जीवन से भरपूर हैं भारतीय संविधान के सभी प्रावधान- बेनेट यूनिवर्सिटी के संविधान सप्ताह का उद्घाटन कर बोले जस्टिस राजेश बिंदल

माननीय न्यायमूर्ति जस्टिस बिंदल ने समारोह में उपस्थित छात्रों को सलाह दी कि वे न केवल महत्वपूर्ण अदालती फैसलों के बारे जानें, बल्कि देश की विभिन्न अदालतों में लंबित मामलों की जानकारी जुटाने के लिए इसके ऑनलाइन डेटाबेस का सहारा लें।

Chief Guest Justice Rajesh Bindal

जस्टिस राजेश बिंदल ने किया बेनेट यूनिवर्सिटी के संविधान सप्ताह का उद्घाटन

भारतीय संविधान की महत्ता प्रदर्शित करने के लिए बेनेट यूनिवर्सिटी का स्कूल ऑफ लॉ, संविधान दिवस समारोह का आयोजन कर रहा है। विश्वविद्यालय कैंपस में हफ्ते भर चलने वाले समारोह 'संविधान सप्ताह' की शुरुआत 18 नवंबर कोहुई। इस कार्यक्रम का उद्घाटन सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस राजेश बिंदल ने किया। समारोह के तहत 'भारत में परिवर्तनकारी संविधानवाद' पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन सहित कई तरह के कार्यक्रमों और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है।
उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति राजेश बिंदल ने कहा कि भारत का संविधान देश की संसद का मार्गदर्शक है। उन्होंने कहा- "संविधान एक स्तर पर जैविक है। हमारे इस कथन का आशय यह है कि इसके सभी प्रावधान जीवन से भरपूर हैं। यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि संविधान तब तक समय की किसी कसौटी पर खरा नहीं उतरेगा, जब तक यह लचीला न हो।”
माननीय न्यायमूर्ति ने कहा कि हमारे संविधान में किए जाने वाले संशोधन महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि बदलते वक्त की जरूरतों के मद्देनजर संविधान जड़ नहीं रह सकता है। न्यायिक समीक्षा के महत्व पर विस्तार से रोशनी डालते हुए माननीय न्यायमूर्ति जस्टिस बिंदल ने कहा- "न्यायिक समीक्षा हमारे संविधान की लंबी उम्र के लिए जरूरी है। यह संविधान के स्थायित्व के बीज बोती है।"
उन्होंने कहा कि आधुनिक प्रौद्योगिकी न्यायिक प्रणाली के विकास और उसमें नए प्रतिमान जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इस संबंध में उन्होंने ई-अदालतों और राष्ट्रीय न्यायिक डेटाबेस का उदाहरण दिया - जो अदालतों में लिए गए फैसलों का दुनिया में सबसे बड़ा भंडार है।
माननीय न्यायमूर्ति जस्टिस बिंदल ने समारोह में उपस्थित छात्रों को सलाह दी कि वे न केवल महत्वपूर्ण अदालती फैसलों के बारे जानें, बल्कि देश की विभिन्न अदालतों में लंबित मामलों की जानकारी जुटाने के लिए इसके ऑनलाइन डेटाबेस का सहारा लें। न्यायमूर्ति बिंदल ने संभावित समाधानों पर अपनी अमूल्य राय देते हुए भारतीय कानूनी प्रणाली में योगदान देने के लिए लॉ स्कूल के छात्रों का स्वागत किया। उन्होंने कानून जगत के लोगों और देश के आम नागरिकों से मौलिक कर्तव्यों के पालन का आह्वान किया, ताकि देश के अधिकांश समस्याओं का समाधान किया जा सके।
संविधान सप्ताह के दौरान बेनेट यूनिवर्सिटी का लॉ स्कूल राष्ट्रीय प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, राष्ट्रीय केस कानून विश्लेषण प्रतियोगिता, राष्ट्रीय पुस्तक समीक्षा प्रतियोगिता, राष्ट्रीय विधायी विश्लेषण प्रतियोगिता, राष्ट्रीय पीआईएल ड्राफ्टिंग प्रतियोगिता, राष्ट्रीय पोस्टर निर्माण प्रतियोगिता, अमेरिकी संसदीय डिबेट और मूट कोर्ट सहित कई गतिविधियां होंगी। इनमें मूट कोर्ट और कानूनी सहायता शिविर के अलावा भारतीय संविधान पर विभिन्न बौद्धिक कानूनी दिग्गजों की वार्ता का आयोजन भी शामिल है।
हफ्ते भर चलने वाले 'संविधान सप्ताह' समारोह में प्रतिदिन अनेक गणमान्य व्यक्तियों समेत विभिन्न कानूनी दिग्गज शिरकत करेंगे। यह समारोह 26 नवंबर, 2023 को सम्मानित मुख्य अतिथि भारत के 45वें मुख्य न्यायाधीश, प्रख्यात न्यायविद् माननीय न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और बेनेट यूनिवर्सिटी के प्रतिष्ठित प्रोफेसरो के समापन भाषण के साथ संपन्न होगा।
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