Karnataka: कर्नाटक में दलित शिक्षिका को आंगनवाड़ी में प्रवेश से रोका, अधिकारियों तक पहुंचा मामला

Karnataka: महिला शिक्षिका आनंदम्मा का आरोप है कि वह दलित समुदाय से हैं, इसलिए मेरे साथ ऐसा किया जा रहा है। उन्होंने बताया, मैंने केंद्र में प्रवेश करने के कई प्रयास किए, लेकिन ग्रामीणों ने मुझे रोक दिया। पिछले 10 महीनों से मैं यहां आ रही हूं।

Anganwadi

आंगनवाड़ी केंद्र (फाइल फोटो)

Karnataka: कर्नाटक में एक दलित शिक्षिका को आंगनवाड़ी केंद्र में प्रवेश से रोकने का मामला सामने आया है। यह मामला बेंगलुरु ग्रामीण जिले के डोड्डाबल्लापुर तालुक के मेलेकोटे गांव का है। कथित तौर पर यहां बीते 10 महीने से स्थानीय लोग दलित शिक्षिका को आंगनवाड़ी केंद्र में घुसने नहीं दे रहे हैं, जिससे महिला शिक्षिका केंद्र के बाहर खड़ी रहने के लिए मजबूर है।

शिक्षिका की पहलचान आनंदम्मा के रूप में हुई है, जो मडिगा समुदाय (एससी) से हैं। खबरों के मुताबिक, वह राजघट्टा में आंगनवाड़ी सहायिका के रूप में काम कर रही थीं। बाद में उन्हें आंगनवाड़ी शिक्षिका के रूप में पदोन्नत करके उनका स्थानांतरण सितंबर 2022 में मेलेकोटे गांव में किया गया था।

ग्रामीणों ने जताई थी आपत्ति

आनंदम्मा के स्थानांतरण के बाद मेलेकोटे के ग्रामीणों ने उनकी पदोन्नति और उनकी आंगनवाड़ी में पोस्टिंग दोनों पर आपत्ति जताई थी। इस मामले में अधिकारियों से शिकायत भी की गई थी, जिसमें कहा गया था कि उनकी जगह आंगनवाड़ी में किसी दूसरे शिक्षक की नियुक्ति की जाए। आरोप लगाया गया था कि महिला शिक्षिका मेलेकोटे गांव की नहीं हैं और केंद्र से तीन किलोमीटर दूर डोड्डारायप्पनहल्ली में रह रही हैं। नियमानुसान, किसी आंगनवाड़ी शिक्षिका को केंद्र से 3 किमी के भीतर रहना होता है।

दो बार हो चुकी है जांच

बेंगलुरु ग्रामीण जिले के महिला एवं बाल कल्याण विभाग के उप निदेशक नटराज एस ने का कहना है कि ग्रामीणों की शिकायत के बाद महिला शिक्षिका के निवास स्थान को लेकर दो बार सत्यापन कराया गया, जिसमें सामने आया कि महिला नियमानुसार केंद्र से सिर्फ तीन किलोमीटर की दूरी पर निवास कर रही है।

दलित होने के कारण हो रहा ऐसा

महिला शिक्षिका आनंदम्मा का आरोप है कि वह दलित समुदाय से हैं, इसलिए मेरे साथ ऐसा किया जा रहा है। उन्होंने बताया, मैंने केंद्र में प्रवेश करने के कई प्रयास किए, लेकिन ग्रामीणों ने मुझे रोक दिया। पिछले 10 महीनों से मैं यहां आ रही हूं, लेकिन वे मुझे काम नहीं करने दे रहे हैं। उन्होंने बताया, विशेषकर महिलाएं उनका रास्ता रोक रही हैं। उन्होंने इस मामले में अधिकारियों से भी दखल देने की मांग की है।

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प्रांजुल श्रीवास्तव author

मैं इस वक्त टाइम्स नाउ नवभारत से जुड़ा हुआ हूं। पत्रकारिता के 8 वर्षों के तजुर्बे में मुझे और मेरी भाषाई समझ को गढ़ने और तराशने में कई वरिष्ठ पत्रक...और देखें

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