बेटी सीता के 'घर बास' के लिए जुटे हैं जनकपुरवासी, 3 से 5 जनवरी के बीच उपहार के साथ अयोध्या आएंगे 500 लोग

Ram Mandir Pran Pratishtha News: चूंकि मां सीता जनकपुर (नेपाल) की थीं, इसलिए उनका मायके में इस कार्यक्रम को लेकर खासा उत्साह है। लड़की जब अपने नए घर में प्रवेश करती है तो मायके के लोग उसे वस्त्र, आभूषण और पकवान भेंट में देते हैं।

राम लला की मूर्ति में 22 जनवरी को होगी प्राण-प्रतिष्ठा।

Ram Mandir Pran Pratishtha News: अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य अंतिम दौर से गुजर रहा है। 22 जनवरी को सनातन परंपराओं एवं वैदिक मंत्रों के साथ विधि-विधान से मंदिर के गर्भ गृह में राम लला की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इस समारोह की तैयारी करीब-करीब पूरी हो गई है। इस नए मंदिर को भगवान राम और सीता के नए घर के रूप में भी देखा जा रहा है। चूंकि मां सीता जनकपुर (नेपाल) की थीं, इसलिए उनका मायके में इस कार्यक्रम को लेकर खासा उत्साह है। ब्याह होने के बाद लड़की जब अपने नए घर में प्रवेश करती है तो मायके के लोग उसे वस्त्र, आभूषण और पकवान भेंट में देते हैं। इस परंपरा को 'घर बास' कहा जाता है।

माता सीता को लेकर जिस रास्ते आए थे भगवान राम, उसी रास्ते का अनुसरण

रिपोर्टों के मुताबिक वाराणसी स्थित जानकी मंदिर के महंत रोशन दास जी का कहना है कि जनकपुर के करीब 500 लोग तीन जनवरी को अयोध्या के लिए रवाना होंगे। वे अपने साथ भगवान राम और सीता के लिए आभूषण, वस्त्र, फल, मेवे एवं आभूषण लेकर आएंगे। माता सीता से ब्याह करने के बाद भगवान राम जिस रास्ते से अयोध्या लौटे थे, जनकपुर वासी उसी रास्ते से होते हुए अयोध्या पहुंचेंगे।

मिथिला राज्य का हिस्सा था जनकपुर

बदा दें कि वाल्मीकि रामायण के अनुसार माता सीता जन्म जनकपुर में हुआ था। वह जनकपुर में ही राजा जनक जब हल चला रहे थे तो माता सीता वहीं खेत में मिली थीं। जनकपुर बिहार के दरभंगा से 40 किलोमीटर दूर है। सुगौली संधि के बाद मिथिला राज्य का उत्तरी भाग नेपाल के हिस्से में चला गया। जनकपुर इसी उत्तरी हिस्से में आता है।
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