Mann Ki Baat: जानिए क्या है 'प्रोजेक्ट परी', जिसकी पीएम मोदी ने 'मन की बात' में दी जानकारी

PM Modi's Mann Ki Baat: पीएम मोदी ने 'मन की बात' में पेरिस ओलंपिक, मैथ्स ओलंपियाड, बाघ संरक्षण और 'मानस' हेल्पलाइन की बात की, यह पीएम मोदी की मन की बात का 112वां एपिसोड था।

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पीएम मोदी ने की 'मन की बात'

what is Project Pari: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 112वीं बार मन की बात (PM Modi's Mann Ki Baat) के जरिए देशवासियों को संबोधित किया। एक बार फिर जन सरोकार से जुड़े मुद्दों पर राय रखी और मैथ्स ओलंपियाड में भारत की धाक जमाने वाले छात्रों से बात की। पीएम ने अहोम सम्राज्य के चराईदेव मैदाम और प्रोजेक्ट परी (Project Pari) से जुड़ी जानकारी भी साझा की।
पीएम मोदी ने कहा, एक प्रयास है- प्रोजेक्ट परी, अब आप परी सुनकर कन्फ्यूज मत होईएगा, ये परी स्वर्गीय कल्पना से नहीं जुड़ी बल्कि धरती को स्वर्ग बना रही है। परी यानि पब्लिक आर्ट ऑफ इंडिया, प्रोजेक्ट परी, पब्लिक आर्ट को लोकप्रिय बनाने के लिए उभरते कलाकारों को एक मंच पर लाने का बड़ा माध्यम बन रहा है। आप देखते होंगे सड़कों के किनारे, दीवारों पर अंडरपास में बहुत ही सुंदर पेटिंग्स बनी हुई दिखती हैं। ये पेटिंग्स और ये कलाकृतियां यही कलाकार बनाते हैं जो परी से जुड़े हैं।
पीएम बोले, इससे जहां हमारे सार्वजनिक स्थानों की सुंदरता बढ़ती है, वहीं हमारे कल्चर को और ज्यादा पॉपुलर बनाने में भी मदद मिलती है। उदाहरण के लिए दिल्ली के भारत मंडपम को ही लीजिए। यहां देश भर के अद्भुत ऑर्ट वर्क आपको देखने को मिल जाएंगे। दिल्ली में कुछ अंडरपास और फ्लाईओवर पर भी आप ऐसे खूबसूरत पब्लिक ऑर्ट देख सकते हैं | मैं कला और संस्कृति प्रेमियों से आग्रह करूंगा कि वे भी पब्लिक आर्ट पर और काम करें। ये हमें अपनी जड़ों पर गर्व करने की सुखद अनुभूति देगा।
मन की बात में पीएम ने पेरिस ओलंपिक का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इस समय पूरी दुनिया में पेरिस ओलंपिक छाया हुआ है। ओलंपिक हमारे खिलाड़ियों को विश्व पटल पर तिरंगा लहराने का मौका देता है, देश के लिए कुछ कर गुजरने का मौका देता है। आप भी अपने खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाएं,चीयर फॉर भारत।

उन छात्रों से भी बात की जिन्होंने मैथ ओलंपियाड में देश का नाम रोशन किया

उन छात्रों से भी बात की जिन्होंने मैथ ओलंपियाड में देश का नाम रोशन किया है। कहा, स्पोर्ट्स की दुनिया के इस ओलंपिक से अलग, कुछ दिन पहले मैथ्स की दुनिया में भी एक ओलंपिक हुआ है। इंटरनेशनल मैथमेटिक्स ओलंपियाड, इस ओलंपियाड में भारत के स्टूडेंट्स ने बहुत शानदार प्रदर्शन किया है। इसमें हमारी टीम ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए चार गोल्ड मेडल और एक सिल्वर मेडल जीता है। इसमें 100 से ज्यादा देशों के युवा हिस्सा लेते हैं और हमारी टीम टॉप पांच में आने में सफल रही। पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में इंटरनेशनल मैथमेटिक्स ओलिंपियाड विजेताओं से फोन पर बात की।

क्या आपने चराईदेउ मैदाम का नाम सुना है?

