हिमाचल सीएम के डिनर में जंगली मुर्गा? पुलिस ने किया मानहानि और फेक न्यूज का केस दर्ज

पिछले हफ्ते ये वीडियो व्यापक रूप से ऑनलाइन प्रसारित किया गया जिसमें सुक्खू को कथित तौर पर यह कहते हुए सुना गया था, इनको दो जंगली मुर्गा, हमें थोड़ी खाना है।

CM Sukhu

नए विवाद में फंसे सीएम सुक्खू

Jungli Murga' on HP CM's dinner menu- समोसे विवाद के बाद अब हिमाचल सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू जंगली मुर्गा विवाद को लेकर चर्चा में हैं। जंगली मुर्गा वाले एक वीडियो को लेकर पुलिस एक्शन में आ गई है। एक वीडियो ऑनलाइन सामने आने के बाद यहां पुलिस ने बुधवार को मानहानि और झूठी खबर फैलाने का मामला दर्ज किया है। इस वीडियो में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सुदूर इलाके में अपने सहयोगियों को रात्रिभोज के दौरान जंगली मुर्गा (Grey Junglefowl) खाने के लिए प्रोत्साहित करते दिख रहे हैं।

बीजेपी ने किया हमला तेज

इस मुद्दे को उठाते हुए भाजपा ने दावा किया है कि 'जंगली मुर्गा' वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची I और वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन अधिनियम 2022 के तहत सूचीबद्ध एक लुप्तप्राय प्रजाति है और इसका शिकार करना या खाना अवैध है। भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने दावा किया कि सुक्खू ने बाद में अपने शब्दों को "जंगली" से "देसी मुर्गा" में बदल दिया था। वहीं, पुलिस ने कहा कि कुलग ग्राम प्रधान सुमन चौहान और एक अन्य स्थानीय नीटू कुमार की शिकायत के आधार पर अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

सीएम का वीडियो हुआ वायरल

पिछले हफ्ते ये वीडियो व्यापक रूप से ऑनलाइन प्रसारित किया गया जिसमें सुक्खू को कथित तौर पर यह कहते हुए सुना गया था, इनको दो जंगली मुर्गा, हमें थोड़ी खाना है। फिर वह अपने साथियों से पूछते हैं कि क्या वे ये पकवान खाना चाहेंगे। वीडियो शिमला जिले के सुदूर टिक्कर इलाके में रिकॉर्ड किया गया था, जहां मुख्यमंत्री पिछले शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्री धनी राम शैंडी और अन्य अधिकारियों के साथ रात्रिभोज कर रहे थे और ये विशेष व्यंजन मेनू में सूचीबद्ध था।

ग्राम प्रधान बोले, देसी मुर्गा था

ग्राम प्रधान सुमन चौहान ने दावा किया कि उनके क्षेत्र में ग्रे जंगलफाउल नहीं पाया जाता है और मुख्यमंत्री ने कहा कि वह 'देसी मुर्गा' का जिक्र कर रहे थे। भाजपा ने इस मामले पर सीएम सुक्खू से माफी की मांग की है, जबकि मुख्यमंत्री ने दावा किया कि स्थानीय ग्रामीणों ने देसी मुर्गा पकाया है और वह इसे दूसरों को दे रहे हैं क्योंकि वह स्वास्थ्य कारणों से मांसाहारी भोजन नहीं खाते हैं। सुक्खू ने कहा कि मांसाहारी खाना गांवों में जीवन जीने का एक तरीका है और इसे मुद्दा बनाने के लिए विपक्षी नेताओं की आलोचना की।

अपनी शिकायत में चौहान ने दावा किया कि ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री के लिए क्षेत्र का पारंपरिक भोजन पकाया था, लेकिन किसी ने इंटरनेट पर नकली मेनू फैला दिया और क्षेत्र की संस्कृति और परंपराओं को बदनाम किया। उन्होंने कहा कि सोशल और प्रिंट मीडिया पर फर्जी खबरों ने ग्रामीणों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। चौहान ने कहा कि हमारे रीति-रिवाजों और परंपराओं को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने इस मामले पर कार्रवाई की मांग की। पुलिस ने कहा कि अज्ञात लोगों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 353 (2) और 356 के तहत नफरत और मानहानि की भावनाओं को बढ़ावा देने के इरादे से झूठी/अफवाह वाली खबरों के प्रकाशन या प्रसार का मामला दर्ज किया गया है।

समोसे के बाद अब जंगली मुर्गा विवाद

भाजपा प्रवक्ता और राज्य सोशल मीडिया प्रभारी चेतन ब्रैगाटा ने कहा, जंगली मुर्गा एक लुप्तप्राय प्रजाति है जो वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 और वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन अधिनियम 2022 की अनुसूची I में सूचीबद्ध है। इस प्रजाति का शिकार करना और खाना अवैध है। धर्मशाला से भाजपा विधायक सुधीर शर्मा ने कहा था कि जब सीआईडी इस बात की जांच कर रही थी कि समोसा जांच रिपोर्ट किसने लीक की, तो जंगली मुर्गा परोसने को लेकर एक नया विवाद सामने आया है। उन्होंने वन विभाग से मामले पर कार्रवाई करने की मांग की।

बता दें कि 21 अक्टूबर को एक कार्यक्रम के दौरान समोसे और केक के तीन डिब्बे गलती से सीएम के बजाय उनके सुरक्षा कर्मचारियों को परोस दिए जाने की घटना ने सीआईडी जांच ने तूल पकड़ लिया था। सीआईडी ने इसे सरकार विरोधी कृत्य करार दिया था।

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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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