केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने क्यों कहा- 'मैं हां में हां मिलाने वाला व्यक्ति नहीं हूं!' जानिए वजह
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि राज्यपाल विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को अनावश्यक रूप से रोक नहीं सकते। उन्होंने कहा, “उन्हें लगभग दो साल तक विधेयकों को अनुचित तरीके से रोक कर नहीं रखना चाहिए।
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान।
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने गुरुवार को कहा कि वह कोई “रबर स्टांप” या “हां में हां मिलाने वाले” व्यक्ति नहीं हैं, जो अपना दिमाग लगाए बिना राज्य विधानसभा की ओर से पारित विधेयकों पर अपनी मंजूरी दे देंगे। राज्यपाल ने कहा कि जब कोई अध्यादेश या विधेयक उनके सामने आता है, तो वह यह पता लगाने के लिए अपना दिमाग लगाते हैं कि यह संवैधानिक और कानूनी रूप से सही है या नहीं। उन्होंने कहा कि केरल के लोगों के कल्याण के लिए बनाया गया कोई विधेयक या अध्यादेश उनकी मेज पर एक घंटे भी नहीं रहेगा।
उन्होंने कहा, “मैं इसका तुरंत निस्तारण कर दूंगा। लेकिन जहां वे (सरकार) संस्थानों, विश्वविद्यालयों और उनकी स्वायत्तता को नष्ट करने के लिए कानून की शक्ति का इस्तेमाल करते हैं और संविधान की भावना के खिलाफ जाते हैं तो वे मुझसे यह उम्मीद नहीं कर सकते कि मैं उनकी हां में हां मिलाऊं।” राज्यपाल ने कहा, “मैं रबर स्टांप नहीं हूं।’’
राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए सुरक्षित सात विधेयकों के बारे में खान ने कहा कि उन्होंने मंत्रियों के आने और उन विधेयकों की सामग्री को समझाने के लिए लगभग दो साल तक इंतजार किया था। उन्होंने कहा, “मंत्री आए लेकिन स्पष्टीकरण नहीं दे सके।” खान ने कहा कि चूंकि सरकार ने उनके द्वारा मांगे गए स्पष्टीकरण देने के बजाय उच्चतम न्यायालय जाने का फैसला किया इसलिए, उन्होंने सात विधेयकों को राष्ट्रपति के पास भेज दिया। उन्होंने यह दावा करते हुए अपनी कार्रवाई को उचित ठहराया कि सात विधेयकों में से चार धन विधेयक की प्रकृति के थे क्योंकि उनमें व्यय शामिल था और इसलिए उन्हें राज्य विधानसभा में पेश करने के लिए राज्यपाल की पूर्व अनुमति आवश्यक थी। शेष तीन के बारे में खान ने कहा कि ये विधेयक यूजीसी के नियमों के विपरीत हैं।
उनके फैसले की विधानसभा में विपक्ष के नेता वी. डी. सतीसन ने आलोचना की।
उन्होंने कहा कि राज्यपाल विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को अनावश्यक रूप से रोक नहीं सकते। उन्होंने कहा, “उन्हें लगभग दो साल तक विधेयकों को अनुचित तरीके से रोक कर नहीं रखना चाहिए। विपक्ष लंबित विधेयकों की विषयवस्तु के खिलाफ है।” उन्होंने यह भी दावा किया कि राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच कोई विवाद या मतभेद नहीं है और यह सब जनता को गुमराह करने की कार्रवाई है।
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शाश्वत गुप्ता author
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