केरल के CM विजयन ने छेड़ा विवाद, कहा-एक मुस्लिम ने दिया था 'भारत माता की जय' का नारा, BJP भड़की
विजयन ने कहा, भारत माता की जय का नारा किसने दिया? मुझे नहीं पता कि संघ परिवार को यह पता है या नहीं। उनका नाम अजीमुल्ला खान था।

केरल के सीएम पी विजयन
Pinarayi Vijayan : 'भारत माता की जय' के नारे को लेकर केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की एक टिप्पणी ने सियासी विवाद भड़का दिया है। विजयन की टिप्पणी के बाद अब भाजपा उनपर हमलावर है। पिनराई विजयन ने भाजपा और आरएसएस पर निशाना साधते हुए इस देशभक्ति वाले नारे की उत्पत्ति के बारे में दावा किया है। केरल के मलप्पुरम में एक रैली में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) नेता ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का विरोध किया और भारत के सांस्कृतिक इतिहास और स्वतंत्रता आंदोलन में मुसलमानों के योगदान पर प्रकाश डाला।
विजयन का बीजेपी और संघ परिवार पर निशानारैली में विजयन ने कहा, कुछ कार्यक्रमों में हमने संघ परिवार के कुछ नेताओं को लोगों से 'भारत माता की जय' बोलने के लिए कहते हुए सुना है। भारत माता की जय का नारा किसने दिया? मुझे नहीं पता कि संघ परिवार को यह पता है या नहीं। उनका नाम अजीमुल्ला खान था। मुझे नहीं पता कि क्या वे जानते हैं कि वह संघ परिवार के नेता नहीं हैं। विजयन के अनुसार, अजीमुल्ला खान 19वीं सदी में मराठा पेशवा नाना साहेब के प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने भारत को 'माता की जय' शब्द दिया था। विजयन ने यह भी सवाल किया कि क्या संघ परिवार अब इस नारे का उपयोग करना जारी रखेगा क्योंकि उन्हें पता है कि यह एक मुस्लिम द्वारा दिया गया था।
बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय को श्रेय
हालांकि, भारत माता या मदर इंडिया के प्रतिष्ठित प्रतीक का व्यापक रूप से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश शासन के खिलाफ एकता और बलिदान की भावना के रूप में उपयोग किया गया था। बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय को अक्सर पेंटिंग और साहित्य के माध्यम से इसे लोकप्रिय बनाने का श्रेय दिया जाता है। बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के 1882 के उपन्यास 'आनंदमठ' ने वंदे मातरम को लोकप्रिय बनाया। 'भारत माता की जय' का 19वीं सदी के देशभक्त अजीमुल्ला खान से जुड़ाव बहस का मुद्दा बन गया है।
बीजेपी ने किया विरोध
बीजेपी नेता शुधांशु त्रिवेदी ने केरल के सीएम पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत में मां की पूजा करने का विचार वैदिक युग से ही रहा है। वहीं, भाजयुमो के पूर्व राष्ट्रीय सचिव और विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार अनूप एंटनी ने कहा, ऐतिहासिक रिकॉर्ड कहते हैं कि इसका पहली बार उल्लेख 1873 में किरण चंद्र बंदोपाध्याय के नाटक में किया गया था।
अज़ीमुल्लाह खान और 1857 का विद्रोह
संस्कृति मंत्रालय के अनुसार, अजीमुल्ला खान यूसुफजई भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (1857 का विद्रोह) के एक प्रमुख नेता थे, जिन्होंने कानपुर में अंग्रेजों का विरोध किया था। एमजी अग्रवाल ने अपनी पुस्तक फ्रीडम फाइटर्स ऑफ इंडिया में लिखा है, अजीमुल्ला खान 1857 के भारतीय विद्रोह में मुख्य रूप से वैचारिक रूप से शामिल थे, और उन्होंने नाना साहब जैसे महत्वपूर्ण रईसों को प्रभावित किया था।
अमर चित्र कथा के एक लेख के अनुसार, सितंबर 1830 में जन्मे अजीमुल्ला खान का प्रारंभिक जीवन विपरीत परिस्थितियों और ब्रिटिश राज की दमनकारी औपनिवेशिक मशीनरी के संपर्क से भरा था, जिसमें अजीमुल्ला खान को क्रांतिदूत कहा गया था। 1837 के भीषण अकाल से बचे अजीमुल्ला अपनी मां के साथ कानपुर में एक ब्रिटिश मिशनरी में पले-बढ़े थे।
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