अमशीपोरा फेक एनकाउंटर में कैप्टन के लिए आजीवन कारावास की सिफारिश, महबूबा मुफ्ती ने किया स्वागत
Amshipora fake encounter case: जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले के अमशीपोरा में 2020 में तीन लोगों के फर्जी एनकाउंटर के मामले में सेना की एक अदालत ने एक कैप्टन को आजीवन कारावास की सजा की सिफारिश की।
कैप्टन को आजीवन कारावास की सजा की सिफारिश
Amshipora fake encounter case: सेना की एक अदालत ने जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले के अमशीपोरा में 2020 में तीन लोगों के फर्जी एनकाउंटर में शामिल एक कैप्टन को आजीवन कारावास की सिफारिश की है। हालांकि सीनियर सैन्य अधिकारियों द्वारा पुष्टि किए जाने के बाद ही सजा को अंतिम रूप दिया जाएगा। सेना के सूत्रों से यह खबर सामने आई। एक अधिकारी ने कहा कि भारतीय सेना नैतिक ऑपरेशन के सिद्धांत पर दृढ़ है और मानवाधिकारों के उल्लंघन और दुर्व्यवहार के मामलों के प्रति जीरो सहिष्णुता है। कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के बाद कैप्टन भूपेंद्र सिंह का कोर्ट-मार्शल किया गया और बाद में सबूतों में पाया गया कि उनकी कमान के तहत सैनिक आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट के तहत मिली शक्तियों से आगे चले गए थे।
तीन लोगों का हुआ था फर्जी एनकाउंटर
जम्मू के राजौरी जिले के तीन लोगों को 18 जुलाई, 2020 को शोपियां जिले में अधिकारी की कमान के तहत सैनिकों द्वारा मार दिया गया और उन्हें आतंकवादी घोषित कर दिया गया। इम्तियाज अहमद, अबरार अहमद और मोहम्मद इबरार गोली मार कर हत्या कर दी गई। कई लोगों ने इसे कोल्ड ब्लडेड मर्डर करार दिया। इस पर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक स्पेशल जांच टीम का गठन किया। जिसने मुठभेड़ को अंजाम देने के लिए कैप्टन भूपेंद्र सिंह समेत तीन लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर किया।
महबूबा मुफ्ती फैसले का किया स्वागत
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कैप्टन को उम्रकैद की सजा देने की सिफारिश का स्वागत करते हुए इसे ऐसे मामलों में जवाबदेही तय करने की दिशा में स्वागत योग्य कदम बताया। उन्होंने ट्वीट किया कि उम्मीद है कि इस तरह की जघन्य घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए लवापोरा और हैदरपोरा मुठभेड़ों की निष्पक्ष जांच के भी आदेश दिए गए हैं।
पांच साल में 116 मानवाधिकर के उल्लंघन
आधिकारिक डेटा के मुताबिक सरकार को 2017 और जुलाई 2022 के बीच सेना और भारतीय वायु सेना द्वारा कथित तौर पर किए गए मानवाधिकारों के उल्लंघन के बारे में 116 शिकायतें मिलीं। जिनमें से 108 सेना के खिलाफ थीं। 2020 में सेना ने मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों को संभालने के लिए अपने मुख्यालय में एक मानवाधिकार सेल की स्थापना की।
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रामानुज सिंह author
रामानुज सिंह अगस्त 2017 से Timesnowhindi.com के साथ करियर को आगे बढ़ा रहे हैं। यहां वे असिस्टेंट ...और देखें
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