Land For Jobs Scam: लालू यादव के खास अमित कात्याल को मिली बड़ी राहत, जमीन के बदले नौकरी मामले में हुई जमानत

Land For Jobs Scam: अमित कात्याल लालू यादव के खास माने जानते हैं और लैंड फॉर जॉब स्कैम के बड़े आरोपियों में से भी एक। ईडी ने दावा किया है कि कात्याल एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी के निदेशक थे, जिसने लालू प्रसाद की ओर से उम्मीदवारों से जमीन हासिल की थी।

Amit Katyal

अमित कात्याल को मिली बेल (फाइल फोटो)

मुख्य बातें
  • घोटाले के समय लालू यादव थे रेल मंत्री
  • लालू परिवार के कई सदस्य आरोपी
  • अमित कात्याल भी लालू यादव का खास

Land For Jobs Scam: जमीन के बदले नौकरी घोटाले में लालू यादव के करीबी अमित कात्याल को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। दिल्ली हाईकोर्ट ने अमित कात्याला को बेल दे दिया है। जिसके बाद अमित कात्याल अब जेल से बाहर आ जाएंगे।

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अमित कात्याल को जमानत

मिली जानकारी के अनुसीर दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को भारतीय रेलवे में कथित भूमि-के-लिए-नौकरी घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद के करीबी सहयोगी अमित कात्याल को जमानत दे दी। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने राहत देते हुए कहा, "जमानत मंजूर की गई।"

अमित कात्याल पर क्या है आरोप

कात्याल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 11 नवंबर, 2023 को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के विभिन्न प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया था। जांच एजेंसी ने आरोप लगाया है कि कात्याल ने राजद प्रमुख और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद की ओर से कई नौकरी चाहने वालों से जमीन हासिल की। ईडी ने दावा किया है कि कात्याल एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी के निदेशक थे, जिसने लालू प्रसाद की ओर से उम्मीदवारों से जमीन हासिल की थी।

क्या है जमीन के बदले नौकरी घोटाला

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, उनके परिवार और कई अन्य लोगों के खिलाफ जमीन के बदले नौकरी मामले में जांच कर रही हैं। लालू यादव पर आरोप है कि उन्होंने उम्मीदवारों या उनके रिश्तेदारों से जमीन के बदले में रेलवे में नौकरी दिलवाई। ये जमीनें उन्हें या तो तोहफे में मिली या सस्ते दामों पर। सीबीआई ने आरोप लगाया कि 2004-2009 की अवधि के दौरान लालू यादव ने रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में ग्रुप डी पदों पर 'प्रतिस्थापन' की नियुक्ति के बदले अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर ज़मीन-जायदाद के हस्तांतरण के रूप में आर्थिक लाभ प्राप्त किया था। रेलवे अधिकारियों द्वारा "अनुचित जल्दबाजी" में उम्मीदवारों को आवेदन करने के तीन दिनों के भीतर नियुक्त किया गया था। बाद में उन्हें नियमित भी कर दिया गया, जब "व्यक्तियों ने खुद या उनके परिवार के सदस्यों ने अपनी ज़मीन हस्तांतरित कर दी"।

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शिशुपाल कुमार author

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