कर्नाटक: सीएम सिद्धारमैया MUDA घोटाले में राज्यपाल के आदेश के खिलाफ पहुंचे कर्नाटक हाई कोर्ट
आरोप हैं कि सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती को मैसुरू में प्रतिपूरक भूखंड आवंटित किया गया था जिसका संपत्ति मूल्य उनकी उस भूमि की तुलना में अधिक था जिसे एमयूडीए ने अधिग्रहीत किया था। एमयूडीए ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे।
CM Siddaramaiah moves Karnataka High Court: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कथित मैसुरू शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) घोटाले में अपने खिलाफ मुकदमा चलाने की राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा जारी आदेश को चुनौती देते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट का रुख किया है। राज्यपाल ने 17 अगस्त को ही इस घोटाले में सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी। इसके बाद से ही राज्य में कांग्रेस-बीजेपी के बीच सियासी जंग छिड़ी हुई है और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। यह फैसला टी जे अब्राहम, प्रदीप और स्नेहमयी कृष्णा की ओर से दायर तीन अर्जी पर आधारित है।
मुख्यमंत्री ने क्या कहा?मुख्यमंत्री ने कहा कि मंजूरी आदेश बिना सोचे-समझे, वैधानिक आदेशों का उल्लंघन करते हुए और मंत्रिपरिषद की सलाह समेत भारत के संविधान के अनुच्छेद 163 के तहत बाध्यकारी संवैधानिक सिद्धांतों के विपरीत जारी किया गया है। सिद्धरमैया ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए और भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के तहत, पूर्वानुमोदन व मंजूरी देने संबंधी 16 अगस्त के आदेश को चुनौती दी। उन्होंने कहा, माननीय राज्यपाल का निर्णय कानूनी रूप से अस्थिर, प्रक्रियात्मक रूप से त्रुटिपूर्ण है, और इसलिए याचिकाकर्ता ने अन्य राहतों के साथ-साथ 16 अगस्त 2024 के विवादित आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए यह रिट याचिका दायर की है।
राज्यपाल सचिवालय ने प्रदीप कुमार एस पी, टी जे अब्राहम और स्नेहमयी कृष्णा को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 17 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 218 के तहत अर्जी में उल्लिखित कथित अपराधों के लिए सिद्धरमैया के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी के अनुरोध पर प्राधिकरण के निर्णय के बारे में सूचित किया। राज्यपाल के फैसले के बाद शनिवार शाम पांच बजे राज्य मंत्रिमंडल की विशेष बैठक बुलाई गई थी। तभी साफ हो गया था कि मुख्यमंत्री अभियोजन के लिए राज्यपाल द्वारा दी गई मंजूरी के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।
वही, बीजेपी ने आज सिद्धारमैया के खिलाफ प्रदर्शन किया
जारी किया था कारण बताओ नोटिस
सिद्धारमैया ने कई बार कहा कि अगर राज्यपाल उन्हें जारी कारण बताओ नोटिस वापस लेने की कैबिनेट की सलाह को अस्वीकार कर देते हैं और अभियोजन की अनुमति दे देते हैं तो उनके नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार कानूनी और राजनीतिक रूप से लड़ने के लिए तैयार है। अधिवक्ता-कार्यकर्ता टी जे अब्राहम द्वारा दायर अर्जी के आधार पर कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने 26 जुलाई को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसमें मुख्यमंत्री को उन पर लगाए पर आरोपों पर जवाब देने और यह बताने के निर्देश दिए गए थे कि उनके खिलाफ अभियोजन की अनुमति क्यों नहीं दी जानी चाहिए।
राज्यपाल ने सरकार की सलाह ठुकराई
कर्नाटक सरकार ने राज्यपाल को मुख्यमंत्री को जारी कारण बताओ नोटिस वापस लेने की सलाह एक अगस्त को दी थी। उसने राज्यपाल पर संवैधानिक कार्यालय के घोर दुरुपयोग का आरोप लगाया था। आरोप हैं कि सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती को मैसुरू में प्रतिपूरक भूखंड आवंटित किया गया था जिसका संपत्ति मूल्य उनकी उस भूमि की तुलना में अधिक था जिसे एमयूडीए ने अधिग्रहीत किया था। एमयूडीए ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे।
कांग्रेस-बीजेपी में छिड़ी जंग
वहीं कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा भूमि घोटाले के सिलसिले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने के बाद इस दक्षिणी राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस और भाजपा के बीच नया सियासी संघर्ष छिड़ गया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बीजेपी पर अपने राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए राजभवन का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है। वहीं, भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की अनुमति राज्यपाल ने अपनी संवैधानिक शक्तियों के तहत दी है।
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