विपक्षी दलों को अब कांग्रेस अच्छी लगने लगी है, कर्नाटक में जीत के बाद हुआ करिश्मा
विपक्षी दलों को अब कांग्रेस अच्छी लगने लगी है। जानिए कि किस तरह के अब विपक्षी नेताओं के सुर बदलने लगे हैं।
कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद करिश्मा
Congress Karnataka Win: कर्नाटक चुनाव में जबरदस्त जीत हासिल करने के बाद कांग्रेस के दिन फिरने लगे है। जिस पार्टी को कोई भी विपक्षी दल भाव देने की तैयार नहीं था, अब उसकी अहमियत अचानक बढ़ गई है। कर्नाटक में जीत के बाद ये करिश्मा हुआ है। विपक्षी दलों को अब कांग्रेस अच्छी लगने लगी है। जानिए कि किस तरह के अब विपक्षी नेताओं के सुर बदलने लगे हैं।
ममता बनर्जी
सबसे पहले शुरुआत टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी से। कर्नाटक चुनाव से पहले ममता कांग्रेस को किसी भी तरह की तवज्जो नहीं दे रही थीं। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। ममता ने अपने सुर बदलते हुए कहा है कि जहां-जहां कांग्रेस मजबूत है, बीजेपी के खिलाफ टीएमसी उसे समर्थन देगी। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की शानदार जीत के दो दिन बाद ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि उनकी पार्टी उन राज्यों में कांग्रेस का समर्थन करेगी, जहां वो मजबूत होगी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कांग्रेस को उनका समर्थन चाहिए तो उन्हें टीएमसी के प्रति भी यही रवैया अपनाना चाहिए। बता दें कि इससे पहले कई बार ममता कह चुकी थीं कि वह लोकसभा चुनाव अकेले ही लड़ेगी।
नवीन पटनायक
ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक अपने सियासी पत्ते कभी नहीं खोलते। चुनाव नतीजों से पहले बिहार के सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात के चर्चा खूब हुई थी। उन्होंने इस मुलाकात पर ज्यादा कुछ नहीं कहा। इसके कुछ दिन बाद उन्होंने दिल्ली
में पीएम मोदी से मुलाकात की। इसके बाद साफ कहा कि तीसरा मोर्चा का गठन अभी संभव नहीं। चुनाव नतीजों के बाद नवीन के भी सुर बदले। उन्होंने कहा, सिंगल या डबल इंजन की सरकार कोई मायने नहीं रखी, बल्कि सुशासन ही किसी पार्टी को जिताने में मदद करता है।
शरद पवार
चुनाव नतीजों का सबसे बड़ा असर महाराष्ट्र में दिखा। अभी तक महाविकास अघाड़ी में शामिल दल शिवसेना (उद्धव गुट), एनसीपी और कांग्रेस अलग - अलग सुर में बात कर रहे थे। लग रहा था कि ये गठबंधन बस बिखरने ही वाला है। लेकिन कर्नाटक चुनाव नतीजे आते ही परिदृश्य बदल गया। इन दलों ने बैठक कर एकजुट रहने का संकल्प लिया। तीनों दल महाराष्ट्र में होने वाली बड़ी रैली में एक साथ मौजूद रहेंगे।
इस गठबंधन की धुरी बने एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि कर्नाटक के नतीजों से सभी को संदेश मिला है और इसने विपक्षी दलों को एक रास्ता दिखाया है। कर्नाटक जैसी स्थिति बाकी राज्यों में भी पैदा की जानी चाहिए। दूसरे राज्यों को भी मेहनत करनी होगी। उन्होंने कहा कि एनडीए के खिलाफ अलग-अलग विचारधारा वाले विपक्षी दल लामबंदी कर जनता को विकल्प दे सकते हैं।
कांग्रेस के लिए जीत के मायने
दरअसल, कर्नाटक में जीत ने कांग्रेस के लिए टॉनिक का काम किया है। उसे 2024 के लिए जरूरी ऊर्जा मिल गई है। जो लोग कांग्रेस को चुका हुआ मान रहे थे, अब उस पर दांव लगाने को तैयार हैं। अगर कांग्रेस को यहां जीत हासिल नहीं होती तो हालात दूसरे ही होते। उसे बीजेपी के हमलों का तो सामना करना ही पड़ता, विपक्ष भी उसकी खिल्ली उड़ाने में पीछे नहीं रहता। इस जीत से कांग्रेस का 2024 चुनाव में विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व करने का दावा मजबूत होगा। जो दल उसे दरकिनार कर रहे थे, अब उनके रुख में बदलाव आया है। 2024 के लिए शायद कांग्रेस को कर्नाटक जैसे ही टॉनिक की जरूरत थी।
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