KCR ने कर दिया नेशनल प्लान का आगाज,ममता-नीतीश-केजरीवाल के बीच बनेगी जगह !

KCR Change Party Name: केसीआर लगातार दो बार से अपने राज्य में सत्ता में है। और उनकी लोकप्रियता की वजह उनकी कुछ योजनाएं हैं, जिन्होंने राज्य के एक बड़े तबके के जीवन पर असर डाला है। इसमें रायथु बंधु और दलित बंधु योजना प्रमुख है। राजनीति में नंबर गेम बहुत मायने रखता है। जहां पर फिलहाल केसीआई कमजोर नजर आते हैं।

KCR Change Party Name

केसीआर के नेशनल प्लान कितना दम

मुख्य बातें
  • केसीआर का राजनीतिक करियर अभी तक तेलंगाना में ही सीमित रहा है। जहां पर केवल 17 लोक सभा सीटें आती हैं।
  • दक्षिण भारत के सीटों के समीकरण को देखा जाय तो यहां लोक सभा की कुल 178 सीटें आती हैं।
  • लेकिन अभी तक किसी क्षेत्रीय पार्टी ने दिल्ली में सरकार नहीं बनाई है।

KCR Change Party Name: तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने अपने राष्ट्रीय सपने को उड़ान भरने के लिए,पार्टी का नाम बदल दिया है। अब उनकी तेलंगाना राष्ट्र समिति पार्टी का नाम भारत राष्ट्र समिति (BRS) हो गया है । पार्टी के मुखिया और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने इस साल अप्रैल में स्थापना दिवस कार्यक्रम में कहा था कि पार्टी को देश के हित में राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। चंद्रशेखर राव, ने जब राष्ट्रीय राजनीति में कदम रख दिया है, तो सबसे बड़ा सवाल यही है कि उनमें कितना दम खम है। उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में असरदार भूमिका निभाने के लिए न केवल अपने राज्य में बल्कि दूसरे राज्यों में भी अच्छा प्रदर्शन करना होगा। क्योंकि तेलंगाना की केवल 17 लोक सभा सीटे उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर वह मुकाम नहीं दिला सकेंगी, जो वह हासिल करना चाहते हैं।

इनके जरिए वोटरों को लुभाने की होगी कोशिश

केसीआर लगातार दो बार से तेलंगाना राज्य में सत्ता में है। और उनकी लोकप्रियता की वजह उनकी कुछ योजनाएं हैं, जिन्होंने राज्य के एक बड़े तबके के जीवन पर असर डाला है। इसमें रायथु बंधु और दलित बंधु योजना प्रमुख है। रायथु बंधु योजना किसानों के लिए है। जिसके जरिए राज्य के किसानों को प्रति एकड़ 5000 रुपये देती है। जिसके आधार पर किसानों को खेती की जरूरतों के लिए सालना 10000 रुपये मिलते हैं। इस स्कीम के जरिए सरकार का दावा है कि किसानों को जुलाई 2022 तक 58 हजार करोड़ रुपये जा चुके हैं।

इसी तरह दलित बंधु योजना के तहत दलित परिवार को कारोबार शुरू करने के लिए 10 लाख रुपये का लोन बिना किसी गारंटी के दिया जाता है। इन दो योजनाओं से केसीआर राज्य के बड़े तबके में अपनी पैठ बनाई है। और वही मॉडल वह राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने का ऐलान कर सकते हैं।

दक्षिण की किसी पार्टी ने नहीं दिखाया ये कमाल

राजनीति में नंबर गेम बहुत मायने रखता है। यानी जिस नेता के पास जितनी लोक सभा सीटें , उसके पीएम रेस में आगे होने की उतनी संभावना रहती है। जहां तक केसीआर की बात है तो उनका राजनीतिक करियर अभी तक तेलंगाना में ही सीमित रहा है। जहां पर केवल 17 लोक सभा सीटें आती हैं। ऐसे में 17 सीटों के बल पर राष्ट्रीय राजनीति में असर डालना बहुत मुश्किल है। खास तौर पर जब उनके पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी, एम.के.स्टालिन, चंद्र बाबू नायडू जैसे नेता मौजूद हैं।

दक्षिण भारत के सीटों के समीकरण को देखा जाय तो यहां लोक सभा की कुल 178 सीटें आती हैं। ऐसे में अगर कोई पार्टी इन 178 सीटों में 100 सीटें जीतने की क्षमता रखती है, तो उसके लिए राष्ट्रीय राजनीति में अपनी हनक जमाने से कोई नहीं रोक सकता है। लेकिन आजादी के बाद का इतिहास देखा जाय तो शुरूआती दौर में कांग्रेस को छोड़ कर कोई भी दल एक से ज्यादा राज्य में अपना असर नहीं दिखा सका है। तमिलनाडु में डीएमके, एआईएडीएमके ने अपनी जड़े जमा रखी हैं। तो केरल में कम्युनिस्ट दल जमे हुए हैं। वहीं कर्नाटक में भाजपा, जेडी (एस) और कांग्रेस प्रमुख शक्तियां है। वहीं महाराष्ट्र में भाजपा, एनसीपी कांग्रेस और शिव सेना हैं। ऐसे केसीआर के लिए इन राज्यों में पैठ बनाना आसान नहीं होगा। खास तौर पर जब वाईएसआर कांग्रेस, डीएमके को छोड़कर सभी दल भाजपा के खिलाफ अपने को मजबूत प्रतिद्वंदी साबित करने में लगे हुए हैं।

चुनाव आयोग की इन शर्तों को भी पूरा करना होगा

जैसा कि केसीआर ने ऐलान किया है कि वह राष्ट्रीय स्तर पर अब राजनीति करेंगे। ऐसे में उन्हें अपनी पार्टी को पहचान दिलाने के लिए राष्ट्रीय दल का दर्जा भी हासिल करना होगा। चुनाव आयोग के नियम के अनुसार एक मान्यता प्राप्त दल को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने के लिए कुछ शर्तों को पूरा करना होगा।

नियमों के अनुसार राजनीतिक दल को तीन अलग- अलग राज्यों को मिलाकर लोकसभा की 2 फीसदी सीटें जीतनी जरूरी है। इसी तरह किसी पार्टी को अगर चार राज्यों में क्षेत्रीय दल का दर्जा प्राप्त है उस दल को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल हो सकता है। इसके अलवा यदि कोई पार्टी 4 लोकसभा सीटों के अलावा लोकसभा या विधानसभा चुनाव में चार राज्यों में 6 फीसदी वोट हासिल करती है तो उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल सकता है।

प्रधानमंत्री पद की रेस में एक और नाम

वैसे तो केसीआर पिछले एक साल से तीसरे मोर्चे को बनाने की कवायद कर रहे हैं। और इसके लिए वह शदर पवार, नीतीश कुमार से मुलाकात कर चुके हैं। लेकिन उनके राष्ट्रीय राजनीति में उतरने के बाद, एक और नाम प्रधानमंत्री पद की रेस में शामिल हो गया है। इसके पहले अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी, नीतीश कुमार का नाम भी इस रेस में चल रहा है। ऐसे में देखना होगा कि केसीआर अपने नेशनल प्लान को अमल में लाने के लिए क्या रणनीति अमल में ला सकते हैं।

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प्रशांत श्रीवास्तव author

करीब 17 साल से पत्रकारिता जगत से जुड़ा हुआ हूं। और इस दौरान मीडिया की सभी विधाओं यानी टेलीविजन, प्रिंट, मैगजीन, डिजिटल और बिजनेस पत्रकारिता में काम कर...और देखें

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