरोप तय करने के आदेश दिये।
क्या कहा कोर्ट ने
अदालत ने यह भी कहा कि छात्र समुदाय कोई ऐसा अलग तरह का समूह नहीं है, जिसे अभिव्यक्ति की आजादी का कोई अतिरिक्त अधिकार प्राप्त है तथा यदि विरोध प्रदर्शन का अधिकार हिंसक तरीके से इस्तेमाल किया जाता है, जिससे यदि किसी व्यक्ति की सुरक्षा प्रभावित होती है या सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान होता है, तो कानून इसे संरक्षण नहीं दे सकता है।
क्या है अधिकार
उच्च न्यायालय ने कहा कि प्रथम दृष्टया इमाम, तन्हा और जरगर सहित 11 आरोपियों में से नौ के खिलाफ दंगा करने एवं अवैध रूप से एकत्र होने का आरोप बनता है।
अदालत ने अपने 90 पृष्ठों के निर्णय में कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार से इनकार नहीं किया जा सकता है, लेकिन यह अदालत अपने कर्तव्य को लेकर जागरूक है और इस मुद्दे में इसी तरह से फैसला करने की कोशिश की गई है। शांतिपूर्ण तरीके से एकत्र होने का अधिकार शर्तों के साथ होता है। संपत्ति और शांति को नुकसान पहुंचाना कोई अधिकार नहीं है।
क्या बोले जज
न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि हिंसा या हिंसक भाषणों के कृत्य संरक्षित नहीं है और कहा कि प्रथम दृष्टया, जैसा कि वीडियो में देखा गया है, कुछ प्रतिवादी भीड़ की पहली पंक्ति में थे और अधिकारियों के खिलाफ नारे लगा रहे थे और हिंसक रूप से बैरिकेड को धक्का दे रहे थे। न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा- "राज्य द्वारा असहमति को दबाने के संबंध में निचली अदालत द्वारा आरोप के स्तर पर की गई टिप्पणी टाली जानी चाहिए थी।"
कब का है मामला
यह मामला दिसंबर 2019 में यहां जामिया नगर इलाके में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) का विरोध कर रहे लोगों और दिल्ली पुलिस के बीच झड़प के बाद भड़की हिंसा से संबंधित है। निचली अदालत ने चार फरवरी के अपने आदेश में सभी 11 आरोपियों को आरोप-मुक्त कर दिया था। अदालत ने कहा था कि उन्हें पुलिस द्वारा ‘बलि का बकरा’ बनाया गया और असहमति को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, न कि उसे दबाया जाना चाहिए। निचली अदालत ने 11 आरोपियों को आरोपमुक्त करते हुए एक अन्य आरोपी मोहम्मद इलियास के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था।
कौन-कौन हुआ था बरी
मामले में निचली अदालत ने जिन 11 लोगों को आरोपमुक्त किया था, उनमें इमाम, तन्हा, जरगर, मोहम्मद कासिम, महमूद अनवर, शहजर रजा खान, मोहम्मद अबुजर, मोहम्मद शोएब, उमैर अहमद, बिलाल नदीम और चंदा यादव शामिल हैं।
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