कर्नाटक के सीएम मदमस्त और महाराष्ट्र सरकार नामर्द, सीमा विवाद पर 'सामना' में तंज- निशाना

महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच बेलगांव के मुद्दे पर विवाद है। कर्नाटक ने जब कहा कि एक एक इंच जमीन की हिफाजत करेंगे तो महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि एक एक इंच जाने हमारे लिए कीमती है। महाराष्ट्र के हितों से किसी तरह का समझौता नहीं तो सामना में संपादकीय में शिवसेना ने मौजूदा सरकार को नामर्द सरकार करार दिया।

उद्धव ठाकरे

महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच बेलगांव का मुद्दा(Maharashtra karnataka border dispute) एक बार फिर गरमा गया है। दोनों जगह बीजेपी की सरकार है। एक तरफ कर्नाटक के सीएम बी आर बोम्मई(karnataka cm b r bommai) का कहना है कि बेलगांव(Belgaon) हमारा अटूट अंग है तो महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे( Maharshtra cm eknath shinde) ने कहा कि एक एक इंच की हिफाजत करेंगे। इन सबके बीच शिवसेना ने सामना में संपादकीय(Saamna editorial) में शिंदे सरकार पर निशाना साधा है। महाराष्ट्र के आराध्य देवताओं की एक तरफ बदनामी करते रहना, उसी समय महाराष्ट्र के सीमाई क्षेत्र को निगलने की साजिश रची जाती है। ऐसा खुलासा अब हो चुका है। राज्यपाल कोश्यारी और भाजपाई नेता सुधांशु त्रिवेदी ने छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान करके महाराष्ट्र की भावनाओं को ठेस पहुंचाया। यह प्रकरण गर्म रहने के दौरान ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री बोम्मई ने सांगली, सोलापुर जिले के कई गांवों पर दावा ठोककर महाराष्ट्र की मिंधे सरकार को चुनौती दी। ऐसी मदमस्ती इससे पहले कर्नाटक के किसी भी मुख्यमंत्री ने नहीं दिखाई थी। राज्य में कमजोर, अशक्त, गैरकानूनी ‘खोखे’ सरकार के आने के बाद से अन्य राज्यों ने महाराष्ट्र पर हमला शुरू कर दिया है। पड़ोसी गुजरात राज्य महाराष्ट्र से उद्योग-व्यवसाय छीनकर ले जा रहा है तो कर्नाटक जैसा राज्य महाराष्ट्र के भूभागों को निगलने की बात कर रहा है और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री इन तमाम मुद्दों पर चुप रहकर सरकार बचाने के लिए ज्योतिषाचार्यों के दरबार में बैठे हैं।

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करीब 75 साल पुराना विवाद

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महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद बीते 70-75 वर्षों से अनसुलझा पड़ा है। संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन के समय महाजन कमीशन के अन्याय के खिलाफ मराठी सीमाई बंधुओं ने असंख्य लड़ाइयां लड़ीं, बलिदान दिए, परंतु सीमाई क्षेत्र के मराठी बंधुओं को न्याय नहीं मिल रहा है, बल्कि उन पर जुल्म-अत्याचार बढ़ता ही जा रहा है। सीमाई क्षेत्र का पूरी तरह कानड़ीकरण करके मराठी भाषा, संस्कृत के अस्तित्व को नष्ट करने का अघोरी प्रयास चल रहा है। प्रकरण सर्वोच्च न्यायालय में पहुंच गया है और ‘तारीख पे तारीख’ के पेच में फंस गया है। उस पर अब कर्नाटक के भाजपाई मुख्यमंत्री बोम्मई महाशय महाराष्ट्र के जत, अक्कलकोट आदि गांवों को कर्नाटक में खींचने की बात करते हैं। महाराष्ट्र की अस्मिता का यह ऐसा घोर अपमान होने के बाद भी ‘खोखे’ गुट का एक भी स्वाभिमानी विधायक आक्रोशित होकर उठता नहीं दिख रहा है। भाजपा के विधायक और मंत्री इस पर मराठी स्वाभिमान की मुंहतोड़ भूमिका अख्तियार करेंगे, ऐसी अपेक्षा ही नहीं करनी चाहिए। अर्थात भाजपा के एक मुंहफट मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने हमेशा की तरह इस समस्या का ठीकरा भी पंडित नेहरू पर फोड़ा है।

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