Pawan Khera: डिबेट में BJP पर तीखा हमला बोलते रहे हैं पवन खेड़ा, PM मोदी के पिता पर अभद्र टिप्पणी कर फंसे
Pawan Khera : पवन खेड़ा का जन्म 31 जुलाई 1968 को दिल्ली में हुआ। कांग्रेस से खेड़ा का नाता पुराना है। वह साल 1989 में कांग्रेस की युवा इकाई से जुड़े, हालांकि पार्टी से उनका यह जुड़ाव लंबे समय तक नहीं चला। साल 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद इन्होंने कांग्रेस छोड़ दी।
रायपुर जाने से पहले दिल्ली में गिरफ्तार हुए कांग्रेस नेता पवन खेड़ा।
Pawan Khera : कांग्रेस नेता पवन खेड़ा दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को उस वक्त हिरासत में लिया गया जब वह दिल्ली एयरपोर्ट से रायपुर के लिए उड़ान भरने वाले थे। हालांकि, अपनी इस कार्रवाई पर दिल्ली पुलिस ने कहा कि असम पुलिस के अनुरोध पर उसने खेड़ा को हिरासत में लिया। बाद में असम पुलिस ने खेड़ा को गिरफ्तार कर लिया। समझा जाता है कि खेड़ा के खिलाफ यह कार्रवाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिता के बारे में दिए गए उनके विवादित बयान को लेकर हुई है। समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में असम पुलिस के आईजीपी प्रशांत कुमार भूइयां ने बताया कि दीमा हसाओ के हाफलोंग में खेड़ा के खिलाफ केस दर्ज हुआ है और इस मामले में उनकी रिमांड लेने के लिए असम पुलिस दिल्ली के लिए रवाना हुई है।
वहीं, कांग्रेस ने अपने एक ट्वीट में कहा कि हमारे वरिष्ठ नेता इंडिगो की फ्लाइट से दिल्ली से रायपुर जा रहे थे। ये सभी नेता विमान में सवार हो गए थे, थोड़ी देर बाद पवन खेड़ा को विमान से उतरने के लिए कहा गया और फिर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
कौन हैं पवन खेड़ा (Who is Pawan Kheda)पिछले कुछ वर्षों में पवन खेड़ा ने कांग्रेस में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। प्रवक्ता पद की जिम्मेदारी संभालने के बाद यह तेजी से उभरे हैं। इनकी पहचान अब कांग्रेस के वरिष्ठ एवं कद्दावर नेताओं में होने लगी है। टेलिविजन की बहसों में खेड़ा कांग्रेस के पक्ष को मजबूती एवं प्रखरता के साथ रखने के लिए जाने जाते हैं। हालांकि, समय-समय पर अपने विवादित बयानों को लेकर ये सुर्खियों में भी रहते आए हैं। इनके 'वन लाइनर्स' काफी चुटीले एवं व्यंग्य से भरे होते हैं। यहां हम आपको बताएंगे कि आखिर पवन खेड़ा हैं कौन और अब तक की इनकी राजनीतिक यात्रा कैसी रही है-
1989 में कांग्रेस से जुड़ेपवन खेड़ा का जन्म 31 जुलाई 1968 को दिल्ली में हुआ। कांग्रेस से खेड़ा का नाता पुराना है। वह साल 1989 में कांग्रेस की युवा इकाई से जुड़े, हालांकि पार्टी से उनका यह जुड़ाव लंबे समय तक नहीं चला। साल 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद इन्होंने कांग्रेस छोड़ दी। बाद में साल 1998 में इन्होंने फिर से कांग्रेस में वापसी की। इस साल खेड़ा को दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का राजनीतिक सचिव बनाया गया। इस पद पर वह वर्ष 2013 तक बने रहे। साल 2015 से न्यूज चैनलों पर होने वाली बहसों में वह कांग्रेस का पक्ष रखते आ रहे हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले खेड़ा को चुनाव समिति का संयोजक बनाया गया।
खेड़ा के बेबाक बोलचीन के साथ जारी सीमा विवाद पर टेलीविजन के एक बहस में खेड़ा ने भाजपा को घेरते हुए कहा, 'हम इनसे सीमाओं पर पूछते हैं, ये हमसे लड़ने आ जाते हैं। अरे चीन से लड़िए ना...कांग्रेस से लड़ने के लिए पूरे चार साल पड़े हैं, हम भी लड़ लेंगे।' चीन के 59 एप पर पाबंदी लगने पर उन्होंने कहा-'हमला मैप पे हो रहा है और बदला एप पर लिया जा रहा है।'
PM मोदी के पिता के बारे में क्या कहा थाकुछ दिनों पहले एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान पवन खेड़ा ने पीएम मोदी के पिता पर कमेंट किया था। उन्होंने कहा था कि 'वो जाने हमारा क्या मतलब। हम स्पष्ट बात कर रहे हैं जेपीसी। हम कह रहे हैं कि संसद में आप चर्चा से क्यों भागते हो। हम कह रहे हैं कि जेपीसी की मांग से आप क्यों डरते हो। जब नरसिम्हा राव जेपीसी बना सकते थे, जब अटल बिहारी वाजपेयी जेपीसी बैठा सकते थे। तो नरेंद्र गौतम दास, सॉरी दामोदर दास मोदी को क्या प्रॉब्लम है। फिर वो पूछते हैं कि गौतम दास है या दामोदर दास, साथ में बैठे शख्स ने कहा कि दामोदर दास तो उन्होंने भी दामोदर दास कहा। इसके बाद कुछ देर रुककर खेड़ा ने कहा कि नाम दामोदरदास है, काम गौतम दास है और इसके बाद पवन खेड़ा हंसने लगे।'
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