'आदिवासी अस्मिता बचाने के लिए मैं...' चंपई सोरेन ने खुद बताया क्यों ज्वाइन कर रहे BJP, साझा किया 'दर्द'
Champai Soren: चंपई सोरेन ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' कहा, आदिवासी अस्मिता और अस्तित्व बचाने के मुद्दे पर सिर्फ भाजपा ही गंभीर दिखती है और बाकी पार्टियां वोटों की खातिर इसे नजरअंदाज कर रही है। इसलिए आदिवासी अस्मिता एवं अस्तित्व को बचाने के मैं भारतीय जनता पार्टी से जुड़ रहा हूं।
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन
Champai Soren: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन 30 अगस्त को भारतीय जनता पार्टी में आधिकारिक रूप से शामिल होंगे। इससे पहले उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' पर एक पोस्ट में हेमंत सोरेन और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा, पार्टी में कोई ऐसा फोरम/मंच नहीं था, जहां मैं अपनी पीड़ा को व्यक्त कर पाता। उन्होंने कहा, मुझ से सीनियर नेता स्वास्थ्य कारणों से राजनीति से दूर हैं।
चंपई सोरेन ने इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के नेतृत्व पर विश्वास जताते हुए कहा कि आदिवासी अस्मिता एवं अस्तित्व को बचाने के लिए मैंने भारतीय जनता पार्टी से जुड़ने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, मैं लगातार झारखंड की जनता से मिल कर, उनकी राय जानने का प्रयास करता रहा। कोल्हान क्षेत्र की जनता हर कदम पर मेरे साथ खड़ी रही, और उन्होंने ही सन्यास लेने का विकल्प नकार दिया।
परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ बड़ी समस्या
चंपई सोरेन ने कहा, आज बाबा तिलका मांझी और सिदो-कान्हू की पावन भूमि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ बहुत बड़ी समस्या बन चुका है। इससे दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है कि जिन वीरों ने जल, जंगल व जमीन की लड़ाई में कभी विदेशी अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं की, आज उनके वंशजों की जमीनों पर ये घुसपैठिए कब्जा कर रहे हैं। इनकी वजह से फूलो-झानो जैसी वीरांगनाओं को अपना आदर्श मानने वाली हमारी माताओं, बहनों व बेटियों की अस्मत खतरे में है।
घुसपैठ नहीं रुकी तो आदिवासी अस्तित्व को खतरा
झारखंड के पूर्व सीएम ने कहा, आदिवासियों एवं मूलवासियों को आर्थिक तथा सामाजिक तौर पर तेजी से नुकसान पहुंचा रहे इन घुसपैठियों को अगर रोका नहीं गया, तो संथाल परगना में हमारे समाज का अस्तित्व संकट में आ जायेगा। पाकुड़, राजमहल समेत कई अन्य क्षेत्रों में उनकी संख्या आदिवासियों से ज्यादा हो गई है। राजनीति से इतर, हमें इस मुद्दे को एक सामाजिक आंदोलन बनाना होगा, तभी आदिवासियों का अस्तित्व बच पाएगा। इस मुद्दे पर सिर्फ भाजपा ही गंभीर दिखती है और बाकी पार्टियां वोटों की खातिर इसे नजरअंदाज कर रही है। इसलिए आदिवासी अस्मिता एवं अस्तित्व को बचाने के मैं भारतीय जनता पार्टी से जुड़ रहा हूं।
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