इस राजा ने जारी की थी 'लक्ष्मी' की मुद्रा, तंजावुर मंदिर-कोर्णाक रथ-सांची स्तूप को मिली है नोट पर जगह

Ganesh And Lakshmi Image on Indian Rupee: भारत में मुद्रा, सिक्कों और नोटों का इतिहास देखा जाय, तो सिंधु घाटी सभ्यता से इसके सबूत मिलते हैं। और उस दौर से मुद्राओं पर विभिन्न आकृतियां उकेरी जाती हैं। साल 1947 में आजादी मिलने के बाद भारत में आधुनिक मुद्रा प्रणाली की शुरूआत हुई। और साल 1949 में भारत सरकार के एक रूपये के नए नोट से आधुनिक मुद्रा प्रणाली का आगाज हुआ।

मुख्य बातें
  • कल्चुरि शासक गांगेय देव ने स्वर्ण सिक्के जारी किए थे। जिसे 'आसानरू लक्ष्मी' सिक्के कहा जाता है।
  • 14वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य के समय कुछ खास स्वर्ण सिक्कों पर तिरूपति भगवान वेंकटेश्वर की तस्वीर उकेरी होती थी।
  • 1950 में गणतंत्र बने भारत में 2,5,10 और 100 के नोट जारी किए गए। जिन पर अशोक स्तंभ की तस्वीर अंकित की गई।

Ganesh And Lakshmi Image on Indian Rupee:गुजरात चुनावों की आहट के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal)की एक मांग ने नई बहस छेड़ दी है। उन्होंने मोदी सरकार से खास मांग करते हुए कहा है कि कि भारतीय नोटों (Indian Notes)पर महात्मा गांधी की फोटो के साथ ही भगवान गणेश और मां लक्ष्मी जी (Ganesh And Lakshmi Image) की तस्वीर भी छापी जाए। केजरीवाल का दावा है कि इससे भारतीय इकोनॉमी को रफ्तार मिलेगी। केजरीवाल की इस मांग पर केंद्र सरकार और आरबीआई कितना गौर करते हैं, यह तो वक्त बताएगा। लेकिन भारत में मुद्रा, सिक्कों और नोटों का इतिहास देखा जाय, तो सिंधु घाटी सभ्यता से इसके सबूत मिलते हैं। और उस दौर से मुद्राओं पर विभिन्न आकृतियां उकेरी जाती हैं। जहां तक सिक्कों पर लक्ष्मी जी की आकृति की बात है तो ऐसा प्रमाण कल्चुरि वंश के शासक गांगेयदेव की मुद्राओं में मिलता है। जिन्होंने 'आसानरू लक्ष्मी' सिक्के जारी किए थे। उसके बाद आजाद भारत में भी कई मंदिरों की तस्वीरों को भारतीय नोट पर जगह मिली।

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कैसे थे 'आसानरू लक्ष्मी' सिक्के

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भारतीय रिजर्व बैंक के म्यूजियम द्वारा जारी की गई जानकारी के अनुसार, कल्चुरि शासक गांगेय देव ने स्वर्ण सिक्के जारी किए थे। जिसे 'आसानरू लक्ष्मी' सिक्के कहा जाता है। इस सिक्के पर मुख भाग पर माता लक्ष्मी की तस्वीर उकेरी गई थी। भारतीय इतिहास में कल्चुरि वंश के शासक गांगेय देव का काल 1019 ईंसवी के करीब था। जो आज के छत्तीसगढ़ के त्रिपुरी से शासन करता था। उसका राज्य आधुनिक छत्तीसगढ़, उड़ीसा के अलावा बिहार और बंगाल के कुछ क्षेत्रों में भी कुछ समय तक स्थापित था।

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