Karnataka Chunav 2023: रुझानों से मिले संकेत, इन वजहों से कर्नाटक की सत्ता में वापसी कर रही कांग्रेस

Karnataka Assembly Election result 2023 live updates : भाजपा ने कर्नाटक चुनाव मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई के नेतृत्व में लड़ा है लेकिन उसे अपनी सत्ता बचाना मुश्किल हो गया। बोम्मई भी राज्य के लिंगायत समुदाय से आते हैं लेकिन ऐसा लगता है कि उनके समाज पर बीएस येदियुरप्पा जैसा करिश्मा काम नहीं किया। येदियुरप्पा के हाथ में चुनाव की कमान होती और वे पूरी तरह से सक्रिय होते तो भाजपा को शायद इतना नुकसान नहीं उठाना पड़ता।

Karnataka Assembly Election result 2023

कर्नाटक में एक चरण में 10 मई को हुआ मतदान।

Karnataka Assembly Election result 2023 live updates : कर्नाटक में विधानसभा की 224 सीटों के लिए मतगणना का काम जारी है। सभी सीटों के रुझान भी आने लगे हैं। अब तक आए रुझानों को देखें तो दक्षिण के इस राज्य में कांग्रेस बड़ी जीत दर्ज करने जा रही हैं। रुझानों में वह 115 सीटों पर आगे चल रही है। कर्नाटक में सरकार बनाने के लिए 113 सीटों की जरूरत है। जाहिर है कि ये रुझान अगर नतीजों में तब्दील हो गए तो कर्नाटक की सत्ता में कांग्रेस की वापसी हो जाएगी। कर्नाटक चुनाव नतीजे के कई सियासी मायने हैं। ये नतीजे राष्ट्रीय राजनीति को तो प्रभावित करेंगे ही, साथ ही ये चुनाव परिणाम कांग्रेस के लिए संजीवनी की तरह काम करेंगे। अब तक के रुझानों से जो बातें निकल कर सामने आ रही हैं, उसे हम यहां समझने का प्रयास करेंगे-

नहीं चला बोम्मई का जादू

भाजपा ने कर्नाटक चुनाव मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई के नेतृत्व में लड़ा है लेकिन उसे अपनी सत्ता बचाना मुश्किल हो गया। बोम्मई भी राज्य के लिंगायत समुदाय से आते हैं लेकिन ऐसा लगता है कि उनके समाज पर बीएस येदियुरप्पा जैसा करिश्मा काम नहीं किया। येदियुरप्पा के हाथ में चुनाव की कमान होती और वे पूरी तरह से सक्रिय होते तो भाजपा को शायद इतना नुकसान नहीं उठाना पड़ता।

सत्ता विरोधी लहर से भाजपा को नुकसान

कर्नाटक में इस बार चुनाव में भ्रष्टाचार का मु्द्दा छाया रहा। कांग्रेस ने 40 प्रतिशत कमीशन का मुद्दा जोर-शोर से उठाया। लोग सरकारी भ्रष्टाचार से परेशान थे। सांप्रदायिक एवं धार्मिक नारों की जगह लोगों ने स्थानीय मुद्दों को तरजीह दी। महंगाई और बेरोजगारी जैसे कांग्रेस ने जोर शोर से उठाया जिसे जनता ने पसंद किया। कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में बेरोजगार युवाओं एवं महिलाओं को भत्ता देने का वादा किया। यह वादा भी कांग्रेस के पक्ष में गया।

कांग्रेस के साथ मुस्लिम-दलित वोट

इस चुनाव में मुस्लिम और दलित वोटों का पूरा समर्थन कांग्रेस को मिला है। हिजाब मुद्दे को लेकर मुस्लिम समाज एकजुट होकर कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया है। दूसरा दलित वोटर भी कांग्रेस के साथ गया है। राज्य में मुस्लिम वोटों की संख्या17 प्रतिशत और एससी-एसटी वोटरों की संख्या करीब 32 प्रतिशत है। इस चुनाव में दोनों समुदाय एकजुट होकर कांग्रेस के साथ गया है। इसके अलावा अन्य समुदायों का वोट भी कांग्रेस को मिला है। पिछले चुनाव में भाजपा को दलित वोट बड़ी संख्या में मिले थे।

धार्मिक नारों से प्रभावित नहीं हुई जनता

कर्नाटक चुनाव में भाजपा ने धार्मिक एवं सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण करने की कोशिश की लेकिन इसमें उसे सफलता नहीं मिली। चुनाव प्रचार के दौरान बजरंग दल, बजरंग बली, पीएफआई जैसे मुद्दों को लेकर भाजपा आक्रामक हुई और उसे धार्मिक रंग देना चाहा लेकिन रुझान यही बताते हैं कि इनका असर भाजपा के कोर वोटरों पर तो पड़ा लेकिन सामान्य वोटर इससे प्रभावित नहीं हुए।

आंतरिक गुटबाजी भी जिम्मेदार

भाजपा की हार के पीछे भगवा पार्टी की आंतरिक गुटबाजी भी जिम्मेदार है। जगदीश शेट्टार, लक्ष्मण सावदी जैसे बड़े नेताओं का पार्टी छोड़ना भी भाजपा को नुकसान कर गया है। दक्षिण का किला बचाए रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई रोड शो एवं रैलियां कीं। हालांकि, उनकी रैलियों एवं रोड शो में बड़ी संख्या में भीड़ तो जुटी लेकिन ऐसा लगता है कि कर्नाटक की जनता ने सत्ता परिवर्तन का मन पहले से बना लिया था।

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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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