जब 17 साल पहले हरियाणा में हुआ था उत्तराखंड जैसा 'चमत्कार', 60 फीट गहरे बोरवेल में गिरे प्रिंस का हुआ था रेस्क्यू
सेना जब आई तो उसने रेस्क्यू का पूरा खाका तैयार किया। इसके बाद सेना ने प्रिंस का हौंसला बढ़ाना शुरू किया ताकि वो जीवित रहने के लिए संघर्ष कर सके। उसके लिए नीचे लाइट भेजी गई, बिस्कुट भेजा गया, जूस भेजा गया। इसके बाद सेना ने बोरवेल के बराबर में एक सुरंग खोदा, घंटों का समय लगा।
2006 में हुआ था प्रिंस का रसेक्यू ऑपरेशन
मंगलवार को जब 17 दिन बाद सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूर सुरक्षित निकाल लिए गए तो ऑपरेशन प्रिंस की याद आ गई। बचाव कर्मियों ने जिस चमत्कार को आज उत्तराखंड में अंजाम दिया है, वो उसी चमत्कार की तरह है, जिसे 17 साल पहले हरियाणा के कुरुक्षेत्र में अंजाम दिया गया था। तब कुरुक्षेत्र के एक 60 फीट गहरे बोरबेल में प्रिंस नाम का बच्चा गिर गया था। उसे 50 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद सेना ने सुरक्षित निकाल लिया था।
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जब प्रिंस बोरवेल में गिरा
जुलाई का महीना था, साल 2006 था, 5 साल के प्रिंस के लिए वो एक आम दिन की तरह था। तब प्रिंस पड़ोस में एक दुकान पर गया था, जहां उसने एक चूहे को एक बोरे में घुसते हुए देखा। बालक मन चूहों को मारने का हुआ और वो बोरे पर कूदने लगा। तभी वो बोरवेल में गिर गया। प्रिंस जबतक समझता वो 60 फीट नीचे गिर चुका था। दरअसल जिस बोरे पर प्रिंस कूदा था, वो बोरवेल के ऊपर रखा था, प्रिंस जैसे ही उसपर कूदा, वो बोरवेल में गिर गया।
प्रिंस रेस्क्यू ऑपरेशन
बोरवेल के अंदर पूरा अंधेरा था। प्रिस डर गया और रोने लगा। जिसके बाद वहां मौजूद उसके दोस्तों ने उसके परिवार वालों को बताया। घरवालों की हालत खराब हो गई। स्थानीय पुलिस को सूचना दी गई, वो पहुंची, बाकी के अधिकारी पहुंचे। यह रेस्क्यू ऑपरेशन आसान नहीं था। जिसके बाद सेना को बुला लिया गया। सेना जब आई तो उसने रेस्क्यू का पूरा खाका तैयार किया। इसके बाद सेना ने प्रिंस का हौंसला बढ़ाना शुरू किया ताकि वो जीवित रहने के लिए संघर्ष कर सके। उसके लिए नीचे लाइट भेजी गई, बिस्कुट भेजा गया, जूस भेजा गया। इसके बाद सेना ने बोरवेल के बराबर में एक सुरंग खोदा, घंटों का समय लगा। इसी सुरंग के सहारे सेना के जवान प्रिंस तक पहुंचे और फिर 50 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद प्रिंस को बचा लिया गया।
उत्तराखंड सुरंग हादसे में क्या-क्या हुआ
12 नवंबर को उत्तराखंड के उत्तरकाशी में एक निर्मांणाधीन सुरंग में हादसा हुआ और मलबा गिरने से 41 मजदूर फंस गए। मजदूरों के पास पहुंचने के लगातार प्रयास किए गए। सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, वायुसेना, विदेशी विशेषज्ञ और लास्ट में रैट माइनर्स ने इस रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम दिया। अमेरिकी ऑगर मशीनें जब ड्रिलिंग करने में नाकामयाब हो गईं तब रैट माइनर्स ने हाथ से खुदाई करके मजदूरों को बाहर निकाला।
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शिशुपाल कुमार author
पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें
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