कांवड़ यात्रा नेमप्लेट मामला: महुआ मोइत्रा ने किया सुप्रीम कोर्ट का रुख, योगी सरकार के खिलाफ दी ये दलीलें
इस बीच, सावन महीने की शुरुआत के साथ सोमवार 22 जुलाई से शुरू हुई कांवड़ यात्रा के लिए कई राज्यों में व्यापक व्यवस्था की गई है। इस दौरान लाखों शिवभक्त हरिद्वार पहुंचते हैं और गंगा से पवित्र जल लेकर जाते हैं।
महुआ मोइत्रा
Kanwar Yatra Nameplate Case: तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है जिसमें कहा गया है कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर भोजनालयों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने होंगे। मोइत्रा ने अपनी याचिका में दोनों राज्य सरकारों द्वारा जारी आदेश पर रोक लगाए जाने का आग्रह करते हुए कहा कि ऐसे निर्देश समुदायों के बीच विवाद को बढ़ावा देते हैं। याचिका को अभी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाना बाकी है।
महुआ की याचिका में ये दलील
इसमें आरोप लगाया गया है कि संबंधित आदेश मुस्लिम दुकान मालिकों और कारीगरों के आर्थिक बहिष्कार और उनकी आजीविका को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से जारी किया गया है। बता दें कि यूपी सरकार के आदेश पर सियासी विवाद मचा हुआ है। सपा, कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों ने इसे मुस्लिम भेदभाव से जोड़ते हुए फैसले का विरोध किया है। केंद्र में एनडीए की सहयोगी आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने भी इस फैसले का विरोध किया है।
आज से कांवड़ यात्रा शुरू
इस बीच, सावन महीने की शुरुआत के साथ सोमवार 22 जुलाई से शुरू हुई कांवड़ यात्रा के लिए कई राज्यों में व्यापक व्यवस्था की गई है। इस दौरान लाखों शिवभक्त हरिद्वार पहुंचते हैं और गंगा से पवित्र जल अपने घर ले जाने के साथ ही उससे अपने यहां के मंदिरों में भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने 22 जुलाई से शुरू होने वाली कांवड़ यात्रा के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए कई उपायों की घोषणा की। योगी सरकार ने आदेश दिया कि कांवड़ मार्गों पर खाद्य और पेय पदार्थों की दुकानों पर संचालक/मालिक का नाम और पहचान प्रदर्शित की जाए ताकि तीर्थयात्रियों की आस्था की पवित्रता बनी रहे। इसके अतिरिक्त, हलाल-प्रमाणित उत्पाद बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
सबसे पहले मुजफ्फरनगर पुलिस ने दिए आदेश
सबसे पहले, मुजफ्फरनगर पुलिस ने कांवड़ मार्ग पर सभी भोजनालयों से अपने मालिकों और कर्मचारियों के नाम स्वेच्छा से प्रदर्शित करने का आग्रह किया था, साथ ही कहा कि इस आदेश का उद्देश्य किसी भी तरह का धार्मिक भेदभाव पैदा करना नहीं है, बल्कि केवल भक्तों की सुविधा के लिए है। सहारनपुर के डीआईजी अजय कुमार साहनी ने कहा कि पहले भी ऐसे मामले सामने आए हैं, जब कांवड़ियों के बीच होटल और ढाबों पर खाने की रेट लिस्ट को लेकर बहस हुई है।
इसके अलावा, ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जहां किसी होटल/ढाबे पर नॉनवेज मिलता है या किसी दूसरे समुदाय के व्यक्ति ने किसी और नाम से होटल/ढाबा खोल लिया है और इससे विवाद हुआ है। इसके मद्देनजर, यह निर्णय लिया गया कि दुकानों/होटल/ढाबों के मालिक/मालिक का नाम बोर्ड पर स्पष्ट रूप से लिखा जाएगा, रेट लिस्ट स्पष्ट रूप से लिखी जाएगी और काम करने वालों के नाम भी स्पष्ट रूप से लिखे जाएंगे, ताकि किसी भी तरह की कोई समस्या न हो...सभी से बातचीत की गई है और सभी होटल/ढाबे इस पर सहमत हो गए हैं...हमारे कांवड़ मार्ग के लिए यह निर्णय लिया गया है।
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