Kolkata Doctor Murder Case: प्रिंसिपल को क्यों मिली जमानत? CBI दफ्तर के बाहर हंगामा; जूनियर डॉक्टरों ने जांच पर उठाए सवाल

Kolkata Doctor Murder Case: कोलकाता के आरजी कर के पूर्व प्रिंसिपल को जमानत मिलने के बाद जूनियर डॉक्टरों, नर्सों और अन्य लोगों ने सीबीआई कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि जूनियर डॉक्टर के साथ बर्बरता के बाद हत्या को जांच एजेंसियां हल्के में निपटाना चाहती हैं, लेकिन वे न्याय के लिए अडिग हैं वे पीछे नहीं हटेंगे।

कोलकाता सीबीआई दफ्तर के बाहर प्रदर्शन

Kolkata Doctor Murder Case: कोलाकाता स्थित आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या के मामले ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है। दरअसल, पश्चिम बंगाल में सियालदह कोर्ट ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और ताला पुलिस स्टेशन के पूर्व प्रभारी अभिजीत मंडल को जमानत दे दी है। दलील है कि सीबीआई 90 दिनों की अवधि के भीतर आरोप पत्र दाखिल नहीं कर सकी। अदालत से जमानत देने के बाद जूनियर डॉक्टरों में काफी अक्रोश है। जूनियर डॉक्टरों, नर्सों और अन्य लोगों ने सीबीआई कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। इसके अलावा अभया बलात्कार-हत्याकांड के आरोपियों के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दायर करने में सीबीआई की विफलता के खिलाफ अभया मंच ने विरोध प्रदर्शन किया और पुतला जलाया।

अभया को न्याय दिलाने के लिए अडिग

आरजी कर के पूर्व प्रिंसिपल को जमानत मिलने के बाद एक प्रदर्शनकारी का कहना है कि हमारी मांग अभया को न्याय दिलाने की है। आज का विरोध इस बात पर है कि सीबीआई आरोपपत्र दायर नहीं कर पाई है। न्याय मिलने तक विरोध जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि वे न्याय के लिए अपने संकल्प पर अडिग हैं और वे पीछे नहीं हटेंगे।

90 दिनों में जांच नहीं कर पाई सीबीआई

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक महिला प्रशिक्षु चिकित्सक से दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में दो प्रमुख संदिग्धों को अदालत से जमानत मिलने के बाद कनिष्ठ चिकित्सकों ने शुक्रवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच पर निराशा व्यक्त की। चिकित्सकों ने घटना के बाद कई महीनों तक विरोध प्रदर्शन किया था। सियालदह अदालत ने ड्यूटी पर मौजूद महिला चिकित्सक से दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष और ताला थाने के पूर्व प्रभारी अभिजीत मंडल को जमानत दे दी। सीबीआई अनिवार्य 90 दिनों की अवधि के भीतर संदिग्धों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने में विफल रही, जिसके बाद उन्हें जमानत दे दी गई।

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