कानून मंत्री किरेन रिजिजू के बेबाक बोल, न्यायपालिका से टकराव नहीं, बेहतरी ही बड़ा मकसद

कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि वो न्यायपालिका और विधायिका के बीच एक सेतु का काम कर रहे हैं कुछ लोगों का टकराव लगता है जो सच से परे है।

किरेन रिजिजू, कानून मंत्री

इस समय कानून मंत्री किरेन रिजिजू(Kiren Rijiju) चर्चा के केंद्र में हैं। कॉलेजियम सिस्टम को लेकर जजों की राय से उनकी राय अलग है। हाल ही में उन्होंने कहा था कि जिस तरह से कुछ नियुक्तियों के संबंध में रॉ और आईबी की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया है उसे उचित नहीं कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि संविधान के दायरे में ही रहकर वो अपनी बात जनता के बीच रखते हैं। आज तक उन्होंने किसी रूप में असंवैधानिक बात नहीं कही। एक मीडिया कार्यक्रम में कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के रिश्ते पर बेबाकी से राय रखते हुए कहा कि संतुलन बने रहना आवश्यक है।

'कुछ खास लोगों को ऐतराज'

किरेन रिजिजू ने कहा कि 99 फीसद जज उनकी बात से सहमत होते हैं। एकाध लोगों की राय अलग होती है। लेकिन वकील वो भी कुछ खास विचारों को मानने वाले उनके विरोध में हैं। उन्हें इस बात को लेकर आपत्ति भी नहीं है। हर एक को विरोध करने का अधिकार है। लेकिन सवाल यह है कि अगर कोई विरोध तर्क की बुनियाद पर ना हो तो उसे क्या कहेंगे। दरअसल उन लोगों को आपत्ति इस बात पर है कि एक ऐसा शख्स कानून मंत्री बना है जो नया है। अब अगर वो नए हैं तो बात भी नए नए तरीके से रखते हैं और यही उनकी परेशानी बनती जा रही है। रिजिजू ने कहा कि वो न्यायपालिका पर नियंत्रण की बात नहीं करते। उनकी सोच है कि जजों की नियुक्ति में भी पारदर्शी व्यवस्था हो। लेकिन कुछ खास विचारों के वकीलों का मानना है कि कानून मंत्री की तरफ से हस्तक्षेप हो रहा है।

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