कैसे पीएम मोदी की खास पसंद बने एस जयशंकर, जानिए विदेश मंत्री से जुड़ी कुछ जानी-अनजानी बातें

31 मई 20219 को मोदी सरकार में शामिल हुए जयशंकर को भारत की मजबूत विदेश नीति का श्रेय काफी हद तक दिया जा सकता है। आइए जानते हैं जयशंकर से जुड़ी कुछ जानी-अनजानी बातें।

S Jaishankar and PM Modi

S Jaishankar and PM Modi

S Jaishnakar: विदेश मंत्री एस जयशंकर मोदी कैबिनेट के अहम सदस्य हैं। हाल के वर्षों में उन्होंने वैश्विक मंच पर भारत की आवाज को बेहद मजबूती से रखा है। यूक्रेन संकट और भारत की भूमिका पर उनकी हाजिर-जवाबी और नजरिए ने सभी को अपना कायल बना दिया है। यूक्रेन संकट, चीन-अमेरिका संघर्ष के बीच जयशंकर का मोदी सरकार में होना कई मायनों में बेहद महत्वपूर्ण है। 31 मई 20219 को मोदी सरकार में शामिल हुए जयशंकर को भारत की मजबूत विदेश नीति का श्रेय काफी हद तक दिया जा सकता है। आइए जानते हैं जयशंकर से जुड़ी कुछ जानी-अनजानी बातें।

एस जयशंकर से जुड़ी दिलचस्प बातें

  • सुब्रह्मण्यम जयशंकर के माता-पिता के. सुब्रह्मण्यम और सुलोचना हैं। उनके पिता एक प्रमुख भारतीय रणनीतिक मामलों के विश्लेषक और टिप्पणीकार रहे हैं। एस जयशंकर के भाई संजय सुब्रमण्यम एक इतिहासकार हैं और एस विजय कुमार भारत के पूर्व ग्रामीण विकास सचिव हैं।
  • जयशंकर ने अपनी स्कूली शिक्षा कैम्ब्रिज स्कूल, श्रीनिवासपुरी से की और दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातक हैं।
  • जयशंकर ने राजनीति विज्ञान में एम.ए. और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में एम. फिल और पीएच.डी. किया है जहां से उन्होंने परमाणु कूटनीति में विशेषज्ञता हासिल की।
  • सुब्रह्मण्यम जयशंकर की पत्नी जापानी हैं। उनकी पत्नी का नाम क्योको सुब्रमण्यम है और उनके दो बेटे ध्रुव और अर्जुन और एक बेटी मेधा हैं।
  • 1977 बैच के आईएफएस अधिकारी, जयशंकर उस भारतीय टीम के प्रमुख सदस्य थे जिसने ऐतिहासिक भारत-अमेरिका परमाणु समझौते पर बातचीत की थी।
  • एस जयशंकर बहुभाषी हैं। जयशंकर अंग्रेजी के अलावा तमिल, रूसी, मंदारिन, हिंदी, जापानी और हंगेरियन भाषा बोलते हैं।
  • जयशंकर चेक गणराज्य में भारत के राजदूत, सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त, चीन में भारत के राजदूत, अमेरिका में भारत के राजदूत और भारत के विदेश सचिव रह चुके हैं।
  • डोकलाम गतिरोध के मद्देनजर द्विपक्षीय संबंधों में आ रहे तनाव को दूर करने के लिए जयशंकर ने विदेश सचिव के रूप में नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच वुहान डायलॉग की पहल की थी।
  • डॉ. एस जयशंकर एक नौकरशाह हैं और उन्हें सीधे कैबिनेट में जगह मिली थी। उन्होंने कोई चुनाव नहीं जीता या किसी सीट से चुनाव नहीं लड़ा।
  • 67 वर्षीय जयशंकर मंत्री के रूप में प्रमुख पोर्टफोलियो संभालने वाले पहले राजनयिक हैं।
  • 5 जुलाई 2019 से वह भारतीय जनता पार्टी के सदस्य और राज्यसभा में संसद सदस्य के रूप में गुजरात का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
  • एस जयशंकर एक मंत्री के रूप में विदेश मंत्रालय का नेतृत्व करने वाले पहले विदेश सचिव हैं।
  • जब विदेश नीति की बात आती है तो जयशंकर को मोदी का दाहिना हाथ माना जाता है। उनका रिश्ता तब का है जब मोदी गुजरात के सीएम थे और जयशंकर चीन में भारत के राजदूत थे।
  • यह तब की बात है जब मोदी गुजरात के सीएम थे। वह टेबियन इलेक्ट्रिक मोटर्स के लिए गुजरात में एक प्लांट के लिए एग्रीमेंट बनवा रहे थे।
  • नरेंद्र मोदी के पहली बार पीएम नियुक्त होने के ठीक बाद जयशंकर अमेरिका में भारतीय राजदूत बने। उन्होंने मोदी को अमेरिका में एक दशक से चले आ रहे वीजा प्रतिबंध से छुटकारा दिलाने में मदद की।

आज राज्यसभा से नामांकन करेंगे दाखिल

बता दें कि विदेश मंत्री एस जयशंकर आज गुजरात से राज्यसभा के लिए अपना नामांकन दाखिल करेंगे। वह गांधीनगर में अपना पर्चा भरेंगे। रविवार को अहमदाबाद पहुंचने पर जयशंकर का भव्य स्वागत हुआ। वह 5 जुलाई 2019 से वह भारतीय जनता पार्टी के सदस्य और राज्यसभा में संसद सदस्य के रूप में गुजरात का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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