भीषण गर्मी में आग जलाकर तपस्या कर रहे पागल बाबा' की मौत, प्रशासन ने दी थी इजाजत, यूपी के संभल का मामला
उत्तर प्रदेश के संभल में तपस्या करते हुए पागल बाबा की मौत की मामला सामने आया है, बताते हैं कि धरती के बढ़ते तापमान, विश्व शांति और नशा मुक्ति को लेकर पागल बाबा ने 23 से 27 मई तक तपस्या का संकल्प लिया था।
यूपी के संभल में तपस्या करते हुए पागल बाबा की मौत की मामला सामने आया है
- पागल बाबा विश्व शांति और नशा मुक्ति के लिए यह तपस्या कर रहे थे
- बाबा की तपस्या 23 मई से 27 मई तक होनी थी इसके लिए प्रशासन से मंजूरी भी ली थी
- बाबा इससे पहले 23 बार अलग-अलग स्थानों पर इसी तरह की तपस्या कर चुके थे
उत्तर प्रदेश के संभल के केला देवी क्षेत्र में 'विश्व शांति और नशा मुक्ति' के लिए अपने चारों तरफ आग जलाकर तपस्या कर रहे 70 वर्षीय पागल बाबा की तबीयत खराब होने के बाद मृत्यु हो गई। संभल के एसडीएम विनय कुमार मिश्रा ने बताया कि अमेठी के रहने वाले कमली वाले पागल बाबा (Sambhal Pagal Baba Death) के नाम से मशहूर बाबा केला देवी थाना क्षेत्र के बेनीपुर में पंचाग्नि तपस्या कर रहे थे। उनकी तपस्या 23 मई से 27 मई तक होनी थी। उन्होंने इसके लिए प्रशासन से मंजूरी भी ली थी।
मिश्रा ने बताया कि पागल बाबा की रविवार को अचानक तबीयत खराब हो गई जिसके बाद स्थानीय ग्रामीणों ने उन्हें जिला अस्पताल ले जाने की कोशिश की लेकिन रास्ते में ही उनकी मृत्यु हो गई।
पागल बाबा ने 23 से 27 मई तक तपस्या का संकल्प लिया था
धरती के बढ़ते तापमान, विश्व शांति और नशा मुक्ति को लेकर पागल बाबा ने 23 से 27 मई तक तपस्या का संकल्प लिया था, बाबा के सेवादारों ने बताया कि इसके लिए एसडीएम से अनुमित भी ली गई थी जो मिल गई थी पर तपस्या पूरी होने में एक दिन बचा था, इसी बीच यह घटना हो गई, सेवादारों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है।
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भीषण गर्मी में संत को तपस्या की अनुमति आखिर कैसे मिल गई?
आखिर इतनी भीषण गर्मी में संत को तपस्या की अनुमति आखिर कैसे मिल गई, इसे लेकर प्रशासन पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक पागल बाबा अपने चारों तरफ आग जलाकर तपस्या कर रहे थे।
मृत्यु संभवतः गर्मी की वजह से हुई है
उनकी मृत्यु संभवतः गर्मी की वजह से हुई है। स्थानीय लोगों ने बताया कि बाबा विश्व शांति और नशा मुक्ति के लिए यह तपस्या कर रहे थे। पागल बाबा इससे पहले 23 बार अलग-अलग स्थानों पर इसी तरह की तपस्या कर चुके थे।
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