Lok Sabha Speaker: लोकसभा स्पीकर को लेकर चंद्रबाबू नायडू ने बढ़ाई BJP की टेंशन, रख दी ये शर्त
Lok Sabha Speaker: लोकसभा के स्पीकर पद को लेकर सियासी घमासान जारी है। मंत्रियों को विभागों के बंटवारे के बाद अब लोकसभा अध्यक्ष किसे बनाया जाए इसपर फैसला लेना बाकी है। भाजपा नेताओं की मानें तो अध्यक्ष पद पार्टी खुद ही रखना चाहती है और किसी भी एनडीए के साथी दल को नहीं देना चाहती।
चंद्रबाबू नायडू ने बढ़ाई BJP की टेंशन
Lok Sabha Speaker: लोकसभा चुनाव में बहुमत मिलने के बाद NDA की सरकार सत्ता पर काबिज हो चुकी है। नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार पीएम बने हैं। मंत्रियों के शपथ लेने के बाद उन्हें मंत्रालयों का बंटवारा भी कर दिया है। अब लोकसभा अध्यक्ष किसे बनाया जाए, इसपर फैसला लेने की बारी है। वहीं विपक्ष बार-बार इस बात पर जोर दे रहा है कि NDA के सहयोगियों के पास लोकसभा अध्यक्ष का पद होना चाहिए। भाजपा नेताओं की मानें तो अध्यक्ष पद पार्टी खुद ही रखना चाहती है और किसी भी एनडीए के साथी दल को नहीं देना चाहती।
26 जून को लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव
सरकार बनने के बाद अब संसद का पहला सत्र 24 जून से शुरू हो जाएगा। 26 जून को लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा। इस मामले में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू (JDU) ने तो अपना मत साफ कर दिया है कि लोकसभा में भाजपा का ही अध्यक्ष होना चाहिए, लेकिन टीडीपी (TDP) के तेवर अलग दिख रहे हैं। टीडीपी के प्रवक्ता पट्टाभि राम कोमारेड्डी ने कहा कि जब आम सहमति बन जाएगी तब ही स्पीकर का चयन होगा। टीडीपी नेता ने कहा कि एनडीए के सहयोगी साथ में बैठक करेंगे और जब उम्मीदवार के नाम पर आम सहमति बन जाएगी, तभी सभी सहयोगी उम्मीदवार का समर्थन करेंगे।
PM Modi
इस बीच, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने BJP पर हमला बोलते हुए कहा था कि लोकसभा स्पीकर पद के चुनाव की ओर केवल TDP एवं JDU ही नहीं बल्कि पूरे देश की जनता उत्सुकता से देख रही है। यदि भाजपा के मन में आगे जाकर कोई भी अलोकतांत्रिक कृत्य करने का इरादा नहीं है तो उन्हें स्पीकर का पद किसी सहयोगी दल को ही देना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि TDP और JDU को महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गोवा, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश एवं राजस्थान में भाजपा द्वारा किए गए सरकार गिराने के षड़यंत्रों को नहीं भूलना चाहिए। इनमें से कई राज्यों में तो स्पीकर की भूमिका के कारण ही सरकार गिरी और पार्टियां टूटीं। 2019 में TDP के 6 में से 4 राज्यसभा सांसद भाजपा में शामिल हो गए थे और तब TDP कुछ भी नहीं कर सकी थी। अब अगर भाजपा लोकसभा स्पीकर का पद अपने पास रखती है तो TDP और JDU को अपने सांसदों के अदला-बदली के लिए तैयार रहना चाहिए।
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