धंसता शहर जोशीमठ, 50 साल पहले मिल गई थी चेतावनी, अनदेखी पड़ रही है भारी

Joshimath Sinking: उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित जोशीमठ बद्रीनाथ धाम और हेमकुंड साहेब के रास्ते में 6000 फुट की ऊंचाई पर बसा हुआ है। जोशीमठ अति जोखिम वाले भूकंपीय क्षेत्र में आता है। खबर लिखे जाने तक शहर के 561 घरों में दरारें आ चुकी है। खतरे को देखते हुए 29 परिवारों को प्राइमरी स्कूल, नगर पालिका भवन, गुरूद्वारा और मिलन केंद्र आदि में शिफ्ट किया गया है।

जोशीमठ के एक घर में दरारें

Joshimath Sinking: पौराणिक शहर और आदि गुरू शंकराचार्य की कर्मभूमि जोशीमठ एक धंसते शहर के रूप में तब्दील होता जा रहा है। शहर में सड़कों से लेकर लोगों के घरों तक चौड़ी होती दरारों को देखा जा सकता है, जो एक तबाह होते शहर की कहानी बयां कर रहे हैं। हालात ऐसे हो गए हैं कि लोगों को अपने पुश्तैनी घरों को ढहने के लिए छोड़, एक बेसहारा के रूप में स्कूल, कार्यालय आदि में शरण लेनी पड़ रही है। अब तक 29 परिवारों को उनके घरों से शिफ्ट किया जा चुका है। खतरे का आलम यह है कि एशिया के सबसे बड़ी रोप-वे सेवा को भी बंद कर दिया गया है। ऐसे में सवाल यह है जिस शहर के निशान पुराणों में मिलते हैं, जहां 1200 साल पहले आदि गुरू शंकराचार्य ने तप साधना की, उस शहर पर विकास के दौर में अस्तित्व का संकट कैसे खड़ा हो गया।

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कैसे हैं हालात

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उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित जोशीमठ बद्रीनाथ धाम और हेमकुंड साहेब के रास्ते में 6000 फुट की ऊंचाई पर बसा हुआ है। जोशीमठ अति जोखिम वाले भूकंपीय क्षेत्र में आता है। खबर लिखे जाने तक शहर के 561 घरों में दरारें आ चुकी है। खतरे को देखते हुए 29 परिवारों को प्राइमरी स्कूल, नगर पालिका भवन, गुरूद्वारा और मिलन केंद्र आदि में शिफ्ट किया गया है। इसके अलावा कुछ लोग घर छोड़ अपने रिश्तेदारों के घर चले गए हैं।

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