Yoga Diwas 2023: दुनिया भर में योग को फैलाने और ख्याति दिलाने वाले ये हैं भारत के 10 महागुरु
Yoga Diwas 2023 : प्राचीन गुरुओं से लेकर आधुनिक युग के योग गुरुओं ने भारत की इस प्राचीन विद्या के जरिए लोगों के आध्यात्मिक, मानसिक एवं शारीरिक कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया है। योग मानसिक शांति पाने एवं विकारों से दूर रहने में आज एक बड़ी भूमिका निभा रहा है।
योग को देश-दुनिया में फैलाने वाले भारत के गुरु।
Yoga Diwas 2023 : 'वसुधैव कुटुंबकम' की चिंतनधारा को आगे बढ़ाने वाले और उसे जीने वाले भारत ने दुनिया को अनेक चीजें दी हैं। इन्हीं में से एक योग है। आज पूरी दुनिया योग को अपने जीवन में उतार कर उससे लाभान्वित हो रही है। भारत के महर्षियों, योगियों ने इस योग को देश और दुनिया में फैलाने का काम किया। प्राचीन गुरुओं से लेकर आधुनिक युग के योग गुरुओं ने भारत की इस प्राचीन विद्या के जरिए लोगों के आध्यात्मिक, मानसिक एवं शारीरिक कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया है। योग मानसिक शांति पाने एवं विकारों से दूर रहने में आज एक बड़ी भूमिका निभा रहा है। एक समय तक योग तक पहुंच समाज के एक खास वर्ग तक सीमित थी लेकिन योग आज एक जन जागरण अभियान बन गया है। योग को जन-जन तक पहुंचाने एवं इसके लाभ से अवगत कराने में कई महर्षियों एवं योगियों का योगदान रहा है-
1- तिरुमलाई कृष्णमाचार्य (Tirumalai Krishnamacharya, 1888-1980)तिरुमलाई कृष्णमाचार्य की दुनिया भर में पहचान 'फादर ऑफ माडर्न' योगी की रही। तिरुमलाई अपने आयुर्वेद ज्ञान से लोगों के कष्टों को दूर किया करते थे। योग गुरु के रूप में इन्होंने हठ योग को एक नया रूप दिया। श्वास एवं इसकी गति पर नियंत्रण के जरिए इन्होंने विन्यास की स्थिति सामने रखी। इनकी योग शिक्षा पद्धति को विनियोग के नाम से जाना जाता है। यह योग के महान गुरु पतंजलि के योग सूत्र एवं योग यजनावलक्य पर आधारित है। तिरुमलाई का मानना था कि योग आध्यात्मिक एवं शारीरिक कष्टों को दूर करता है। इनके शिष्यों बीकेएस अयंगर, टीकेवी देसीकाचार एवं इंदरा देवी ने योग को आगे बढ़ाया।
2-स्वामी शिवानंद सरस्वती ( Sivananda Saraswati,1887-1963)योग के एक बड़े गुरु के रूप में स्वामी शिवानंद सरस्वती का नाम लिया जाता है। तमिलनाडु में जन्मे इस आध्यात्मिक गुरु ने देश और दुनिया में योग का नाम किया। योग के लिए समर्पित इस गुरु ने 40 साल की अवस्था में अपना डॉक्टर का पेशा छोड़ कर ऋषिकेश चले गए। यहां से इन्होंने योग की शिक्षा देनी शुरू की। ऋषिकेश में ही इन्हें आत्म-ज्ञान हुआ। यहां इन्होंने डिवाइन लाइफ सोशायटी की स्थापना की। इसे शिवानंद आश्रम के नाम से जाना जाता है। इन्होंने हमेशा मनुष्य को अपने अहंकार से मुक्ति पाने की बात कही। इनका मानना है कि अहं मनुष्य को आत्मज्ञान प्राप्त करने से रोकता है।
3-कृष्णा पट्टाभि जोइस ( K Pattabhi Jois, 1915-2009)दुनिया में योग को एक नई पहचान दिलाने में श्री के पट्टाभि जोइस का नाम भी सम्मान से लिया जाता है। यह आष्टांग योग (मैसूर योग) सामने लेकर आए। जोइस पेशे से प्रोफेसर एवं योग टीचर थे। हिंदू परंपराओं, योग एवं संस्कृत के प्रति लगाव और इन्हें सीखने की उत्कंठा इनमें इतनी ज्यादा थी कि इन्होंने अपना घर छोड़ दिया। कृष्णामाचार्य से इन्होंने योग सीखा। इसके बाद गवर्न्मेंट कॉलज में वह योग सीखाने लगे। योग शिक्षक के रूप में इनका प्रभाव काफी ज्यादा रहा। बाद में इनकी पत्नी एवं तीन बच्चों ने भी दुनिया भर में योग को फैलाया।
4-बीकेएस अयंगर (BKS Iyengar,1918-2014)योग की दुनिया में बेल्लुर कृष्णामाचार सुंदरराजा अयंगर उर्फ बीकेएस अंयगर एक बड़ा नाम है। यह अंयगर योग के प्रणेता हैं। पश्चिम में हठ योग को प्रसिद्धि दिलाने में इन्होंने बड़ी भूमिका निभाई। अपने योगदान के चलते अयंगर दुनिया भर में काफी सम्मानित एवं मशहूर रहे। अपने खराब स्वास्थ्य से छुटकारा पाने के लिए इनका योग की तरफ झुकाव हुआ और बाद में योग शिक्षक बन गए। इन्होंने योग के लिए एक संस्था एवं ट्रस्ट की स्थापना की। अपने जीवन पर्यंत तक इन्होंने योग की शिक्षा दी और बाद में इनके बच्चों ने इस विरासत को आगे बढ़ाया।