उन्होंने आगे कहा कि 'मन की बात' में, अब मैं उस विषय को साझा करना चाहता हूं, जिसे सुनकर हर भारतवासी का सिर गर्व से ऊंचा हो जाएगा। लेकिन, इसके बारे में बताने से पहले मैं आपसे एक सवाल करना चाहूंगा। क्या आपने चराईदेउ मैदाम का नाम सुना है? अगर नहीं सुना, तो अब आप ये नाम बार-बार सुनेंगे और बड़े उत्साह से दूसरों को बताएंगे।

इस लिस्ट में यह भारत की 43वीं, लेकिन नार्थ ईस्ट की पहली साइट होगी
असम के चराईदेउ मैदाम को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल किया जा रहा है। इस लिस्ट में यह भारत की 43वीं, लेकिन नार्थ ईस्ट की पहली साइट होगी। आपके मन में ये सवाल जरूर आ रहा होगा कि चराइदेव मैदाम आखिर है क्या, और ये इतना खास क्यों है। चराईदेउ का मतलब है शाइनिंग सिटी ऑन द हिल यानी पहाड़ी पर एक चमकता शहर। ये अहोम राजवंश की पहली राजधानी थी। अहोम राजवंश के लोग अपने पूर्वजों के शव और उनकी कीमती चीजों को पारंपरिक रूप से मैदाम में रखते थे।

'ये मैदाम, अहोम साम्राज्य के दिवंगत राजाओं और गणमान्य लोगों के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है'

मैदाम, टीले नुमा एक ढांचा होता है, जो ऊपर मिट्टी से ढका होता है और नीचे एक या उससे ज्यादा कमरे होते हैं। ये मैदाम, अहोम साम्राज्य के दिवंगत राजाओं और गणमान्य लोगों के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है। अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान प्रकट करने का ये तरीका बहुत यूनिक है। इस जगह पर सामुदायिक पूजा भी होती थी।

अहोम साम्राज्य के बारे में दूसरी जानकारियां आपको और हैरान करेंगी

पीएम मोदी ने बताया कि अहोम साम्राज्य के बारे में दूसरी जानकारियां आपको और हैरान करेंगी। 13वीं शताब्दी के शुरू होकर ये साम्राज्य 19वीं शताब्दी की शुरुआत तक चला। इतने लंबे कालखंड तक एक साम्राज्य का बने रहना बहुत बड़ी बात है। शायद अहोम साम्राज्य के सिद्धांत और विश्वास इतने मजबूत थे, कि उसने इस राजवंश को इतने समय तक कायम रखा।मुझे याद है कि इसी वर्ष 9 मार्च को मुझे अदम्य साहस और शौर्य के प्रतीक, महान अहोम योद्धा लसित बोरफुकन की सबसे ऊंची प्रतिमा के अनावरण का सौभाग्य मिला था। इस कार्यक्रम के दौरान, अहोम समुदाय आध्यात्मिक परंपरा का पालन करते हुए मुझे अलग ही अनुभव हुआ था।

'लसित मैदाम में अहोम समुदाय के पूर्वजों को सम्मान देने का सौभाग्य मिलना मेरे लिए बहुत बड़ी बात'

लसित मैदाम में अहोम समुदाय के पूर्वजों को सम्मान देने का सौभाग्य मिलना मेरे लिए बहुत बड़ी बात है। अब चराईदेउ मैदाम के वर्ल्ड हेरिटेज साइट बनने का मतलब होगा कि यहां पर और अधिक पर्यटक आएंगे। आप भी भविष्य के अपने ट्रेवल प्लॉन में इस साइट को जरूर शामिल करिएगा।
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रवि वैश्य author

मैं 'Times Now नवभारत' Digital में Assistant Editor के रूप में सेवाएं दे रहा हूं, 'न्यूज़ की दुनिया' या कहें 'खबरों के संसार' में काम करते हुए करीब...और देखें

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