Kargil Full Story: पाकिस्तान को कारगिल युद्ध से आखिर क्या मिला? समझिए इसका जवाब

Kargil War Full Story: साल 1999 में जब पाकिस्तान ने भारत की जमीन पर कब्जा करने की गुस्ताखी की, तो उसकी मंशा आखिर क्या थी और उसने ये सब करके आखिर क्या हासिल किया? आपको बताते हैं कि आखिर कारगिल युद्ध क्यों हुआ था और पाकिस्तान की सबसे बड़ी गलती का क्या अंजाम हुआ।

Kargil War

भारत-पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध क्यों हुआ था?

Kargil Vijay Diwas News: भारतीय सैनिकों को ये खबर मिली थी कि भारतीय सीमा में घुसकर पाकिस्तानी फौजियों और कश्मीरी आतंकियों ने कारगिल की जोटी पर कब्जा कर लिया है। तकरीबन 5 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर डेरा डाल लिया था। भारतीय सेना को इस घुसपैठ की सूचना एक भारतीय चरवाहे ने दी थी।

पाकिस्तानी फौजियों ने 5 भारतीय जवानों की हत्या कर दी

चरवाहे से मिली जानकारी की जांच के लिए पेट्रोलिंग टीम गई तो, पाकिस्तानी फौजियों ने 5 भारतीय जवानों को पकड़ लिया और उनकी हत्या कर दी। पाकिस्तान की इस हिमाकत के बाद युद्ध होना लाजमी था। पाक समर्थित आतंकियों और पाकिस्तानी सैनिकों ने लाइन ऑफ कंट्रोल (भारत-पाकिस्तान की वास्तविक नियंत्रण रेखा) को पार कर उन भारतीय चौकियों पर कब्जा करना शुरू कर दिया, जिन्हें भारतीय सेना सर्द मौसम में खाली कर दिया करती थी। पाकिस्तान ने भारत से किए सीमा समझौते को तोड़ दिया और तभी हिन्दुस्तान की तत्कालीन सरकार ने पड़ोसी मुल्क को सबक सिखाने का फैसला लिया।

भारतीय सेना ने शुरू किया विजय अभियान

घुसपैठियों को खदड़ने के लिए 8 मई, 1999 को भारतीय सेना ने विजय अभियान शुरू किया। भारतीय सीमा में घुस आई पाकिस्तानी फौज को खदड़ना इस अभियान की पहली जिम्मेदारी थी, जिसके लिए सैनिकों ने तुरंत मोर्चा संभाला लिया। लेकिन भारतीय सेना के सामने एक मुश्किल थी। दुश्मनों की फौज ऊची पहाड़ियों पर बैठी हुई थी, जहां से लगातार गोलियां बरसा रही थी। वहीं भारतीय सैनिक नीचे की तरफ थे, दुश्मन का मुकाबला करने के लिए जवानों को चट्टानों की आड़ लेकर रात में चढ़ाई करनी पड़ती थी। उस वक्त काफी सूझबूझ और शानदार युद्ध नीति से दुश्मन का सामना करना पड़ा।

कारगिल की आड़ में क्या थी परवेज मुशर्रफ की सोच?

भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध की शुरुआत हो चुकी थी। पाकिस्तान के तत्कालिन सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ उस वक्त ये सोचते थे कि अगर उनके सैनिकों ने कारगिल पर कब्जा कर लिया, तो सियाचिन की सप्लाई कट जाएगी और भारत की सेना को सियाचिन से बाहर निकलने पर मजबूर देंगे। मगर परवेज मुशर्रफ की ये चाल नाकाम हुई। लेह-लद्दाख को भारत से जोड़ने वाली सड़क पर नियंत्रण करना घुसपैठियों का असल मसकद था, लेकिन भारतीय जाबाजों ने पाकिस्तान के मंसूबों पर पानी फेर दिया। सवाल यही है कि आखिर पाकिस्तान को कारगिल युद्ध से क्या मिली? उसने साल 1971 में भारत से हुए समझौते को तोड़कर अपना भरोसा खो दिया, अपने हजारों सैनिकों की आग में झोंक दिया और सबसे बड़ी बात कि युद्ध के बाद उसने खुद माना कि कारगिल उसकी एक गलती का नतीजा था।

जब भारतीय सेना ने कारगिल को तीनों तरफ से घेरा

घुसपैठियों को खदड़ने के लिए करीब 60 दिनों तक भारतीय सेना ने कारगिल में युद्ध लड़ा। 8 मई से शुरू हुए युद्ध का अंत 26 जुलाई को हुआ था। भारतीय सेना ने युद्ध के दौरान पाकिस्तान का मनोबल पूरी तरह तोड़ कर रखा था। भारतीय सेना के जवानों ने 2 जुलाई के दिन कारगिल को तीनों तरफ से घेर लिया। दोनों ओर से खूब गोलीबारी और बमबारी हुई। भारत ने धीरे-धीरे कर सभी पोस्ट पर अपना कब्जा वापस जमा लिया था और आखिरकार भारत के शूरवीरों ने अपने दुश्मनों को उनकी औकात याद दिला दी और पाकिस्तानी सेना युद्ध का मैदान छोड़कर भाग खड़ी हुई।

भारत के करीब 527 सैनिक हो गए शहीद

भारतीय सेना ने करीब 18 हजार फीट की ऊंचाई पर इस ऑपरेशन में पाकिस्तानी सेना को करारी शिकस्त दी थी। इस युद्ध में भारत के करीब 527 सैनिक शहीद हो गए और 1300 से अधिक जवान घायल हुए। वहीं पाकिस्तानी सैनिकों के बार में अलग-अलग दावे किए जाते हैं। युद्ध के बाद कहा जाता रहा कि पाकिस्तान के सिर्फ 375 सैनिक मारे गए हैं, वहीं साल 2010 में पाकिस्तान की ओर से कारगिल में मारे गए सैनिकों की लिस्ट जारी की गई जिसमें 453 नाम शामिल थे। हालांकि कई रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 2000 से ज्यादा सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था।

26 जुलाई को मनाया जाता है कारगिल विजय दिवस

कारगिल में भारतीय जवानों ने अपनी जान की कुर्बानी की बदौलत ही तिरंगा फहराया। देश की जनता को तत्कालिन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ऑपरेशन विजय में मिली जीत की जानकारी दी। 26 जुलाई को कारगिल युद्ध का अंत हुआ, जब हिंदुस्तान के सैनिकों ने पाकिस्तान को खदेड़ दिया। कारगिल युद्ध में विजय और शहीद जवानों के सम्मान में 26 जुलाई को विजय दिवस मनाया जाता है।
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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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