J&K:2022 में सुरक्षा बलों के 28 जवान हुए शहीद, DG जैसे बड़े ऑफिसर की हत्या नई चुनौती

गृह मंत्री अमित शाह साल 2019 में अनुच्छेद-370 हटने के बाद दूसरी बार जम्मू-कश्मीर के दौरे पर हैं। और इस बात के संकेत हैं कि राज्य में जल्द चुनाव कराए जा सकते हैं। इस बीच अभी डीजी (जेल) हेमंत कुमार लोहिया की हत्या ने बड़ी सनसनी फैला दी है। अगर यह आतंकी वारदात है तो मोदी सरकार के लिए एक नई चुनौती खड़ी हो सकती है।

मुख्य बातें
  • पिछले 8 साल में 533 सुरक्षा बलों के जवान और अधिकारी शहीद हुए हैं।
  • वहीं पिछले 8 साल में 1633 आतंकवादी मारे गए हैं। इस दौरान सबसे ज्यादा आतंकवादी साल 2017 और 2018 में मारे गए हैं।
  • राज्य में जल्द चुनाव की सुगबुगाहट है, और इसके संकेत केंद्र सरकार कई बार दे चुकी है।

J&K DG Murder Case: मंगलवार की सुबह जम्मू और कश्मीर के डीजी (जेल) हेमंत कुमार लोहिया की मौत की खबर ने सनसनी फैला दी है। यह हत्या ऐसे समय हुई है, जब गृह मंत्री अमित शाह तीन दिन के राज्य के दौरे पर हैं। गृह मंत्री साल 2019 में अनुच्छेद-370 हटने के बाद दूसरी बार जम्मू-कश्मीर के दौरे पर हैं। और इस बात के संकेत हैं कि राज्य में जल्द चुनाव कराए जा सकते हैं। इस बीच अभी तक हेमंत कुमार की हत्या की वजह साफ नहीं हो पाई है। एक तरफ पुलिस फिलहाल इसे आतंकी घटना नहीं मान रही है, वहीं जैश-ए-मुहम्मद से जुड़े आतंकी संगठन PAFF ने हमले की जिम्मेदारी ली है। राज्य में किसी बड़े पुलिस अधिकारी की इस तरह की हत्या की घटना काफी समय बाद हुई है।

इस साल 28 सुरक्षा बल के जवान हुए शहीद

साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल के अनुसार , जम्मू और कश्मीर में साल 2022 में अगस्त 2022 तक 28 सुरक्षा बलों के जवान और अधिकारी शहीद हुए हैं। जनवरी से अगस्त के बीच सबसे ज्यादा अगस्त में 6 सुरक्षा बलों के जवान और अधिकारी शहीद हुए। वहीं साल 2021 में 36 जवान शहीद हुए थे। अगर साल 2014 से देखा जाय तो पिछले 8 साल में 533 सुरक्षा बलों के जवान और अधिकारी शहीद हुए हैं।

1633 आतंकवादी मारे गए

इस साल अब तक 160 आतंकी मारे गए हैं। वहीं पिछले 8 साल में 1633 आतंकवादी मारे गए हैं। इस दौरान सबसे ज्यादा आतंकवादी साल 2017 और 2018 में मारे गए हैं। साल 2017 में जहां 220 आतंकवादी मारे गए थे। वहीं 2018 में 271 आतंकवादी मारे गए।

सालमारे गए आतंकवादी
2014114
2015115
2016165
2017220
2018271
2019163
2020232
2021193
2022160 (अगस्त)
स्रोत: SATP

चुनाव की सुगबुगाहट

जम्मू और कश्मीर में साल 2014 के बाद विधानसभा चुनाव नहीं हुए हैं। उस समय पीडीपी को 28 सीटें, भाजपा को 25 सीटें, नेशनल कॉन्फ्रेंस को 15 और कांग्रेस को 12 सीटें मिलीं थी। इसमें भाजपा को केवल जम्मू क्षेत्र से जीत मिली थी, जहां हिंदुओं का प्रभाव है। वहीं उसे कश्मीर घाटी में एक भी सीट नहीं मिली थी। इसी तरह पीडीपी को केवल कश्मीर घाटी से सीटें मिली थी। साफ है कि भाजपा ने जम्मू की 37 में से 25 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। वहीं पीडीपी 46 में से 28 सीटें मिली थीं।

2019 में धारा-370 हटने के करीब तीन साल बाद ऐसी सुगबुगाहट है कि केंद्र सरकार राज्य में चुनाव करा सकती हैं। इसके पहले परिसमीन आयोग की सिफारिशों के आधार पर राज्य में अब विधानसभा में सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो गई है। इनमें में 43 सीटें जम्मू में हैं, जबकि 47 सीटें कश्मीर में हैं। इन 90 सीटों में से 9 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित करने का भी प्रावधान किया गया है। जबकि 7 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित करने का प्रस्ताव है। इसके साथ ही जम्मू और कश्मीर की नई विधानसभा में लद्दाख का प्रतिनिधित्व नहीं होगा। क्योंकि वह अलग केंद्रशासित प्रदेश बन चुका है।

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