जिस शख्स पर लगा था पाकिस्तान की जासूसी करने का आरोप, अब वो बनेगा न्यायाधीश
उत्तर प्रदेश के कानपुर के रहने वाले प्रदीप कुमार पर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का आरोप लगा था। इस मामले में वो बरी हो गए थे। बरी होने के बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश उच्च न्यायिक सेवा के लिए परीक्षा दी थी, जिसमें वो पास हो गए थे, लेकिन नियुक्ति पत्र नहीं मिला था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
उत्तर प्रदेश में एक ऐसे शख्स के जज बनने का रास्ता साफ हो गया है, जिस पर कभी पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का आरोप लगा था। शख्स जासूसी के आरोप से बरी हो चुका है और अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसका जज बनने का रास्ता भी साफ कर दिया है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में जासूसी के आरोप से बाइज्जत बरी एक व्यक्ति को अपर जिला जज के तौर पर नियुक्त करने का राज्य सरकार को निर्देश दिया है।
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15 जनवरी तक नियुक्ति पत्र जारी करने का आदेश
पाकिस्तान के लिए जासूसी करने और राजद्रोह के दो मुकदमों में आरोपी रहे इस व्यक्ति को निचली अदालत द्वारा बरी कर दिया गया था। अदालत ने राज्य सरकार को याचिकाकर्ता को अपर जिला जज (उच्च न्यायिक सेवा काडर के तहत) के पद पर नियुक्ति पत्र 15 जनवरी 2025 तक जारी करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता ने 2017 में उच्च न्यायिक सेवा परीक्षा सफलतापूर्वक उत्तीर्ण की थी।
कोर्ट ने क्या कहा
प्रदीप कुमार नाम के व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर यह आदेश पारित करते हुए न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति डी. रमेश की पीठ ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता को दो आपराधिक मामलों में ‘बाइज्जत बरी’ कर दिया गया था और दोनों ही मामलों में आरोपों में कोई सत्यता नहीं पाई गई।’’
अदालत ने राज्य सरकार को दो सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता का आचरण सत्यापन कराने और सभी औपचारिकताएं पूरी कर 15 जनवरी 2015 तक नियुक्ति पत्र जारी करने का निर्देश दिया।
2016 में दी थी परीक्षा
याचिकाकर्ता ने उत्तर प्रदेश उच्च न्यायिक सेवा (सीधी भर्ती) परीक्षा, 2016 के लिए आवेदन किया था जिसमें उसने अपने खिलाफ चले दो मुकदमों (एक जासूसी और दूसरा राजद्रोह) और उन मुकदमों में छह मार्च 2014 को बरी किए जाने का उल्लेख किया था। ये मुकदमे कोतवाली, कानपुर नगर में वर्ष 2002 में दर्ज किए गए थे। याचिकाकर्ता ने चयन प्रक्रिया में भाग लिया और उसे सफल घोषित किया गया। इसके बाद 18 अगस्त 2017 को उच्च न्यायालय ने चयनित अभ्यर्थियों की सूची राज्य सरकार को भेजी और नियुक्ति की सिफारिश की। हालांकि, याचिकाकर्ता को नियुक्ति पत्र जारी नहीं किया गया।
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