दुनिया को एकजुट करने के लिए कैलाश सत्यार्थी ने छेड़ा एक नया वैश्विक आंदोलन, सत्यार्थी मूवमेंट फॉर ग्लोबल कम्पैशन का हुआ आगाज

कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि पिछले कई दशकों से, मैं करुणा के वैश्वीकरण की जरूरत पर बात करता रहा हूं। आज एसएमजीसी के साथ हमने उस दिशा में आगे एक और कदम बढ़ा दिया है। मैं आप सभी से आह्वान करता हूं कि आप अपने भीतर छुपी करुणा की उस चिंगारी को पहचानें और इस आंदोलन में शामिल हों।

सत्यार्थी मूवमेंट फॉर ग्लोबल कम्पैशन का हुआ आगाज

नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize) से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी ने नई दिल्ली में आयोजित लॉरेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रन कॉन्क्लेव में एक नई वैश्विक पहल 'सत्यार्थी मूवमेंट फॉर ग्लोबल कम्पैशन'(SMGC) का आगाज किया। नोबेल पुरस्कार विजेताओं और नेताओं, व्यवसायों, शिक्षाविदों, युवाओं और नागरिक समाज को साथ लेकर छेड़े गए करुणा के इस नए आंदोलन का उद्देश्य, टूटन और बिखराव जैसी चुनौतियों का सामना कर रही दुनिया को एकजुट करके एक न्यायपूर्ण, समावेशी और पक्षपात रहित विश्व का निर्माण करना है।

दुनिया को करुणा से ही किया जा सकता है एकजुट- सत्यार्थी

एसएमजीसी की शुरुआत ऐसे वक्त में हुई है जब दुनिया कई बड़ी वैश्विक चुनौतियों से जूझ रही है। इस अवसर पर बोलते हुए, एसएमजीसी के संस्थापक सत्यार्थी ने कहा कि पिछले कई दशकों से, मैं करुणा के वैश्वीकरण की जरूरत पर बात करता रहा हूं। आज एसएमजीसी के साथ हमने उस दिशा में आगे एक और कदम बढ़ा दिया है। मैं आप सभी से आह्वान करता हूं कि आप अपने भीतर छुपी करुणा की उस चिंगारी को पहचानें और इस आंदोलन में शामिल हों। टूटन और बिखराव से त्रस्त हमारी इस दुनिया को करुणा ही एकजुट कर सकती है।

उन्हें ऐसा क्यों लगता है कि विश्व को आज करुणा के एक आंदोलन की आवश्यकता है, के उत्तर में सत्यार्थी ने कहा कि दुनिया आज जितनी समृद्ध और एक दूसरे से जितनी जुड़ी हुई है, उतनी पहले कभी नहीं रही। लेकिन इसके साथ ही बिखराव, युद्ध, गैर-बराबरी, नफरत, जलवायु संकट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के संभावित खतरों जैसी चुनौतियां भी तेजी से बढ़ती जा रही है। इसके सबसे बड़े शिकार हमेशा बच्चे ही होते हैं। संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (SDG) पटरी से उतर गए हैं। अभूतपूर्व धन, संसाधन और ज्ञान के बावजूद, ये समस्याएं क्यों बनी हुई हैं? संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाएं, विश्व की सरकारें और दुनिया के सबसे अमीर लोग, इसे एकजुट रखने में बुरी तरह असफल रहे हैं।

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