दिहाड़ी मजदूरी की, बीड़ी बनाई और फिर अमेरिका में बने जज, गर्व से सीना चौड़ा करती है केरल के इस शख्स की कहानी

Surendran K Pattel : भारत में देश की सबसे बड़ी अदालत में प्रैक्टिस करने वाले व्यक्ति को ग्रोसरी में सेल्समैन का काम करना नागवार गुजरा। ग्रोसरी स्टोर में काम करते हुए उन्होंने इस बात का पता किया कि वह अमेरिका में प्रैक्टिस कैसे कर सकते हैं। पट्टेल को जानकारी हुई कि इसके लिए उन्हें बॉर का एग्जाम करना होगा। इस बाधा को उन्होंने पहले प्रयास में पार कर लिया।

केरल में पट्टेल का बचपन मुश्किलों में बीता।

Surendran K Pattel : इंसान का जज्बा, हौसला और कुछ कर गुजरने की ललक असंभव को संभव बना देती है। मजबूत इरादों से अपनी नई तकदीर लिखने वाले होनहारों की भारत में कभी कमी नहीं रही। अपनी मेहनत और लगन से फर्श से अर्श पर पहुंचने वाले इन भारतीयों की कहनियां लोगों को प्रेरित करती आई हैं। युवाओं में ऊर्जा एवं सकारात्मक सोच पैदा करने वाली एक भारतीय की एक और कहानी सामने आई है। यह कहानी केरल के सुरेंद्रन के पट्टेल की है। बचपन में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले सुरेंद्रन अमेरिका में जज बन गए हैं। इनकी इस उपलब्धि पर आज हर भारतीय गर्व कर रहा है।

टेक्सास के कोर्ट में बने जज

पट्टेल को गत एक जनवरी को टेक्सास के फोर्ट बेंड काउंटी में 240वें ज्यूडिशियल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में जज के रूप में शपथ दिलाई गई। उन्होंने बीते साल आठ नवंबर को हुए चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार एडवर्ड केरनेक को हराया। केरल के कासरगोड़ में जन्मे और पले-बढ़े पट्टेल का बचपन आर्थिक तंगी एवं मुश्किलों में बीता। उनके माता-पिता दिहाड़ी मजदूरी करते थे। परिवार का खर्च चलाने लिए पट्टेल को स्कूल से आने के बाद बाहर काम करना पड़ता था। परिवार की मदद करने के लिए उन्होंने दिहाड़ी मजदूरी की और फैक्टरी में बीड़ी बनाने का काम किया। एक ऐसा समय भी आया जब पट्टेल को पढ़ाई छोड़कर पूरी तरह से दिहाड़ी मजदूरी में लगना पड़ा।

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