Kolkata Rape Murder Case: रेजिडेंट डॉक्टर्स ने हड़ताल ली वापस, सरकार को 45 दिन का दिया समय
Kolkata Rape Murder Case: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी के खिलाफ रेजिडेंट डॉक्टर्स द्वारा जारी हड़ताल समाप्त करने की घोषणा की गई। हालांकि, रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन सभी मांगों को लागू करने के लिए सरकार को 45 दिनों का वक्त दिया है।
फाइल फोटो।
- पिछले कई दिनों से जारी थी हड़ताल।
- आज शाम से काम पर लौटने का आग्रह।
- सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार को लताड़ा।
Kolkata Rape Murder Case: कोलकाता में महिला डॉक्टर से रेप और उसकी हत्या मामले को लेकर आरडीए (रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन) आरएमएल द्वारा जारी हड़ताली समाप्त कर दी गई। रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने बताया कि हड़ताल समाप्त कर दी गई है। यह निर्णय देश के रेजिडेंट डॉक्टरों द्वारा रखी गई सभी महत्वपूर्ण मांगों को सरकार द्वारा स्वीकार किए जाने के बाद आया है। बता दें कि हड़ताल की वजह से स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई थी, जो अब पटरी पर लौटेगी।
रेजिडेंट डॉक्टर्स ने समाप्त की हड़ताल
रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने अपने बयान में कहा कि कोलकाता के आरजी कर कॉलेज और अस्पताल में एक ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी ने पूरे देश को शर्मसार कर दिया। इसे लेकर हमने हड़ताल शुरू की, जिस पर हमें पूरे देश के रेजिडेंट डॉक्टर्स का समर्थन मिला। इस मामले को सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया और सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्वतः संज्ञान लिया।
आज शाम से काम पर लौटने का आग्रह
रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने बताया कि इस मामले को लेकर हमारी बात मंत्री और अन्य अधिकारियों हुई, जिसमें हमें सुरक्षित माहौल देने का वादा किया गया है। साथ ही हमारी मांगे मान ली गई है, जिसे देखते हुए हमने हड़ताल समाप्त करने की घोषणा की है और सरकार को 45 दिन का समय देने का निर्णय लिया है, जिसमें हमारी मांगों को लागू किया जाए, जिसमें अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था जैसी मांगें शामिल हैं। इसके साथ ही रेजिडेंट डॉक्टर्स को 20 अगस्त शाम चार से काम पर लौटने का आग्रह किया गया। कहा गया है कि हम हमेशा उनके साथ खड़े रहेंगे और हमेशा हमारा समर्थन रेजिडेंट डॉक्टर्स के साथ रहेगा।
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सुप्रीम कोर्ट ने गठित की समिति
इधर, सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना पर डॉक्टर्स और स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा तथा सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रीय प्रोटोकॉल विकसित करने के लिए मंगलवार को 10 सदस्यीय कार्य बल गठित किया है। यह समिति तीन सप्ताह के भीतर अपनी अंतरिम रिपोर्ट और दो महीने के भीतर अंतिम रिपोर्ट सौंपेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कामकाजी परिस्थितियों ने डॉक्टर्स और स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ हिंसा का खतरा बढ़ा दिया है।
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि महिला डॉक्टर्स की रक्षा करना राष्ट्रहित का मामला है और समानता का सिद्धांत इससे कम की अपेक्षा नहीं करता है। कोर्ट ने कहा कि जमीनी स्तर पर चीजें बदलने के लिए देश एक और दुष्कर्म की घटना का इंतजार नहीं कर सकता। उसने कहा कि चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा के लिए कानून हैं, लेकिन उनमें व्यवस्थागत मुद्दों का समाधान नहीं है।
समिति में कौन-कौन शामिल?
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कार्य बल के 10 सदस्यों में सर्जन वाइस एडमिरल आर के सरियां, एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल गैस्ट्रोलॉजी के प्रबंध निदेशक डॉ. रेड्डी, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास, निमहंस, बेंगलुरु की डॉ. प्रतिमा मूर्ति शामिल हैं। पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार के कैबिनेट सचिव और गृह सचिव राष्ट्रीय कार्यबल के पदेन सदस्य होंगे।
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