लोकसभा चुनाव: नतीजों से पहले बगलामुखी माता की शरण में पहुंच रहे प्रत्याशी, जीत के लिए करा रहे हवन-अनुष्ठान
Bagalamukhi Temple Himachal: जब से चुनावों की घोषणा हुई है तभी से पूरे देश से 600 से भी ज्यादा सांसद व नेता बगलामुखी मंदिर में जीत का आशीर्वाद लेने के लिए हाजिरी लगा चूके हैं और अपनी जीत के लिए अनुष्ठान करवा रहे हैं।
Baglamukhi Temple Himachal
Bagalamukhi Temple Himachal: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ बगलामुखी मंदिर बनखंडी में लोकसभा चुनाव में जीत का आशीर्वाद लेने के लिए कई नेता हाजिरी लगा रहे है। नेता यहां अपनी जीत के लिए अनुष्ठान भी करवा रहे हैं। इसको लेकर टाइम्स नाऊ ने मंदिर के मुख्य पुजारी दिनेश रत्न से एक्सक्लूसिव बातचीत की। उन्होंने बताया कि जब से चुनावों की घोषणा हुई है तभी से पूरे देश से 600 से भी ज्यादा सांसद व नेता बगलामुखी मंदिर में जीत का आशीर्वाद लेने के लिए हाजिरी लगा चूके हैं और अपनी जीत के लिए अनुष्ठान करवा रहे हैं।
इंदिरा गांधी से लेकर पीएम मोदी तक कर चुके हैं पूजा
बता दें, बगलामुखी मंदिर में बड़े से बड़े नेता और फिल्मी दुनिया के अभिनेता शीश नवा चुके हैं। राजनीति में विजय प्राप्त करने के लिए इस मंदिर में प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी पूजा कर चुकी हैं। वर्ष 1977 में चुनावों में हार के बाद पूर्व पीएम इंदिरा ने मंदिर में तांत्रिक अनुष्ठान करवाया। उसके बाद वह फिर सत्ता में आईं और 1980 में देश की प्रधानमंत्री बनीं। बतौर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पीएम मोदी के बड़े भाई प्रह्लाद मोदी मंदिर में पूजा कर चुके हैं। नोट फार वोट मामले में फंसे सांसद अमर सिंह, सांसद जया प्रदा, मनविंदर सिंह बिट्टा, कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर, पंजाब के पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी, भूपेंद्र हुड्डा, राज बब्बर की पत्नी नादिरा बब्बर, गोविंदा और गुरदास मान जैसी हस्तियां यहां आ चुकी हैं। यहीं नहीं मारीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनाथ ने अपनी पत्नी कोबिता के साथ तांत्रिक पूजा और हवन करवाया।अभिनेत्री शिल्पा शेठ्ठी भी अपने पति के साथ मंदिर पहुंची थी और उन्होंने शुत्र नाशिनी यज्ञ भी यहां करवाया था।
ये है बगलामुखी मंदिर की मान्यता
हिंदू पौराणिक कथाओं में मां बगलामुखी को दस महाविद्याओं में आठवां स्थान प्राप्त है। मां की उत्पत्ति ब्रह्मा द्वारा आराधना करने की बाद हुई थी। त्रेतायुग में मां बगलामुखी को रावण की ईष्ट देवी के रूप में भी पूजा जाता था। रावण ने शत्रुओं का नाश कर विजय प्राप्त करने के लिए मां की पूजा की। लंका विजय के दौरान जब इस बात का पता भगवान श्रीराम को लगा तो उन्होंने भी मां बगलामुखी की आराधना की थी। बगलामुखी का यह मंदिर महाभारत काल का माना जाता है। इस मंदिर की स्थापना द्वापर युग में पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान एक ही रात में की थी। यहां सर्वप्रथम अर्जुन एवं भीम ने युद्ध में शक्तियां प्राप्त करने और मां बगलामुखी की कृपा पाने के लिए विशेष पूजा की थी।
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