Delhi Ordinance: केजरीवाल कर रहे थे 'मनमानी' इसलिए मोदी सरकार लेकर आई अध्यादेश, SC में केंद्र ने रखा पक्ष
Delhi Ordinance: केंद्र सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण पर अध्यादेश इसलिए लाया गया क्योंकि आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने सतर्कता विभाग के सिविल सेवकों को 'परेशान' किया था।
मोदी सरकार इसलिए लेकर आई दिल्ली के लिए अध्यादेश
Delhi Ordinance: दिल्ली अध्यादेश विवाद अब सुप्रीम कोर्ट में है। आप ने केंद्र के इस अध्यादेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इसे लेकर सोमवार को सुनवाई हुई, जहां केंद्र सरकार ने कहा कि वो केजरीवाल सरकार की मनमनी को रोकने के लिए अध्यादेश लेकर आई है।
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सरकार क्यों लाई अध्यादेश
केंद्र सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण पर अध्यादेश इसलिए लाया गया क्योंकि आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने सतर्कता विभाग के सिविल सेवकों को 'परेशान' किया था। केंद्र ने दिल्ली सरकार पर शराब नीति मामले और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर के नवीनीकरण की जांच की फाइलों को अवैध रूप से अपने कब्जे में लेने का आरोप लगाया।
अफसरों का उत्पीड़न
केंद्र ने कहा कि सतर्कता विभाग में काम करने वाले अधिकारियों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकार द्वारा ‘निशाना’ बनाया जा रहा था। नौकरशाहों और अधिकारियों को अपमानित किया जा रहा था। शीर्ष अदालत में दायर एक हलफनामे में, केंद्र ने दावा किया कि शीर्ष अदालत की संविधान पीठ द्वारा 11 मई को दिए गए फैसले के बाद दिल्ली सरकार के मंत्रियों ने फैसलों को प्रभावित करने के लिए अधिकारियों पर ‘झूठे आरोप लगाना’ और उनका उत्पीड़न शुरू कर दिया था।
मानसून सत्र में पेश होगा बिल
केंद्र सरकार ने कहा कि अध्यादेश मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश किया जाएगा। केंद्र ने तर्क दिया कि दिल्ली के प्रशासन के संबंध में केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों की चिंताओं को दूर करने के लिए अध्यादेश लाया गया है। सरकार ने कहा कि अगर अध्यादेश पर रोक लगाई गई तो इससे दिल्ली प्रशासन को अपूरणीय क्षति होगी। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बिना किसी संघर्ष के कुशलतापूर्वक कार्य कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में मिली थी आप को जीत
शीर्ष अदालत की पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने 11 मई को कहा था कि दिल्ली सरकार के पास सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि को छोड़कर सेवाओं के प्रशासन पर विधायी और कार्यकारी शक्तियां हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद एलजी की शक्तियां कम हो गईं थीं।
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