कर्नाटक हिजाब मामला बड़ी बेंच में, ईदगाह केस में भी बंटी हुई थी जस्टिस धुलिया-गुप्ता की राय
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस हेमंत गुप्ता की बेंच ने कर्नाटक ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी मनाने के संबंध में बंटा फैसला दिया था और वो केस भी बड़ी बेंच के हवाले कर दी गई थी।
कर्नाटक हिजाब मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की राय बंटी हुई थी और अब इस मामले को बड़ी बेंच को सुपुर्द कर दिया गया है। जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया तो वहीं जस्टिस हेमंत गुप्ता ने हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया। इन सबके बीच कर्नाटक के गृहमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमारे लिए किसी झटके की तरह नहीं है। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच के हवाले हैं, देखते हैं आगे फैसला क्या आता है। अब जबकि सुप्रीम कोर्ट के दोनों जस्टिस की राय बंटी हुई थी इन दोनों जजों की राय पहली बार किसी मामले में अलग अलग रही हो ऐसी बात नहीं है। कर्नाटक ईदगाह का मुद्दा भी इन्हीं दोनों जजों के बेंच में था और फैसला अलग अलग आया था। कर्नाटक ईदगाह का मामला भी बड़ी बेंच के सामने है। संबंधित खबरें
ईदगाह मैदान केस में भी बंटी हुई थी राय
30 अगस्त 2022 को कर्नाटक ईदगाह के मामले पर जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस हेमंत गुप्ता ने फैसला सुनाया था। जस्टिस सुंधाशु धूलिया ने जहां कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपना फैसला दिया तो जस्टिस गुप्ता ने पक्ष में फैसला दिया। दरअसल कर्नाटक सरकार ने चामराजपेट में ईदगाह मैदान पर गणेश चतुर्थी मनाने की मंजूरी दी थी। लेकिन यह मामला कर्नाटक हाईकोर्ट की दहलीज पर पहुंचा। हाईकोर्ट ने ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी मनाने की अनुमति दे दी। वक्फ बोर्ड ने कर्नाटक वक्फ बोर्ड के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जब यह मामला दोनों जजों की बेंच में पहुंचा तो बंटी हुई राय की वजह से इसे बड़ी बेंच के हवाले कर दिया। हालांकि बड़ी बेंच ने ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी मनाने की अनुमति नहीं दी।संबंधित खबरें
जमीन के स्वामित्व को लेकर विवाद
बेंगलुरु का ईदगाह मैदान के पुराने इलाकों में से है। करीब 2.1 एकड़ में यह ईदगाह मैदान है। इस मैदान में को खेलकूद के लिये इस्तेमाल में लाया जाता है।लेकिन दोनों ईद और बकरीद पर यहां नमाज अदा की जाती है। इस जमीन पर स्वामित्व को लेकर विवाद है। इसमें एक पक्ष का दावा है कि जमीन वक्फ बोर्ड की है। लेकिन दूसरे पक्ष का कहना था कि जमीन राज्य सरकार की है। कर्नाटक के राजस्व मंत्री ने भी एक बार कहा था कि उनके विभाग की जमीन है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 1983 में बकरीद और गणेश पूजा साथ में मनाई गई थी जिस वजह से उस इलाके में सांप्रदायिक तनाव भी सामने आया था। संबंधित खबरें
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ललित राय author
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