Joshimath: दरार वाले घर 700 के पार, 86 पर 'खतरे' का निशान; स्टडी बोली- हर साल ढाई इंच की दर से क्षेत्र रहे थे धंस
Joshimath Sinking Latest Update: उधर, जिन दो होटलों को गिराया जाना है, उनमें से एक ‘मलारी इन’ नाम के होटल के मालिक ठाकुर सिंह ने दावा किया कि उन्हें 2.92 करोड़ रुपये (नुकसान) का अनुमान भेजा गया और एसडीएम ने उस पर हस्ताक्षर करने को कहा। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस पर दस्तखत कैसे कर सकता हूं? मैंने 2011 तक होटल को बनाने पर छह से सात करोड़ रुपये खर्च कर दिए थे। मैंने अपने खून पसीने से यह होटल बनाया है। अगर इसे इस तरह गिरा दिया जाएगा तो मेरा क्या होगा? जहां तक लोगों की सुरक्षा की बात है, मैं राज्य सरकार के साथ हूं लेकिन मुआवजे के तौर पर मुझे जो राशि की पेशकश की जा रही है, उससे असहमत हूं।’’
Joshimath Sinking Latest Update: उत्तराखंड के दरकते शहर जोशीमठ में सीएम पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने जोशीमठ में भू-धंसाव से बुरी तरह प्रभावित दो होटलों (‘माउंट व्यू’ और ‘मालारी इन’) को गिराने की तैयारी कर ली है। हालांकि, संपत्ति मालिकों और स्थानीय लोगों के विरोध के चलते ये 10 जनवरी, 2023 को न गिराए जा सके, पर बुधवार (11 जनवरी) को इन पर बुल्डोजर एक्शन हो सकता है। दरअसल, दोनों में बड़ी दरारें आ गई थीं और दोनों एक-दूसरे की ओर झुक गए। नतीजतन आसपास की इमारतों को भी खतरा पैदा हो गया।
ऐहतियातन इलाके में अवरोधक लगाए गए हैं और होटल व उसके आसपास के मकानों में बिजली आपूर्ति रोक दी गई। ताजा डेटा के हवाले से बुधवार (11 जनवरी, 2023) सुबह हिंदी समाचार चैनल 'एबीपी न्यूज' ने बताया कि दरार वाली इमारतों की संख्या बढ़कर 723 हो गई है। इस बीच, जोशीमठ का सर्वे कर लौटे आईआईटी कानपुर के राजीव सिन्हा ने दावा किया कि शहर को दोबारा बसाने की कोशिश खतरनाक साबित हो सकती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि वहां 'स्लाइंडिंग जोन' के कारण पत्थर कमजोर हो चुके हैं।
इस बीच, अंग्रेजी अखबार 'दि इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट में बताया गया कि फिलहाल 86 घरों की पहचान "असुरक्षित" के रूप में की गई है और इन सभी के बाहर लाल रंग से 'एक्स' (खतरा) का निशान लगा दिया गया। डिमॉलिशन (मकानों को ढहाने का काम) के काम में लगाई गई सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) के मुखिया और चीफ साइंटिस्ट डीपी कानूनगो ने बताया- हमने मकैनिकल डिमॉलिशन प्लान किया है, जिसमें विस्फोटकों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। यह ऊपर से नीचे चरणों में किया जाएगा, जिसमें तीन से चार दिन का वक्त लगेगा। कंक्रीट कटर्स और अन्य चीजों के जरिए इन्हें (इमारतों) काटा और ढहाया जाएगा। होटल मलारी इन्न पहले ढहाया जाएगा।
हैरत की बात है कि दरकती इमारतों से जुड़ी यह समस्या जोशीमठ से 80 किलोमीटर दूर कर्णप्रयाग में भी देखने को मिली है और वहां पर 40 घरों में दरार सामने आई हैं। वहीं, अंग्रेजी वेबसाइट एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, देहरादून में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेसिंग की दो साल तक की गई स्टडी में पाया गया कि जोशीमठ और उसके आसपास के इलाके हर साल साढ़े छह सेंटीमीटर या फिर ढाई इंच की दर से धंस रहे थे। संस्थान क्षेत्र के सैटेलाइट डेटा का इस्तेमाल कर रहा था, जिसमें ढेर सारी टेक्टॉनिक गतिविधि देखी गई और वह बेहद संवेदनशील थी।
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अभिषेक गुप्ता author
छोटे शहर से, पर सपने बड़े-बड़े. किस्सागो ऐसे जो कहने-बताने और सुनाने को बेताब. कंटेंट क्रिएशन के साथ...और देखें
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