कर्नाटक की राजनीति के पांच योद्धा जो कभी भी बदल सकते हैं चुनावी स्थिति, मोदी और शाह भी इन्हें नहीं करते नजरअंदाज

Karnataka Assembly Election: दिग्गज नेता बीएस येदियुरप्पा, सिद्धारमैया, डीके शिवकुमार, एचडी कुमारस्वामी और बसवराज बोम्मई... कर्नाटक की राजनीति के ये वे पांच नाम हैं, जिनके बिना राज्य के चुनाव अधूरे हैं। इन पांच नेताओं को नजरअंदाज करना किसी भी पार्टी के लिए मुश्किल है। ऐसे में ये नेता इस चुनाव में भी बड़ी भूमिका निभाने वाले हैं।

Karnataka assembly elections 2023

कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023

Karnataka Election: कर्नाटक में विधान सभा चुनाव होने वाले हैं। चुनाव आयोग के कार्यक्रम में मुताबिक 10 मई को मतदान होगा और 13 मई को नतीजे जारी होंगे। भाजपा और कांग्रेस के लिए इस चुनाव को 2024 लोकसभा का मिनी सेमीफाइनल माना जा रहा है। दरअसल, यह राज्य चुनाव की दृष्टि से दोनों ही पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भाजपा जहां सत्ता में वापसी के लिए संघर्ष करेगी तो वहीं कांग्रेस यहां सत्ता पाने की कोशिश।
ऐसे में हम यहां कर्नाटक की राजनीति के उन पांच सियासी योद्धाओं की बात करेंगे, जो इस राज्य के चुनावी नतीजों को कभी भी बदलने का दमखम रखते हैं। इनका सियासी कद इतना बड़ा है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह भी इनको नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। इनमें दिग्गज नेता बीएस येदियुरप्पा, सिद्धारमैया, डीके शिवकुमार, एचडी कुमारस्वामी और बसवराज बोम्मई का नाम शामिल है।

सबसे पहले बात येदियुरप्पा की

कर्नाटक की राजनीतक चर्चा भाजपा के दिग्गज नेता बीएस येदियुरप्पा के नाम के बिना अधूरी है। इस राज्य की राजनीति इन्हीं के इर्द-गिर्द घूमती है। कर्नाटक की राजनीति में विशेष दखल रखने वाले लिंगायत समुदाय में येदियुरप्पा की पकड़ सबसे मजबूत मानी जाती है, इसलिए चुनाव में इनकों नजरअंदाज करना काफी मुश्किल है। भले ही येदियुरप्पा सक्रिय राजनीति से संन्यास की घोषणा कर चुके हों, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह उनकी अहमियत को बखूबी जानते हैं। तभी उनके मंचो पर येदियुरप्पा को ही भाजपा को चेहरा बनाया जा रहा है।

अब सिद्धारमैया के बारे में जानिए

कर्नाटक के दिग्गज राजनेताओं में सिद्धारमैया का नाम भी शुमार होता है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और इस कांग्रेस नेता को नजरअंदाज करना भी मुश्किल है। वह हमेशा से विपक्षी पार्टियों के लिए एक कड़ी चुनौती माने जाते रहे हैं। दरअसल, सिद्धारमैया के पास लंबा राजनीतिक अनुभव है और वह एक जमीनी नेता के तौर पर जाने जाते हैं। कर्नाटक के तीसरे सबसे बड़े जातीय समुदाय कुरूबा से आने वाले सिद्धारमैया के सामने भाजपा को खूब पसीना बहाना पड़ सकता है।

अब किंग मेकर एचडी कुमारस्वामी की बात

कर्नाटक में चुनावी मुकाबला हो और एचडी कुमारस्वामी की बात न हो, ऐसा होना लाजमी नहीं है। वह हमेशा से किंग मेकर की भूमिका निभाते रहे हैं, फिर चाहें बात भाजपा की हो या फिर कांग्रेस की। इसलिए राज्य में जब भी चुनाव होते हैं, सभी की निगाहें जनता दल (सेक्यूलर) के नेता कुमारस्वामी पर टिक जाती हैं। उनकी पार्टी बहुमत हासिल करे या न करे, लेकिन इतनी सीटें जीतने में जरूर कामयाब हो जाते हैं कि उनके सहयोग के बिना कोई भी पार्टी सत्ता तक का रास्ता तय करने में असमर्थ नजर आती है। राज्य की 224 सीटों पर हुए पिछले चुनाव में भी जेडीएस को 37 सीटें मिली थीं।

मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई भी नहीं किसी से कम

कर्नाटक के मौजूदा मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई भी किसी से कम नजर नहीं आते। दरअसल, उनकी गिनती मजबूत लिंगायत नेता और दिग्गज येदियुरप्पा के करीबियों में होती है। येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद भाजपा ने बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया था। इसके बाद से उन्होंने कभी भी शीर्ष नेतृत्व को निराश नहीं किया और हर मुद्दे पर पार्टी को डिफेंड करने में कामयाब हुए। वह केंद्रीय नीतियों को भी राज्य में मजबूत तरीके से पालन करवाने में भी कामयाब रहे।

डीके शिवकुमार का बढ़ता कद

कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार भी विपक्ष के लिए मजबूत चुनौती माने जाते हैं। दरअसल, उनकी छवि सड़क पर संघर्ष करने वाले नेताओं की है। इसलिए वह अक्सर भाजपा के निशाने पर भी रहते हैं। दूसरी तरफ डीके शिवकुमार का कद कांग्रेस में भी काफी बढ़ा है। उनकी भूमिका एक संकटमोचक नेता की तरह है, जो पार्टी के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, फिर बात चाहें केंद्रीय राजनीति की हो या फिर राज्य की, शिवकुमार ने हर बार खुद को साबित किया है। इसलिए इन्हें भी नजरअंदाज करना काफी मुश्किल होगा।
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प्रांजुल श्रीवास्तव author

मैं इस वक्त टाइम्स नाउ नवभारत से जुड़ा हुआ हूं। पत्रकारिता के 8 वर्षों के तजुर्बे में मुझे और मेरी भाषाई समझ को गढ़ने और तराशने में कई वरिष्ठ पत्रक...और देखें

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