इस शख्स का था वंदे भारत एक्सप्रेस शुरू करने का आइडिया, चुनौतियों से नहीं हारा, लड़ा दी जान

क्या आप जानते हैं कि देश में वंदे भारत एक्सप्रेस शुरू करने का विचार किसके मन में आया था। आज हम आपको उसी शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं।

Sudhanshu Mani

सुधांशु मणि

Sudhanshu Mani: देश को 18वीं वंदे भारत एक्सप्रेस की सौगात मिल चुकी है। गुरुवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने ओडिशा के पुरी से प. बंगाल के हावड़ा के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। ओडिशा की यह पहली वंदे भारत एक्सप्रेस है। वंदे भारत ट्रेन आज के दौर में रेलवे की ताकत बन चुकी है। लगातार इसके नेटवर्क में इजाफा करते हुए देश के कोने-कोने में इसकी शुरुआत की जा रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में वंदे भारत एक्सप्रेस शुरू करने का विचार किसके मन में आया था। आज हम आपको उसी शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं।

वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन शुरू करने का श्रेय

38 साल के करियर वाले भारतीय रेलवे के इंजीनियरिंग अधिकारी सुधांशु मणि ही वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के मास्टरमाइंड हैं। लगभग 18 महीने के भीतर ही ट्रेन की डिलीवरी सुनिश्चित करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। जब वे चेन्नई की इंटीग्रेटेड कोच फैक्ट्री में महाप्रबंधक थे, सेमी-हाई स्पीड ट्रेन उनका एक सपना था। उन्होंने एक स्व-चालित ट्रेन की कल्पना की थी जो 180 किमी की गति से चल सकती हो और आयातित सेमी-हाई स्पीड ट्रेनों की आधी कीमत पर मिल सके।

2016 में दिया ट्रेन का आइडिया

2016 में जब रेलवे एक सेमी-हाई स्पीड ट्रेन आयात करने की योजना बना रहा था, तब सुधांशु इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई में महाप्रबंधक बने। उन्होंने स्वदेशी तकनीक के साथ एक सेमी-हाई स्पीड ट्रेन विकसित करने का विचार पेश किया जो कि लागत प्रभावी होने के साथ-साथ गति और गुणवत्ता के मामले में भी आयातित ट्रेनों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सके। इस प्रस्ताव को शुरू में रेलवे बोर्ड के अधिकारियों से संदेह हुआ, लेकिन सुधांशु अपनी बात पर डटे रहे और परियोजना को मंजूरी दे दी गई।

सामने आईं कई चुनौतियां

सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक था ट्रेन-18 के लिए सेमी-हाई स्पीड बोगियों का फ्रेम तैयार करना। सुधांशु को कानपुर में एक कंपनी मिली जो फ्रेम बना सकती थी और इसे इंटीग्रल कोच फैक्ट्री को सौंप दिया। 50 रेलवे इंजीनियरों और 500 फैक्ट्री कर्मचारियों की एक टीम ने तब वंदे भारत के प्रोटोटाइप रैक को केवल 18 महीनों में डिजाइन और तैयार करने के लिए लगातार काम किया।

पहले ट्रेन-18 था इसका नाम

वंदे भारत एक्सप्रेस के डिजाइन में तेज गति हासिल करने के लिए बोगियों के नीचे इंजन लगाने के लिए जगह शामिल की गई थी। डिजाइन तैयार करते समय टीम के सामने यह सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक थी। इस ट्रेन का नाम पहले ट्रेन 18 रखा गया था, लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर वंदे भारत एक्सप्रेस कर दिया गया। आज वंदे भारत ट्रेन अपनी गति और सुविधाओं के साथ देश की सबसे तेज गति की ट्रेन बन गई है। अब तक 18 ट्रेन शुरू की जा चुकी है और इसे देश के कोने-कोने में शुरू करने की योजना है।

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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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