सरकार की आलोचना वाले लेख के कारण पत्रकारों पर मुकदमा दर्ज नहीं किया जाना चाहिए- सुप्रीम कोर्ट

पत्रकार अभिषेक उपाध्याय की याचिका में दावा किया गया है कि जब उन्होंने ‘यादव राज बनाम ठाकुर राज’ शीर्षक से खबर की तो लखनऊ के हजरतगंज थाने में 20 सितंबर को उनके नाम प्राथमिकी दर्ज की गई।

सुप्रीम कोर्ट

मुख्य बातें
  • सुप्रीम कोर्ट से मिली यूपी पुलिस को नसीहत
  • पत्रकार मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
  • सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि पत्रकारों के खिलाफ केवल इसलिए आपराधिक मामला नहीं दर्ज किया जाना चाहिए क्योंकि उनके लेखन को सरकार की आलोचना के रूप में देखा जाता है। सुप्रीम कोर्ट पत्रकार अभिषेक उपाध्याय द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने उत्तर प्रदेश में ‘‘सामान्य प्रशासन में जाति विशेष की सक्रियता’’ संबंधी एक कथित रिपोर्ट को लेकर अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया है।

'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान'

न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि लोकतांत्रिक देशों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान किया जाता है और संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत पत्रकारों के अधिकार संरक्षित हैं। पीठ ने कहा, ‘‘केवल इसलिए कि किसी पत्रकार के लेखन को सरकार की आलोचना माना जाता है, पत्रकार के खिलाफ आपराधिक मामला नहीं दर्ज किया जाना चाहिए। इस बीच, संबंधित रिपोर्ट के संबंध में याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाना चाहिए।’’
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