5-स्वामी कुवालयानंद (Swami Kuvalayananda,1883-1996)योग पर अपने वैज्ञानिक अनुंसधान के लिए स्वामी कुवालयनांद की विशेष पहचान है। आधुनिक योग पर इनका गहरा प्रभाव माना जाता है। यह अपने छात्र जीवन में महर्षि अरविंदो से काफी प्रभावित थे। योग के विभिन्न प्रकारों को इन्होंने एक वैज्ञानिक आधार दिया। योग पर इन्होंने निरंतर अपना शोध जारी रखा। अपने योग रिसर्च सेंटर में इन्होंने योग मीमांसा की शुरुआत की। योग पर यह पहली पत्रिका थी जिसमें योग एवं उसके वैज्ञानिक पहलुओं पर जानकारी दी जाती थी।
6-माताजी निर्मला देवी (Mataji Nirmala Devi,1923-2011)जीवन में सहज शैली को बढ़ावा देते हुए माताजी निर्मला देवी ने लोगों में आत्म-ज्ञान की चेतना जगाने का काम किया। इनका जोर ध्यान पर होता था। ध्यान के जरिए यह मनुष्यों की कुंडलिनी जागृत करती थीं। लोगों को ध्यान की तरफ आकर्षित करने के लिए इन्होंने अपने आत्म-जागरण के अनुभव साझा किए। बाद में माताजी निर्मला देवी लंदन चली गईं। पश्चिम में इनकी पहचान पहले सहज योगी के रूप में हुई। बाद में सहज योग इनका एक धार्मिक आंदोलन बन गया। सहज योग, ध्यान के जरिए कुंडलिनी जागरण एवं आत्म ज्ञान पर जोर देता है।
7-स्वामी रामदेव (Swami Ramdev,1965 से अब तक)स्वामी रामदेव आधुनिक योग का चेहरा हैं। बीते दो दशकों में इन्होंने देश और दुनिया में योग को एक अलग पहचान एवं ख्याति दी है। इन्होंने सहज तरीके से योग को लोगों के सामने रखा। बाबा रामदेव ने अनुलोम-विलोम, कपाल भाति के जरिए योग को घर-घर तक पहुंचाने का काम किया है। देश और दुनिया भर में इनके लाख-करोड़ों अनुयायी एवं प्रशंसक हैं। 1990 के दशक में रामदेव ने हरिद्वार में पतंजलि योगपीठ की स्थापना की। यह संस्थान योग के आसनों एवं आयुर्वेद को बढ़ावा देता है। रोगों से मनुष्य को दूर रखने के लिए इन्होंने पतंजलि आयुर्वेद उत्पाद बनाने शुरू किए। स्वामी रामदेव से पहले योग अभिजात्य वर्ग की चीज मानी जाती थी। योग आम लोगों की पहुंच से दूर था लेकिन बाबा रामदेव ने योग को जन-जन तक पहुंचा दिया।
8-महाऋषि महेश योगी ( Maharishi Mahesh Yogi, 1918-2008)महाऋषि महेश योगी एक गुरु एवं योगी थे जिन्होंने 1960 के दशक में योग के एक अलग रूप 'ट्रासेंडेंटल मेडिटेशन' को पेश किया। योग के इस रूप को दुनिया में काफी पसंद किया गया। 'द बीटल्स' सहित विश्व की कई हस्तियां महेश योगी की अनुयायी बनीं। इन्होंने योग पर कई किताबें लिखीं। योग पर इनके लेख कई पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर इन्हीं के शिष्य हैं। योग एवं ध्यान को इन्होंने दुनिया भर में फैलाने का काम किया। योग एवं ध्यान के क्षेत्र में इन्होंने वैज्ञानिक अध्ययन को बढ़ावा दिया।
9-सदगुरु जग्गी वासुदेव ( Sadhguru Jaggi Vasudev,1957 से अब तक)आधुनिक भारत में जग्गी वासुदेव की पहचान एक योगी, चिंतक एवं लेखक के रूप में है। इन्हें सदगुरु के नाम से जाना जाता है। यह ईशा फाउंडेशन के संस्थापक हैं। यह दुनिया भर में आध्यात्म एवं योग की शिक्षा देते रहे हैं। इनका संस्थान लोगों को उनकी समस्याओं से छुटकारा दिलाने के लिए कई तरह के कार्यक्रम चलाता है। सदगुरु बचपन में ही योग से प्रभावित हुए। मल्लाधिहल्ली श्री राघवेंद्र स्वामी जी से इन्होंने योग के आसन सीखे। सद्गुरु केवल योगी ही नहीं बल्कि पर्यावरणविद भी हैं। सद्गुरु बुजुर्ग एवं युवा दोनों में समान रूप से मशहूर हैं।
10-श्वसा गुरु, वचनानंद (Shwaasa Guru Vachananda,1983 से अब तक)स्वामी वचनानंद जी को श्वसा गुरु के नाम से भी जाना जाता है। यह एक योगी, सामाजिक कार्यकर्ता, लोगों की मदद करने वाले एवं संन्यासी हैं। वचनानंद जी ने आठ साल की आयु में अपना घर छोड़ दिया। जीवन, आध्यात्म एवं योग का ज्ञान प्राप्त करने के बाद इन्होंने 2021 में अपना श्वसा आश्रम की स्थापना की। इस आश्रम के जरिए यह दुनिया भर में योग फैलाने का काम करते हैं।
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