Kanwar Yatra Row: कांवड़ यात्रा नेमप्लेट विवाद, यूपी सरकार के फरमान पर जारी रहेगी SC की रोक, अब 5 अगस्त को सुनवाई
Kanwar Yatra Name Plate Row : सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हमारा आदेश साफ है। अगर कोई अपनी मर्जी से दुकान के बाहर अपना नाम लिखना चाहता है तो हमने उसे रोका नहीं है। हमारा आदेश था कि नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट में अब पांच अगस्त को होगी सुनवाई।
- कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों के सामने नेमप्लेट लगाने के आदेश पर रोक जारी रहेगी
- मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मर्जी से कोई नेमप्लेट लगा सकता है
- उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को एक हफ्ते में जवाब दाखिल करने के लिए कहा
Kanwar Yatra Name Plate Row : कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों के सामने नेमप्लेट लगाने के फरमान पर रोक जारी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि नेम प्लेट विवाद में उसका अंतरिम आदेश जारी रहेगा। साथ ही कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को एक हफ्ते में जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। मामले में अगली सुनवाई अब 5 अगस्त को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हमारा आदेश साफ है। अगर कोई अपनी मर्जी से दुकान के बाहर अपना नाम लिखना चाहता है तो हमने उसे रोका नहीं है। हमारा आदेश था कि नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
तीन ढाबों का उदाहरण दिए
उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने जवाब में इन तीन ढाबों का उदाहरण दिए हैं। इन तीनों का नाम शाकाहारी ढाबे, हिंदू नाम वाले हैं लेकिन इनके ओनर मुस्लिम हैं। याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक मनु सिंहवी ने कहा कि मुझे यूपी का जवाब आज सुबह मिला है। यूपी की तरफ से वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि यूपी ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है। मध्य प्रदेश ने कहा कि उनके प्रदेश मे ऐसा नहीं हुआ सिर्फ उज्जैन म्युनिसिपल ने जारी किया था लेकिन कोई दबाव नहीं डाला गया है। सिंघवी ने कहा कि यूपी सरकार ने अपने जवाब में खुद स्वीकार किया है कि भेदभाव हो रहा है, भले ही कम समय के लिए ही
ऐसा कानून है तो पूरे देश में इसे लागू होना चाहिए-SC
यूपी सरकार के वकील में कहा हमने जो किया उसके लिए केंद्रीय कानून है तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसा कानून है तो पूरे देश में इसे लागू होना चाहिए, इस साल ही अचानक से ऐसा क्यों किया गया? वो अचानक से एक खास इलाके में हो क्यों? इस पर उत्तराखंड के वकील ने कहा कि यह कहना गलत है कि मालिक का नाम प्रदर्शित करने के लिए कोई कानून नहीं है। यूपी सरकार ने इस बात पर आपत्ति जताई कि सुप्रीम कोर्ट ने बिना हमारा पक्ष सुने आदेश दे दिया। उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि हमें शिव भक्त कांवड़ियों के भोजन की पसंद का भी सम्मान करना चाहिए। नाम प्रदर्शित करने की मांग को लेकर यूपी सरकार के समर्थन मे दाखिल एक याचिका के वकील ने कहा कि -
- होटल के अंदर जाने पर हमने पाया कि कर्मचारी अलग हैं
- मांसाहारी भोजन परोसा जाता है
- मैं अपने मौलिक अधिकार के बारे में चिंतित हूं
- स्वेच्छा से यदि कोई प्रदर्शन करना चाहता है, तो उसे ऐसा करने की अनुमति होनी चाहिए
- अंतरिम आदेश में इस पर रोक लगाई गई है
- हम भक्तों को दिक्कत हो रही है
- नाम दुर्गा या सरस्वती ढाबा रखा गया है
- तो हम मानकर चलते हैं कि शाकाहारी खाना होगा
योगी सरकार का एससी में हलफनामा
मामले में अपने फरमान को लेकर योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। इस हलफनामे में सरकार ने कहा कि यह निर्देश कांवड़ यात्रा को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराने और व्यापक पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए दिया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि इस निर्देश के पीछे उद्देश्य पारदर्शिता और यात्रा के दौरान उपभोक्ता/कांवड़ियों द्वारा खाए जाने वाले भोजन के बारे में उनकी धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए उनकी पसंद को सूचित करना है, ताकि वे गलती से भी अपनी आस्था के विरुद्ध न जाएं।
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4.07 करोड़ से अधिक कांवरिया भाग लेते हैं-योगी सरकार
उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है कि प्रेस विज्ञप्ति शांतिपूर्ण कांवड यात्रा के संचालन के लिए थी। प्रेस विज्ञप्ति पूरी तरह से कांवड यात्रा के शांतिपूर्ण समापन को सुनिश्चित करने के हित में जारी की गई थी, जिसमें सालाना 4.07 करोड़ से अधिक कांवरिया भाग लेते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है कि वह किसी भी धर्म के लोगों की धार्मिक भावनाओं की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि हमारे संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध होने के नाते, प्रत्येक व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं की रक्षा करता है, चाहे उसका धर्म कुछ भी हो। राज्य यह सुनिश्चित करने के लिए हमेशा कदम उठाता है कि सभी धर्मों के त्योहार शांतिपूर्ण ढंग से मनाए जाएं।
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यह एक अतिरिक्त उपाय मात्र
यूपी सरकार ने अपने जवाब मे कहा है कि राज्य द्वारा जारी निर्देश दुकानों और भोजनालयों के नामों से होने वाले भ्रम के बारे में कांवड़ियों की ओर से मिली शिकायतों के बाद किए गए थे। ऐसी शिकायतें मिलने पर पुलिस अधिकारियों ने तीर्थयात्रियों की चिंताओं को दूर करने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कार्रवाई की थी। यूपी सरकार ने कहा है कि राज्य ने खाद्य विक्रेताओं के व्यापार या व्यवसाय पर कोई प्रतिबंध या निषेध नहीं लगाया है (मांसाहारी भोजन बेचने पर प्रतिबंध को छोड़कर), और वे अपना व्यवसाय सामान्य रूप से करने के लिए स्वतंत्र हैं। मालिकों के नाम और पहचान प्रदर्शित करने की आवश्यकता पारदर्शिता सुनिश्चित करने और कांवड़ियों के बीच किसी भी संभावित भ्रम से बचने के लिए एक अतिरिक्त उपाय मात्र है।
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