स्वर कोकिला शारदा सिन्हा: लोकगायिकी को दी एक अलग ऊंचाई, जड़ों से जोड़ते हैं उनके गीत

Sharda Sinha : लोकगायिकी की ऐसी अद्भुत मिसाल कहीं और मिलनी मुश्किल है। बिहार में विन्ध्यवासिनी देवी के बाद लोकगायिकी के जिस शिखर को शारदा सिन्हा ने छुआ, वह दूसरों के लिए पहुंचना अकल्पनीय है। शारदा सिन्हा की पहचान केवल छठ गीत ही नहीं, बल्कि हिंदू संस्कारों के जितने भी अनुष्ठान, रीति-रिवाज और अनुष्ठान हैं, उन सभी पर इन्होंने गीत गाए।

sinha sharda

पांच नवंबर को दिल्ली के एम्स में हुआ शारदा सिन्हा का निधन।

Sharda Sinha : दशकों तक अपनी मधुर और सुरीली आवाज से लोगों को बांधे रखने वाली स्वर कोकिला और पद्मभूषण, पद्मश्री से सम्मानित शारदा सिन्हा ने मंगलवार को इस दुनिया को अलविदा कह दिया। वह बीमार थीं कई दिनों से उनका दिल्ली के एम्स में चल रहा था लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था। मीठी, मधुर और सुरीली आवाज की धनी इस विभूति को उन्होंने अपने पास बुला लिया। शारदा सिन्हा का निधन ऐसे समय हुआ है जब बिहार में छठ का महापर्व चल रहा है। यह ऐसा समय है जब हर घर, गली-मोहल्लों, चौराहों पर शारदा सिन्हा के गाए गीत बजते हैं।

छठ के पर्याय हैं शारदा सिन्हा के गीत

छठ पर्व पर उन्होंने एक से बढ़कर गीत गाए हैं। बिना उनके गानों के एक तरह से छठ पर्व की कल्पना करनी मुश्किल है। दशकों से वह एक तरह से छठ का पर्याय बन चुकी थीं। छठ पर्व के हर रस्म और अनुष्ठान पर गाए उनके पारंपरिक गीत छठ मैया के साथ लोगों का एक अटूट रिश्ता जोड़ते हैं। उनके छठ गीतों की सरलता, सहजता, मिठास, संस्कृति एवं संस्कार लोगों को भक्ति और ग्रामीण जीवन को एक सूत्र में पिरोते आए हैं। एक तरह से कहिए तो बिना उनके गीतों के छठ का महापर्व पूरा नहीं होता है।

मांगलिक अवसरों के लिए मधुर गीत

लोकगायिकी की ऐसी अद्भुत मिसाल कहीं और मिलनी मुश्किल है। बिहार में विन्ध्यवासिनी देवी के बाद लोकगायिकी के जिस शिखर को शारदा सिन्हा ने छुआ, वह दूसरों के लिए पहुंचना अकल्पनीय है। शारदा सिन्हा की पहचान केवल छठ गीत ही नहीं, बल्कि हिंदू संस्कारों के जितने भी अनुष्ठान, रीति-रिवाज और अनुष्ठान हैं, उन सभी पर इन्होंने गीत गाए। बच्चे के जन्म से लेकर, मुंडन, जनेऊ, शादी से लेकर जितने भी मांगलिक अवसर हैं, इन सभी पर इनकी मखमली आवाज सुनने को मिलती है।

फिल्मी गाने भी गाए

बिहार और उत्तर प्रदेश खासकर पूर्वांचल में शादी-ब्याह वाले घरों में उनकी गीतों के बगैर मांगलिक रस्में अधूरी मानी जाती हैं। चैता, कजरी, पूर्वी, सोहर और बारहमासा लोकगीतों की जितनी भी विधाएं हैं, इन सभी विधाओं में शारदा सिन्हा के गीत लोगों को मनोभावों पर अमिट छाप छोड़ते आए हैं। शारदा सिन्हा का गायिकी का संसार मैथिली और भोजपुरी तक ही सिमटा नहीं था। उन्होंने हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी गीते गए। हालांकि, फिल्मी गानों की संख्या बहुत कम है। मैंने प्यार किया का गीत 'कहे तोहसे सजना' रोमांस और प्रेम के एक अलग धरातल पर लेकर जाता है तो हम आपके हैं कौन का विदाई गीत 'सजन घर मैं चली', तो मानों लगता है कि इस गाने में घर से विदा हो रही हर बेटी का दर्द छलक कर सामने आ गया हो।

यह भी पढ़ें- शारदा सिन्हा: जैसा हमने देखा और जाना, वो एक ही थीं, उनके समान कोई दूसरा नहीं होगा

स्टारडम को हावी नहीं होने दिया

स्वर कोकिला शारदा सिन्हा के गीतों का दायरा बहुत बड़ा था। वह खुद में बहुत बड़ी शख्सियत थीं। इतनी बड़ी लोक कलाकार होने के बावजूद उन्होंने कभी भी अपने ऊपर स्टारडम को हावी नहीं होने दिया। सरलता, सहजता, मधुर स्वभाव, चेहरे पर मुस्कान और मुंह में पान उनके व्यक्तित्व की पहचान थी। शारदा जी, आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन छठ पर्व की तरह वह और उनके गीत अजर और अमर हैं। गायिकी में उनकी कमी देश हमेशा महसूस और उनके गीतों में खुद को ढूंढता रहेगा।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। देश (India News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।

लेटेस्ट न्यूज

आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited