कोलकाता कांड: सुप्रीम कोर्ट ने CISF को सौंपी अस्पताल की सुरक्षा, पूछा- हजारों लोगों की भीड़ अस्पताल में कैसे घुसी?

सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता पुलिस को भी फटकार लगाई और पूछा कि हजारों लोगों की भीड़ आरजी कर मेडिकल कॉलेज में कैसे घुसी। ममता सरकार पर किस तरह सख्त हुआ सुप्रीम कोर्ट जानिए।

कोलकाता रेप-मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट की सख्ती

Kolkata Doctor Murder Case: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश दिया है ताकि डॉक्टर काम फिर से शुरू कर सकें। अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की घटना को भयावह बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प. बंगाल सरकार को आज कड़ी फटकार लगाई है। इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में देरी को लेकर अदालत ने ममता सरकार को फटकार लगाई। मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह घटना पूरे भारत में डॉक्टरों की सुरक्षा के संबंध में व्यवस्थागत मुद्दे को उठाती है।

हजारों लोगों की भीड़ कैसे अस्पताल में घुसी?

पीठ ने कोलकाता पुलिस को भी फटकार लगाई और पूछा कि हजारों लोगों की भीड़ आरजी कर मेडिकल कॉलेज में कैसे घुसी। उसने पूछा कि जब आरजी कर अस्पताल के प्राचार्य का आचरण जांच के घेरे में है तो उन्हें कैसे तुरंत किसी दूसरे कॉलेज में नियुक्त कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार को प्रदर्शनकारियों पर बल का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि यह राष्ट्रीय संशुद्धि का वक्त है। अदालत ने कहा कि ज्यादातर युवा डॉक्टर 36 घंटे काम करते हैं और कार्य स्थल पर सुरक्षित स्थितियां सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय प्रोटोकॉल बनाने की जरूरत है।

केस दर्ज करने में देरी को लेकर ममता सरकार की आलोचना

इस घटना पर स्वत: संज्ञान लेने वाली भारत के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अगर महिलाएं काम पर नहीं जा पा रही हैं और काम करने की स्थितियां सुरक्षित नहीं हैं तो हम उन्हें समानता से वंचित कर रहे हैं। शीर्ष अदालत ने बलात्कार-हत्या मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में देरी को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार की आलोचना करते हुए पूछा कि अस्पताल के प्राधिकारी क्या कर रहे थे? पीठ में न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं। पीठ ने कहा, ऐसा लगता है कि अपराध का पता सुबह-सुबह ही चल गया था लेकिन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने इसे आत्महत्या बताने की कोशिश की।

सॉलिसिटर जनरल ने कहा, कानून-व्यवस्था पूरी तरह से विफल

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पश्चिम बंगाल को चीजों को नकारने की स्थिति में न रहने दें और राज्य में कानून एवं व्यवस्था पूरी तरह से विफल हो गई है। उन्होंने कहा कि 7,000 लोगों की भीड़ कोलकाता पुलिस की जानकारी के बिना आरजी कर अस्पताल में नहीं घुस सकती। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वत: संज्ञान लेना इस तथ्य को देखते हुए महत्वपूर्ण है कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने पहले ही कार्रवाई की है और मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है।
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