MUDA घोटाला: कर्नाटक के राज्यपाल ने सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की दी मंजूरी, कांग्रेस-बीजेपी के बीच छिड़ी जंग

कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा भूमि घोटाले के सिलसिले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने के बाद इस दक्षिणी राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस और भाजपा के बीच नया सियासी संघर्ष छिड़ गया है।

मुश्किल में सीएम सिद्धारमैया

मुख्य बातें
  • कर्नाटक में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच सियासी जंग का नया मैदान तैयार
  • राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने एमयूडीए घोटाले में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी
  • यह फैसला टी जे अब्राहम, प्रदीप और स्नेहमयी कृष्णा की ओर से दायर तीन अर्जी पर आधारित है
Karnataka MUDA Scam: कर्नाटक में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच सियासी जंग का नया मैदान तैयार हो गया है। कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मैसुरू शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूमि आवंटन घोटाले के संबंध में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। राजभवन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ने कहा कि राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। यह फैसला टी जे अब्राहम, प्रदीप और स्नेहमयी कृष्णा की ओर से दायर तीन अर्जी पर आधारित है।

सिद्धारमैया के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी

राज्यपाल सचिवालय ने प्रदीप कुमार एस पी, टी जे अब्राहम और स्नेहमयी कृष्णा को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 17 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 218 के तहत अर्जी में उल्लिखित कथित अपराधों के लिए सिद्धरमैया के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी के अनुरोध पर प्राधिकरण के निर्णय के बारे में सूचित किया। राज्यपाल के फैसले के बाद शनिवार शाम पांच बजे राज्य मंत्रिमंडल की विशेष बैठक बुलाई गई है। आधिकारिक और कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री अभियोजन के लिए राज्यपाल द्वारा दी गई मंजूरी के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।

जारी किया था कारण बताओ नोटिस

सिद्धारमैया ने कई बार कहा है कि अगर राज्यपाल उन्हें जारी कारण बताओ नोटिस वापस लेने की कैबिनेट की सलाह को अस्वीकार कर देते हैं और अभियोजन की अनुमति दे देते हैं तो उनके नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार कानूनी और राजनीतिक रूप से लड़ने के लिए तैयार है। अधिवक्ता-कार्यकर्ता टी जे अब्राहम द्वारा दायर अर्जी के आधार पर कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने 26 जुलाई को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसमें मुख्यमंत्री को उन पर लगाए पर आरोपों पर जवाब देने और यह बताने के निर्देश दिए गए थे कि उनके खिलाफ अभियोजन की अनुमति क्यों नहीं दी जानी चाहिए।
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