बिलकिस के दोषियों के पास अब क्या रास्ता? 'सुप्रीम' आदेश के बाद करेंगे सरेंडर या लड़ेंगे कानूनी लड़ाई

Bilkis Bano case: सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि एक राज्य जिसमें किसी अपराधी पर मुकदमा चलाया जाता है और सजा सुनाई जाती है, वही दोषियों की माफी याचिका पर निर्णय लेने में सक्षम होता है।

बिलकिस बानो केस

Bilkis Bano case: बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म व परिवार के 7 लोगों की हत्या करने वाले 11 दोषियों को सजा से छूट देने वाले फैसले को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने सभी 11 दोषियों को दो सप्ताह के भीतर दोबारा सरेंडर करने का आदेश भी सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि सभी दोषियों की रिहाई का आदेश बिना सोचे-समझे पारित किया गया था।
बता दें, 2002 में गुजरात दंगो के समय 22 वर्षीय बिलकिस बानों का 11 लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म किया था और उसके परिवार के 7 लोगों की हत्या कर दी थी। जिस समय यह घटना हुई बिलकिस बानों 5 महीने की गर्भवती भी थीं। बीते साल 2022 में 15 अगस्त को गुजरात सरकार ने केस के सभी 11 दोषियों की सजा को माफ कर उन्हें रिहा कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया गया था। आइए जानते हैं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद 11 दोषियों के बाद अब क्या कानूनी विकल्प बचे हैं...

पहले जानिए सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में माना कि माना कि गुजरात सरकार 2022 में दोषियों को रिहा करने में सक्षम नहीं है और कहा कि उन्हें जेल से बाहर रहने की अनुमति देना "अमान्य आदेशों" को मान्य करने के समान होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह के आदेश पारित करने के लिए उपयुक्त सरकार महाराष्ट्र है, जहां बिलकिस बानो मामले की सुनवाई हुई, न कि गुजरात। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एक राज्य जिसमें किसी अपराधी पर मुकदमा चलाया जाता है और सजा सुनाई जाती है, वही दोषियों की माफी याचिका पर निर्णय लेने में सक्षम होता है।
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