'कितने मार दिए अब नहीं गिनता', कांकेर में नक्सलियों की कमर तोड़ने वाले इंस्पेक्टर लक्ष्मण केवट ने सुनाया एनकाउंटर का किस्सा
Kanker Encounter : नक्सलियों के खिलाफ रणनीति बनाने में महारत के चलते ही यूनिट में इनका पहचान 'एनकाउंटर मास्टरमाइंड' की है। लक्ष्मण अब तक नक्सलियों के खिलाफ चलाए गए कई अभियानों में शामिल हो चुके हैं।
कांकेर में इंस्पेक्टर केवट लक्ष्मण के नेतृत्व में चला अभियान।
- बस्तर इलाके के कांकेर में गत मंगलवार को नक्सलियों और सुरक्षाबलों के बीच हुआ मुठभेड़
- करीब चार घंटे तक चले इस भीषण मुठभेड़ में 15 महिला नक्सली सहित 29 नक्सली मारे गए
- इस अभियान का नेतृत्व इंस्पेक्टर लक्ष्मण केवट ने किया, केवट को 6 वीरता पदक मिल चुके हैं
Laxman Kewat : छत्तीसगढ़ का कांकेर मुठभेड़ नक्सलियों के लिए अब तक की सबसे भयावह त्रासदी साबित हुई है। करीब चार घंटे तक दोनों तरफ से चली भीषण गोलीबारी में नक्सलियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। गत मंगलवार को हुए इस मुठभेड़ में सुरक्षाबल भारी पड़े और 15 महिला नक्सली सहित 29 नक्सलियों को मार गिराया। दिलचस्प बात यह रही कि इस ऑपरेशन में सुरक्षाबलों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। साथ ही इस अभियान में अहम भूमिका निभाने वाले इंस्पेक्टर लक्ष्मण केवट की खूब तारीफ हो रही है। नक्सलियों के खिलाफ अभियान में केवट अपनी महारत दिखा चुके हैं। अपनी दिलेरी के लिए इन्हें अब तक 6 बार वीरता पदक मिल चुका है। कांकेर एनकाउंटर की रणनीति एवं योजना भी इन्होंने बनाई।
यूनिट में केवट की पहचान 'एनकाउंटर मास्टरमाइंड' की
नक्सलियों के खिलाफ रणनीति बनाने में महारत के चलते ही यूनिट में इनका पहचान 'एनकाउंटर मास्टरमाइंड' की है। लक्ष्मण अब तक नक्सलियों के खिलाफ चलाए गए कई अभियानों में शामिल हो चुके हैं। कांकेर मुठभेड़ से पहले इनके नाम 44 नक्सलियों को मार गिराने का रिकॉर्ड है। रिपोर्टों के मुताबिक कांकेर के पुलिस अधीक्षक कल्याण एलेसेला ने कहा कि इस मुठभेड़ का ताना-बाना इंस्पेक्टर केवट ने बुना था और इन्हीं के नेतृत्व में मुठभेड़ हुई जिसमें 29 नक्सली मारे गए।
'लिबरेटेड जोन' में जाने का साहस किसी का नहीं होता
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक केवट ने कहा, 'कोटारी नदी के उस पार पहाड़ी पर जाने की हिम्मत किसी की नहीं होती। इसे नक्सलियों का 'लिबरेटेड जोन' कहा जाता है। लोगों को यहां जाने के लिए नक्सलियों से इजाजत लेनी पड़ती है। हमें यहां नक्सलियों के होने की पक्की सूचना मिली। इसके बाद हमने ऑपरेशन लॉन्च करने और उनके कोर जोन में जाने का फैसला किया। सूचना मिली कि यहां अलग-अलग कमेटियों के नक्सली जुटे हैं।
300 मीटर रेंगकर नक्सलियों तक पहुंचे जवान
बस्तर के नक्सली इलाकों की चप्पे-चप्पे की जानकारी रखने वाले केवट बीएसएफ और डीआरजी के 200 जवानों को लेकर अभियान पर रवाना हुए। उन्होंने कहा, 'सुबह के वक्त जब हमने उन्हें घेरने की कोशिश की तो संघम के एक सदस्य ने एक विस्फोट किया। इससे नक्सली अलर्ट हो गए। इसके बाद हम कुछ घंटों तक शांत बैठ गए। वहां पसीना हो रहा था, गर्मी और आद्रता थी। फिर भी हम छोटे-छोटे कदमों से धीरे-धीरे आगे बढ़े। तब तक और समय बीत गया था। नक्सलियों को लगा कि वे अब खतरा नहीं है और वे आराम कर सकते हैं।' केवट ने आगे बताया कि नक्सलियों तक पहुंचने के लिए जवान करीब 300 मीटर तक रेंगकर आगे बढ़े।
'हमने उन्हें संभलने का मौका नहीं दिया'
केवट ने आगे कहा, 'हम जंगल में चारो तरफ थे लेकिन नक्सली हमसे ज्यादा जंगल को जानते हैं। यहां तक कि एक सुई के गिरने पर भी वे अलर्ट हो जाते हैं। कुछ दूरी से हमने उन्हें खतरा भांपते हुए देख लिया। इसी बीच नक्सलियों की तरफ से चलाई गई एक गोली हमारे बीएसएफ के एक जवान को लगी। इसी बीच, दो और जवान हमारे घायल हो गए। फिर क्या था हमने जवाबी कार्रवाई शुरू की। हमने उन्हें संभलने का मौका नहीं दिया।'
मैंने अभियान को कमजोर पड़ने नहीं दिया-केवट
केवट ने आगे बताया कि उनकी आंखों के सामने उनके जवान घायल हो रहे थे लेकिन उन्होंने अभियान को कमजोर नहीं पड़ने दिया। वे नक्सलियों की तरफ गोलियों की बौछार करते रहे। उन्होंने कहा, 'मैं ईश्वर से यही मना रहा था कि मेरी प्रत्येक गोली नक्सलियों को लगे।' यह पूछे जाने पर उन्होंने कितने नक्सलियों को ढेर किया। इस पर उन्होंने कहा, 'मैंने कितने नक्सली मारे, अब मैं इसकी गिनती नहीं करता। मेरी नजर हमेशा बड़ी सफलताओं पर रहती है।'
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